दिल्ली की चिड़ियाघर से रविवार को लाए गए 23 चीतल राजस्थान के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभयारण्य में लाकर छोड़े गए हैं. इनमें 11 मेल, 12 फीमेल चीतल शामिल है. रविवार सुबह 4 बजे दिल्ली से लाए गए चीतलों को रामगढ़ अभयारण्य में सुरक्षित रिलीज किया गया. चीतल को रामगढ़ महल तलवास तालाब क्षेत्र में रिलीज किया गया, जहां पर चीतलों में लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था है. बता दें, चीतल का अप्रैल-मई व सितंबर-अक्टूबर प्रजनन काल रहता है और इन दिनों चीतल की संख्या में तेजी से इजाफा होता है. ये झुंड में रहते हैं और कोई ग्रासलैंड की भी आवश्यकता नहीं रहती है.
यह कवायद टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभयारण्य में प्रे-बेस संख्या बढ़ाने की तैयारी के तहत की गई है. बूंदी डीएफओ संजीव शर्मा ने बताया कि दिल्ली से लाए गए 23 चीतलों को रविवार को रामगढ़ महल के समीप बने एनक्लोजर में छोड़ा गया है. यहां कुछ दिन रखने के बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि दिल्ली से 100 चीतल लाए जाने हैं और अगले फेज में 30 और चीतल लाए जाए जाएंगे. डीएफओ संजीव शर्मा ने बताया कि टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभयारण्य बाघों कुनबा बढ़ रहा है. ऐसे में प्रे - बेस की संख्या में भी बढ़ोतरी किया जाना जरूरी हो गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को दिल्ली चिड़ियाघर से एक कन्टेनर में रखकर चीतलों रामगढ़ लाया गया. चीतलों को जंगल की आबोहवा से परिचित करवाने के लिए उन्हें एनक्लोजर में छोड़ा गया है, जिन्हें बाद में खुले जंगल में रिलीज किया जाएगा। इन सभी चीतलों के लिए रामगढ़ महल के समीप 5 हेक्टेयर क्षेत्र में एन्क्लोजर बनाया गया है. इस एनक्लोजर में इनके लिए चारे पानी की सभी व्यवस्था है. साथ ही, वनकर्मियों को मॉनिटरिंग करने में भी काफी आसानी होगी.
रामगढ़ अभयारण्य में 500 से अधिक वन्य जीव वन्यजीव
रामगढ़ अभयारण्य में जंगल सफारी के लिए वन विभाग ने शहर से सटे दलेल पूरा गांव में पहला द्वार बनाया गया है. रामगढ़ अभ्यारण में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, हाईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्य जीव मौजूद हैं.
रामगढ़ अभयारण्य में रणथंभौर से ज्यादा खूबसूरत बाघों के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है. पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक प्रेमी बिट्टल सनाढ्य ने बताया कि रामगढ़ अभयारण्य सदियों से बाघों के लिए मैटरनिटी होम (जच्चाघर) के रूप में प्रसिद्ध रहा है. जंगल बाघों के लिए सदियों से बेहतर आश्रय स्थल रहे हैं.
क्षेत्रफल की दृष्टि से मुकंदरा नेशनल पार्क से बड़ा है
रामगढ़ का उत्तम प्राकृतिक वातावरण के बीच में यहां बहने वाली मेज नदी की खूबसूरत वादियों में बाघों की दहाड़ रामगढ़ अभयारण्य को अनोखा बनाता है., जहां वर्तमान में दो बाघिन, 1 बाघ, 3 शावक मौजूद हैं. यहां रणथंभौर से टी 62 व टी 91 बाघों के आने के बाद अभयारण्य का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. टी 91 को मुकंदरा शिफ्ट किया गया था और टी 62 वापस लौट गया था.
टाइगर रिजर्व में इंद्रगढ़ से जैतपुर तक का रणथंभौर टाइगर बफर जोन, रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य, देवझर से भीमलत महादेव तक का कालदां का सघन वन क्षेत्र, गरड़दा व भीलवाड़ा जिले में बांका-भोपतपुरा के जंगल शामिल किए गए हैं. बूंदी टाइगर रिजर्व क्षेत्रफल की दृष्टि से मुकंदरा नेशनल पार्क से बड़ा है.