Rajasthan Politics: 'आज भील प्रदेश की मांग उठी है, कल मरू प्रदेश की उठेगी...' BJP नेता ने सांसद पर लगाया प्रदेशद्रोह का आरोप

Bhil Pradesh Demand: राजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि भील प्रदेश बनाने की मांग राजस्थान की आन, बान और शान को तोड़ने की साजिश जैसा है, जो कभी सफल नहीं होगी.

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भील प्रदेश का नक्शा जारी करने पर राजेंद्र राठौड़ ने निशाना साधा है. (फाइल फोटो)

Rajasthan News: राजस्थान के सियासी गलियारों में इस वक्त बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) की 'भील प्रदेश' बनाने वाली मांग जोर शोर से गूंज रही है. सोशल मीडिया पर इस मांग को जनता का समर्थन भी मिल रहा है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने सांसद की इस मांग को 'प्रदेशद्रोह' करार दिया है. राठौड़ का कहना है कि सांसद रोत राजस्थान की आन, बान और शान को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं, जिसमें वे कभी सफल नहीं होंगे.

'आदिवासी समाज में जहर बोने की साजिश'

राजेंद्र राठौड़ ने एक्स पर लिखा, 'बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजकुमार रोत ने तथाकथित "भील प्रदेश" का नक्शा जारी किया है. यह एक शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट है्. यह न केवल गौरवशाली राजस्थान की एकता पर चोट है, बल्कि आदिवासी समाज के नाम पर भ्रम फैलाने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश भी है. आज अगर कोई भील प्रदेश की बात करेगा, कल कोई मरू प्रदेश की मांग करेगा तो क्या हम अपने शानदार इतिहास, विरासत और गौरव को ऐसे ही टुकड़ों में बांट देंगे? सांसद राजकुमार रोत द्वारा जारी नक्शा आदिवासी समाज में जहर बोने की साजिश है जो प्रदेशद्रोह की श्रेणी में आता है और इसे जनमानस कभी स्वीकार नहीं करेगा.'

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108 साल पुरानी है भील प्रदेश बनाने की मांग

बताते चलें कि अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग का इतिहास 108 साल पुराना है, जिसकी शुरुआत राजस्थान से हुई और धीरे-धीरे यह मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र तक पहुंच गई है. भारत आदिवासी पार्टी ने भील प्रदेश के लिए उनकी मांग में गुजरात के पूर्वोत्तर, दक्षिणी राजस्थान और मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्से के जिलों को शामिल करना शामिल है, जिसमें लगभग 20 पूरे जिले और 19 अन्य के हिस्से शामिल हैं. 1913 से भील समुदाय अनुसूचित जनजाति विशेषाधिकारों के साथ एक अलग राज्य या प्रदेश की मांग कर रहा है. 

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4 राज्यों के 43 जिलों अलग करने वाली मांग

यह मांग मानगढ़ नरसंहार की दुखद घटना के बाद भील समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता गोविंद गुरु ने उठाई थी. दरअसल, 17 नवंबर 1913 को राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित पहाड़ियों में मानगढ़ नरसंहार हुआ था. ब्रिटिश सेना ने सैकड़ों भीलों को बेरहमी से मार डाला, जो एक स्वदेशी समुदाय है. इस क्रूर घटना को कभी-कभी 1919 में हुए कुख्यात जलियांवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में "आदिवासी जलियांवाला" के रूप में संदर्भित किया जाता है. यह प्रस्तावित राज्य चार राज्यों, अर्थात गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से 43 जिलों को अलग करके बनाया जाएगा.

भील प्रदेश में किस राज्य के कौन-कौन से जिले 

  • गुजरात- अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा और भरुचा
  • राजस्थान- बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली
  • मध्य प्रदेश- इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, अलीराजपुर
  • महाराष्ट्र- नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार, अलीराजपुर

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