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This Article is From Sep 29, 2023

Rajasthan Election 2023: राजस्थान की राजनीति का दूसरा केंद्र बना सालासर धाम, गहलोत-वसुंधरा के बाद अब बेनीवाल ने ली शरण

नेताओं के लगातार देव दर्शन और सालासर के दौरे से इशारा मिल रहा है कि इस बार हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनैतिक दल बाला जी के दर्शन कर रहे हैं.

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Rajasthan Election 2023: राजस्थान की राजनीति का दूसरा केंद्र बना सालासर धाम, गहलोत-वसुंधरा के बाद अब बेनीवाल ने ली शरण

Churu News: विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इन दिनों राजस्थान में राजनैतिक पार्टियों की नींद गायब है. वे तरह-तरह के कैंपेन चलाकर जनता को प्रभावित करना चाह रही हैं. दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा ने उम्मीदवारों पर अपना मंथन तेज कर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर चुनाव प्रचार अभियान को भी अब राजनीतिक दल धार देते हुए नजर आ रहे हैं. कांग्रेस भाजपा जहां एक ओर जयपुर में बड़ी सभा कर शक्ति प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के बड़े नेता देव दर्शन कर हिंदू वोटों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं.

चूरू के सालासर में भी इन दिनों चुनावी तपिश महसूस की जा सकती है. सालासर इन दिनों राजनीति का मुख्य केंद्र बना हुआ है. यहां पर लगातार राजनीति के सूरमा आ रहे हैं. इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि सालासर इन दिनों राजनेताओं का अड्डा बना हुआ है. जहां 27 सितम्बर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सालासर बालाजी के दर्शन कर राजस्थान में फिर से वापसी का आशीर्वाद मांगा तो वहीं 28 सितंबर को हनुमान बेनीवाल बालाजी की शरण में आए. 

सालासर से ही आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने अपने पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के चुनावी अभियान की शुरुआत सत्ता संकल्प यात्रा से शुरू की. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी चूरू के सालासर में अपना जन्मदिन मना कर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया था और राजे के जन्मदिन पर हुई बड़ी जनसभा को शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा गया था.

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बालाजी की शरण में आए हनुमान 

राजस्थान में व्यवस्था सत्ता परिवर्तन को लेकर संकल्प यात्रा निकालकर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने चूरू जिले के सिद्धपीठ सालासर बालाजी धाम से हुंकार भरी. सालासर की धरा पर पहुंचने के बाद सबसे पहले बेनीवाल ने बालाजी मंदिर पहुंचकर दरबार में शीश नवाया और देश-प्रदेश में खुशहाली की कामना की. इस अवसर पर आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस सरकार व भाजपा पर जमकर प्रहार किया.

बेनीवाल ने शेखावाटी के वीरों को नमन करते हुए बालाजी का जयकारा लगाया और भाषण की शुरुआत की. वहीं उन्होंने कहा कि राजस्थान का मान-सम्मान बचाने व युवाओं को रोजगार प्रदान करना मेरी प्राथमिकता रहेगी. बेनीवाल ने कांग्रेस की गहलोत सरकार को पेपरलीक मामले में घेरते हुए कहा कि सरकार के मिलीभगत से दोषी व्यक्तियों को बचाया जा रहा है. बेनीवाल ने कहा कि प्रदेश में अपराध चरम पर है, महिलाओं-दलितों पर अत्याचार रोकने में गहलोत सरकार नाकामयाब रही है.

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सीएम गहलोत ने भी लगाई थी हाजिरी 

राजस्थान में सत्ता वापसी को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने भी भगवान की शरण में हाजिरी लगाई.  मुख्यमंत्री गहलोत ने 27 सितम्बर को चूरू जिले के सिद्धपीठ सालासर बालाजी धाम के दौरे पर रहे. मुख्यमंत्री गहलोत ने खाटू श्याम से सीधे हेलिकॉप्टर द्वारा सालासर पहुंचे जहां पर उन्होंने बालाजी के दरबार मे पूजा-अर्चना की. हालांकि सीएम अशोक गहलोत का सालासर दौरा महज 20 मिनट का रहा. सीएम अशोक गहलोत बिना किसी से मिले सीधे मंदिर परिसर पहुंचे और बालाजी महाराज के दर्शन किए.

इससे पूर्व अशोक गहलोत कई मौकों पर सालासर बालाजी मंदिर में आ चुके है. अब चुनाव सिर पर है तो ऐसे में सीएम अशोक गहलोत का सालासर बालाजी मंदिर में आना कई मायनों में महत्वपूर्ण है और राजनीतिक पंडित इसके कई अर्थ निकाल रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सीएम अशोक गहलोत के दौरे से इशारा मिलता है कि अब कांग्रेस बजरंगबली का आशीर्वाद चाहती है. क्योंकि पिछले साल सालासर बालाजी का गेट गिरा दिया गया था. इसे लेकर भाजपा ने सरकार की खूब आलोचना की थी.

अब कांग्रेस सालासर बालाजी के बहाने प्रदेश की जनता को सकारात्मक संदेश देना चाहती है. हाल ही में भी भाजपा द्वारा निकाली गई परिवर्तन यात्रा में सालासर गेट का दरवाजा गिराए जाने का मामला उठा रही थी. विशेष रूप से नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ इस मामले को लेकर कांग्रेस पर हमलावर थे. अपनी हर सभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ कांग्रेस को हिंदू विरोधी बता रहे हैं और कांग्रेस के ऊपर हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में अर्चन डालने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं सीएम अशोक गहलोत सालासर का दौरा कर हिंदू मतदाताओं को संदेश देना चाहते हैं कि वे उनके साथ हैं.

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वसुंधरा राजे ने मनाया था अपना जन्मदिन 

सालासर बालाजी इतने अहम क्यों होते जा रहे हैं. इसके पीछे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का अपना जन्मदिन सालासर में आकर मनाना बताया जा रहा है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का सालासर धाम में जन्मदिन का कार्यक्रम एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया. इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में राजे समर्थक और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. इस दौरान वसुंधरा ने सालासर में शक्ति प्रदर्शन करते हुए विशाल सभा की थी. सभा में लाखों की संख्या में भीड़ भी जुटी थी. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने जमकर कांग्रेस पर हमला बोला था और इसी दिन भाजपा का विधानसभा घेराव का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ था जिसमें राजे के शामिल नहीं होने पर चर्चाएं भी खूब हुई थी।

देव-दर्शन के हैं राजनैतिक मायने

राजनीति में हर चीज के मायने होते हैं. नेताओं के लगातार देव दर्शन और सालासर के दौरे से इशारा मिलता है कि इस बार हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए अभी से राजनैतिक दल प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में सालासर बालाजी के दर्शन कर राजनेता हिंदू मतदाताओं को अपने पाले में लाना चाहते हैं. हिंदू मतदाताओं को खुश करने में भाजपा कांग्रेस और आरएलपी तीनों ही दल अब पीछे नहीं रहना चाहते हैं.

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