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जयपुर में मोती की बूंद जैसी दिखने वाली पहाड़ी पर विराजमान हैं गणपति, बाधाओं को करते हैं नाश

मोती डूंगरी गणेश मंदिर की संरचना और डिजाइन नागर शैली में है, जो उत्तर भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला है.

जयपुर में मोती की बूंद जैसी दिखने वाली पहाड़ी पर विराजमान हैं गणपति, बाधाओं को करते हैं नाश
मोती डूंगरी में गणेश जी के दर्शन करने पहुंचे भक्त.

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाएगी. देश में विघ्न विनाशक के कई ऐसे मंदिर हैं, जो उनसे जुड़े चमत्कार को बताते हैं. राजस्थान की 'गुलाबी नगरी' जयपुर में भी ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है, जहां मोती की बूंद जैसी दिखने वाली पहाड़ी पर गणपति विराजमान हैं.

आस्था का केंद्र है मोती डूंगरी 

जयपुर अपनी समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. इस शहर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण के प्रमुख केंद्रों में से एक है. मोती की बूंद जैसी दिखने वाली पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भगवान गणेश प्राचीन मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है.

मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और बाधाओं का भी नाश होता है. गणेश उत्सव के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है.

मोती की बूंद जैसा दिखता है मंदिर  

राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, जयपुर में मोती डूंगरी गणेश मंदिर एक पवित्र और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, जिसे मोती डूंगरी कहा जाता है, क्योंकि यह मोती की बूंद जैसी दिखती है. इस पहाड़ी के चारों ओर जयपुर शहर बसा हुआ है. 18वीं शताब्दी में सेठ जय राम पालीवाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

मेवाड़ के राजा ने बनवाया था मंदिर 

मंदिर के बारे में एक रोचक कथा भी मिलती है. किंवदंती है कि मेवाड़ के राजा एक लंबी यात्रा के बाद बैलगाड़ी में गणेश जी की विशाल मूर्ति लेकर लौट रहे थे. उन्होंने तय किया कि जहां गाड़ी रुकेगी, वहीं मंदिर बनाया जाएगा. बैलगाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी और यहीं 1761 में यह भव्य मंदिर स्थापित हुआ. मूर्ति, करीब 500 साल पुरानी मानी जाती है, मूर्ति मावली से उदयपुर और फिर जयपुर लाई गई थी.

इसका डिजाइन स्कॉटिश महल से प्रेरित है, जो इसे अनूठा बनाता है. मंदिर में तीन प्रवेश द्वार हैं और सामने कुछ सीढ़ियां हैं, जो भक्तों को गणेश जी की मूर्ति तक ले जाती हैं. इसका निर्माण चूना पत्थर और संगमरमर से हुआ है.

गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पर भक्तों की भीड़

गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है. गणेश चतुर्थी, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होती है, मोती डूंगरी मंदिर में धूमधाम से मनाई जाती है. इस दौरान मंदिर को फूलों, रोशनी और झांकियों से सजाया जाता है. गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दीपावली और अन्य त्योहारों पर यहां विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.

स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार पहनाया जाता है 

भगवान गणेश को स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार पहनाया जाता है, साथ ही पंचामृत का अभिषेक होता है. मंदिर में भगवान का मेहंदी से पूजन होता है, जिसे भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. मान्यता है कि जिन लोगों की शादी होने में बाधा आ रही हो, उनके लिए ये मेहंदी वरदान स्वरूप होती है.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर शहर के केंद्र से 6 किमी दूर एक छोटी पहाड़ी पर है. अगर आप हवाई जहाज से आ रहे हैं, तो जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे पास है. वहीं, ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए गांधी नगर रेलवे स्टेशन मंदिर के सबसे करीब है.

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