5 लाख में बिकने वाली थी राजस्थान की बेटी, पुलिस ने खोजने के लिए मांगे 20 हजार; उप जिला प्रमुख ने 1700 KM दूर जाकर बचाया

Rajasthan Women Safety: राजस्थान की एक बेटी 5 लाख रुपए में बिकने वाली थी. वो बीते तीन माह से लापता थी. पीड़िता ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने खोजने के लिए 20 हजार रुपए मांगे. इसके बाद पीड़िता के पिता एक स्थानीय जन प्रतिनिधि के पास गए. जिन्होंने अपने खर्चे पर पीड़िता को 1700 किमी दूर से सुरक्षित बचाया.

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तीन महीने से लापता चल रही राजस्थान की बेटी को उप प्रमुख ने सुरक्षित बचाया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Crime Against Women in Rajasthan: राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 (Rajasthan Assembly Elections 2023) से पहले महिला सुरक्षा (Women Safety) एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आई थी. भाजपा (BJP) ने प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध और अत्याचार को लेकर गहलोत सरकार (Gehlot Govt)  पर खूब हमले किए थे. चुनाव में जीत के बाद भाजपा प्रदेश में सत्ता में आई तो महिला सुरक्षा को लेकर सीएम भजनलाल (CM Bhajan Lal Sharma) ने कई बड़ी घोषणाएं की. लेकिन इन घोषणाओं के बाद भी प्रदेश में महिलाओं स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आया है. आए दिनों प्रदेश के अलग-अलग जिलों से महिला की हत्या, रेप, लूटपाट सहित अन्य खबरें सामने आती ही रहती है. लेकिन अब प्रदेश के बांसवाड़ा (Banswara) जिले से एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए.

14 जनवरी से लापता थी बांसवाड़ा की बेटी

दरअसल बांसवाड़ा की एक बेटी बीते 14 जनवरी से लापता थी. 22 साल की लड़की के लापता होने के बाद उसके परिजनों ने पुलिस से शिकायत भी की. लेकिन पुलिस ने लड़की की तलाश करने के बदले पीड़ित परिवार से 20 हजार रुपए मांगे. इस बात की जानकारी पीड़िता के पिता ने दी है. हालांकि गनीमत की बात यह है कि इस मामले में एक स्थानीय जन प्रतिनिधि ने मानवीयता दिखाते हुए खुद के खर्चे पर उक्त लड़की को 1700 किमी दूर से सुरक्षित ले आए. 

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घर आने पर पीड़िता ने बताया कि उसे लोग 5 लाख रुपए बेचने वाले थे. जरा सी देर हो जाती तो शायद मैं बच नहीं पाती.

अब जानिए क्या है पूरा घटनाक्रम

बांसवाड़ा जिले के कसारवाड़ी क्षेत्र से 14 जनवरी को 22 वर्षीय युवती लापता हो गई थी. उसके परिजनों ने पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था. लेकिन इसके बाद भी करीब दो माह तक पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा था. पीड़ित परिवार ने उप जिला प्रमुख विकास बामनिया से सहयोग के लिए संपर्क किया तो बामनिया ने मानवीयता का परिचय देते हुए खुद के स्तर से पीड़िता को बिहार के पूर्णिया जिले से सुरक्षित बचाया. पीड़िता पिता के साथ गुजरात के सूरत में मजदूरी करने गई हुई थी.

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सूरत में मजदूरी के दौरान बिहार के छोटू से हुई पहचान

जहां बिहार के छोटू यादव नामक युवक से उसकी जान-पहचान हुई. दो दिन घुमाने ले जाने के बहाने छोटू उसे अपने साथ ट्रेन में ले गया. जहां बिठाने के बाद कुछ ठंडा पिला दिया जिससे वह बेहोश हो गई. उसके बाद कुछ पता नहीं चला. सुबह जब उसकी नींद खुली तो खुद को बिहार में छोटू के घर पाई. बिहार का युवक छोटू पूर्णिया जिले के बायसी थाना क्षेत्र के आसजा मलैया पंचायत के पुंडाल गांव का रहने वाला है. इसके बाद से पीड़िता छोटू के चुंगल में फंस गई. 

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भागलपुर में 5 लाख में बिकने वाली थी पीड़िता

वापस सूरत जाने की बात करने पर छोटू उसे भागलपुर में 5 लाख रुपए में बेचने की धमकी देने लगा. पीड़िता जब भी घर जाने की बात कहती तो वह उसके साथ मारपीट करता. एक दिन जब छोटू सो गया तो उसके मोबाइल से भाई को कॉल कर पीड़िता ने आपबीती बताई. जब कॉल नहीं कर पाती तो मैसेज भेजकर भाई को सूचना देती थी. 

पुलिस ने लड़की को खोजने के लिए मांगे 20 हजार रुपए

पीड़िता के भाई ने बताया कि बहन की गुमशुदगी की रिपोर्ट 17 जनवरी को दर्ज करवाई थी. इसके बाद भी पुलिस उसे तलाश नहीं पाई. जब बहन का फोन आया और उसने बताया कि वह मुसीबत में है तो फिर पुलिस के पास मदद के लिए गए, लेकिन पुलिस ने 20 हजार रुपए मांगे. इसलिए उपजिला प्रमुख विकास बामनिया से मदद मांगी.
 

युवती के पिता का आरोप है कि वह जब बेटी से तलाशने के पुलिस से मदद मांगने गया तो उससे 20 हजार रुपए मांगे गए. युवती ने उस क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों से भी युवतियों के फंसे होने और बेचने की आशंका जताई है.

जिला प्रमुख के पास जाकर रोने लगे पिता और भाई

उपजिला प्रमुख विकास बामनिया ने बताया कि युवती के पिता मेरे पास आए और रोने लगे. उसके भाई ने बताया कि छोटू उसको बहन को बेच देगा. वे लोग पुलिस से निराश होकर आए थे, ऐसे में मुझसे रहा नहीं गया. 8 मार्च की शाम को ही जयपुर से हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचे. 9 मार्च की सुबह 4 बजे पश्चिम बंगाल के बागघोगरा पहुंचे. वहां से बिहार के पूर्णिया जिले के बयासी थाना क्षेत्र में स्थित छोटू के गांव की रेकी की. माहौल का पता किया. गांव की सड़के इतनी तंग थी कि सामने से बाइक भी आ गई तो कर नहीं निकल सकती. 

जिला प्रमुख ने फोन पर बात कर लड़की को लोकेशन भेजना सिखाया

छोटू के बारे में पता चला कि उसके ट्रैक्टर से किसी की मौत हो चुकी थी. हमें बताया गया कि वो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. कुछ ग्रामीणों ने हमे वापस लौटने की भी हिदायत दी, लेकिन हमने बागडोगरा से टैक्सी किराए पर की और गांव में लड़की को लेने पहुंच गए. युवती को लेने के लिए उप जिला प्रमुख विकास बामनिया के अलावा दिनेश पटेल और युवती का भाई साथ था. विकास  बामनिया ने बताया कि लोकेशन जानने के लिए युवती से कहा कि जब भी मौका मिले कॉल करें. उनसे 3 बार कॉल किए. 

बिहार से राजस्थान की बेटी को सुरक्षित बचाकर अपने साथ लाते बांसवाड़ा के उप जिला प्रमुख विकाश बामनिया.

शौच का बहाना कर निकली, और घर वालों संग वापस आई राजस्थान

फिर मोबाइल में उसे लोकेशन भेजना सिखाया. जैसे ही उसने लोकेशन भेजी तो वह वहां पहुंच गए. जब हमें पता चल गया कि युवती वहां एक घर में है तो युवती को हमने प्लान समझाया. युवती रोज टॉर्च लेकर शौच करने बाहर जाती थी. उसे समझाया कि टोर्च को खराब कर दें. इसके बाद कह छोटू का मोबाइल लेकर शौच के लिए निकली. प्लान के अनुसार विकास और उनकी गाड़ी कुछ दूरी पर खड़ी थी. जहां से युवती दौड़कर गाड़ी में बैठ गई और सभी वहां से निकल आए. अगले दिन युवती और उसके परिजन राजस्थान में थे. 

एएसपी बोले- पुलिस ने क्यों नहीं की जांच, ली जा रही जानकारी

बांसवाड़ा पहुंचने के बाद युवती ने अपने साथ हुई बर्बरता के बारे में परिजनों को बताया. पुलिस कार्यवाई में हुई देरी के बारे में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनवारी लाल मीणा ने बताया कि इस बारे में कसारवाड़ी पुलिस थाने से जानकारी प्राप्त की जा रही है कि इसमें किसने लापरवाही बरती और इतने दिन कार्रवाई क्यों नहीं की गई. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

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