Rajasthan News: गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल (SMS Hospital) में बीते दिनों बसवा के सचिन शर्मा (Sachin Sharma) की मौत हुई थी. इसके बाद जब सचिन के शव को एंबुलेंस से उसके गांव लाया गया तो परिवार के लोगों के पास एंबुलेंस को देने का पैसा तक नहीं था. उस वक्त गांव वालों ने मिलकर सचिन के परिवार की मदद की और एंबुलेंस का पैसा दिया. इसके बाद सभी ने अंतिम संस्कार का भी इंतजाम कराया.
सड़क हादसा बताकर दी सहायता
इस दौरान गांव वालों ने मिलकर वॉट्सऐप पर एक मुहिम भी चलाई और मृतक सचिन के परिवार के लिए छोटी-छोटी धनराशि इकट्ठी करनी शुरू की. इसके बाद भी सरकार नहीं चेती, जिसके चलते बीते कल सचिन के ताऊ और सचिन की बहन पानी की टंकी पर चढ़ गए और न्याय की मांग करते रहे. आनन-फानन में दौसा जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव के डिजिटल हस्ताक्षर से मुख्यमंत्री सहायता कोष में से 5 लाख की आर्थिक सहायता राशि सचिन के परिवार को दी. लेकिन यह आर्थिक सहायता भी सरकार ने अपनी गलती ना मानते हुए सड़क हादसा बता कर जारी की.
50 लाख रुपये और नौकरी की मांग
जैसे ही 'सड़क हादसे में सचिन की मौत' वाला लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो विपक्ष हमलावर हो गया. सबसे पहले बांदीकुई नगर पालिका के वाइस चेयरमैन राजेश शर्मा ने राजस्थान की भजनलाल सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 'सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए अब सचिन शर्मा की मौत को सड़क हादसे का रंग दे रही है, जो गलत है.' वहीं सचिन शर्मा की मौत को लेकर कांग्रेस पहले से ही हमलावर है. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट के जरिए भजनलाल सरकार को घेरते हुए सचिन शर्मा के परिवार को 50 लाख रुपए तथा एक आदमी को सरकारी नौकरी देने की मांग तक कर डाली है.
9 दिन बाद मिले सिर्फ 5 लाख रुपये
वहीं राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा, 'एसएमएस अस्पताल में गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने के कारण जान गंवाने वाले सचिन शर्मा के परिजनों से मुलाकात की. इस मामले में राज्य सरकार ने बेहद असंवेदनशील रवैया अपनाया है. आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार की आजीविका कमाने वाले सचिन शर्मा की मृत्यु के 9 दिन बाद परिजनों को केवल 5 लाख रुपये की मामूली सहायता देना नाकाफी है. इस सहायता के लिए भी परिजनों को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा. मेरी सरकार से मांग है कि सरकारी लापरवाही के इस मामले को विशेष प्रकृति का मानकर परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं एक परिजन को रोजगार दिया जाए.'
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