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राजस्थान में गुजरात की तर्ज पर बनेगा ‘डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट’, पहले जयपुर फिर सभी जिलों में होगा लागू

गुजरात में डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट कानून पहले से लागू है और नागालैंड, असम, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी इसका प्रावधान है.

राजस्थान में गुजरात की तर्ज पर बनेगा ‘डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट’, पहले जयपुर फिर सभी जिलों में होगा लागू

Disturbed Areas Act: राजस्थान की भजनलाल सरकार साम्प्रदायिक सौहार्द और संपत्ति लेनदेन में पारदर्शिता के लिए नया कानून लाने की तैयारी में है. ऐसा कानून गुजरात में लागू किया गया है जिसे 'डिस्टर्ब एरिया एक्ट' कहा जाता है. ऐसे में अब गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी ‘डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट' लागू करने की योजना बनाई जा रही है. यह कानून जयपुर से शुरू होकर चरणबद्ध रूप से अन्य जिलों में लागू किया जाएगा. यानी पहले जयपुर बाद में पूरे प्रदेश के जिलों में लागू करने की तैयारी है.

क्या है डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट

प्रस्तावित कानून के तहत दूसरे धर्म के व्यक्ति से संपत्ति खरीदने से पहले संबंधित व्यक्ति को जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी. इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में साम्प्रदायिक तनाव को रोकना है जहां आबादी के अनुपात में बदलाव या विवाद की आशंका रहती है. सरकार का कहना है कि इस कानून से सामाजिक सौहार्द को मजबूती मिलेगी और अवैध संपत्ति लेनदेन पर रोक लगेगी. गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार प्रारूप तैयार किया जा रहा है.

गुजरात के अलावा पूर्वोत्तर में लागू है कानून

गुजरात में यह कानून पहले से लागू है और नागालैंड, असम, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी इसका प्रावधान है. राजस्थान में भी इसे प्रोहिबिशन ऑफ ट्रांसफर ऑफ इम्मूवेबल प्रॉपर्टी इन डिस्टर्ब्ड एरियाज एक्ट के रूप में लागू करने का प्रस्ताव है.

सरकार के मुताबिक इसका मकसद साम्प्रदायिक संतुलन बनाए रखना है, किसी वर्ग के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. कानून के तहत किसी भी विवादित क्षेत्र में संपत्ति की खरीद-बिक्री पर जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी.

सूत्रों के मुताबिक, जयपुर के कुछ हिस्सों में पिछले वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए थे जहां बिना अनुमति के संपत्ति का लेनदेन हुआ और बाद में तनाव की स्थिति बनी. अब सरकार इसे रोकने के लिए विधिक ढांचा तैयार कर रही है.

प्रस्तावित कानून के प्रमुख प्रावधानों में संपत्ति हस्तांतरण से पहले अनुमति, जिला स्तर पर जांच समिति और अनुमोदन की पारदर्शी प्रक्रिया शामिल होगी. कानून लागू होने के बाद बिना अनुमति की गई खरीद-बिक्री अमान्य मानी जाएगी.

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