Sanjeevani Scam: गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट मिलने के सियासी मायने, गहलोत की मुश्किलें क्यों और कैसे बढ़ेगी?

Gajendra Singh Shekhawat Vs Ashok Gehlot: संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाई कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद गहलोत की मुश्किलें बढ़ने की चर्चा हो रही है. यह क्यों और कैसे होगा आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.

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Sanjeevani Scam: करीब 900 करोड़ के संजीवनी घोटाले में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) को क्लीन चिट (clean chit) मिल गया है. राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) से मिली क्लीन चिट के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, "आज सत्य की जीत हुई है. किसी भी सत्य को झूठ के आडंबर से बहुत दिन तक ढंका नहीं जा सकता है." अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जोधपुर सांसद ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का नाम लिए बिना उनपर तीखा हमला भी किया. मंत्री ने कहा कि पुत्र मोह में मुझपर झूठे आरोप लगाने वालों के चेहरे पर आज अदालत के फैसले से तमाचा लगा है. 

शेखावत को क्लीन चिट, गहलोत की मुश्किलें बढ़ेगी

संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव प्रकरण मामले (Sanjivani Credit Cooperative Society scam) में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाई कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद अब इस फैसले पर सियासी चर्चा हो रही है. लोग इस फैसले के सियासी मायने निकाल रहे हैं. राजनीतिक मामलों के जानकारों के अनुसार शेखावत को मिली क्लीन चिट गहलोत की मुश्किलें बढ़ाएगी. यह क्यों और कैसे होगा आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में. 

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पहले जानिए संजीवनी घोटाले में क्या हुआ फैसला

बुधवार को SOG की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान हाई कोर्ट की जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच ने गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट दे दी. जस्टिस मोंगा की बेंच ने आदेश पारित करते हुए कहा रिपोर्ट के आधार पर कोई मामला नहीं बनता है. कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि SOG द्वारा प्रस्तुत की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. 

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एडवोकेट आदित्य विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि SOG ट्रायल कोर्ट से अनुमति लिए बिना शेखावत के खिलाफ आगे की जांच नहीं कर सकती है.

फैसले पर बोले शेखावत- मुझे फंसाने का कुत्सित प्रयास किया गया

कोर्ट द्वारा क्लीन चिट मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री शेखावत ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का नाम लिए बिना उन्हें लपेटे में लिया. शेखावत ने कहा, "अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं, अपने बेटे की पराजय और प्रदेश की जनता द्वारा भाजपा को विजय दिलाने की खीझ से उपजी मानसिकता के तहत जिस तरह झूठे केस में मुझे घसीटने को कोशिश की गई थी. आज राजस्थान उच्च न्यायालय ने उस केस को बंद कर दिया है और आगे भी कोर्ट के आदेश के बिना जांच नहीं करने का आदेश भी दिया है. कोर्ट का आदेश इस बात बात को साबित करता है कि मुझे फंसाने का किस तरह का कुत्सित प्रयास किया गया था."

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अब समझिए इसके सियासी मायने, कैसे गहलोत की बढे़गी परेशानी

संजीवनी केस में गजेंद्र सिंह शेखावत निर्दोष साबित हुए. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय शेखावत पर करीब 900 करोड़ रुपए के घोटाले का यह संगीन आरोप लगा था. पिछली सरकार में CM ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया था. मामला यहां तक बढ़ा कि गजेंद्र सिंह शेखावत को अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का केस करना पड़ा.

प्रदेश में और मजबूत होगा शेखावत का कद

जानकारों का मानना है कि अब इस मामले में शेखावत के निर्दोष साबित होना आरोप लगाने वालों के लिए बड़े धक्के जैसा है. संजीवनी घोटाले में निर्दोष साबित होने के शेखावत अब प्रदेश में और ताक़तवर होंगे. राजस्थान भाजपा में उनका और कद बढ़ेगा. शेखावत ने खुद अपने बयान में कहा कि मुझे फंसाने वाले लोगों के मुंह पर यह तमाचा है.

गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि का केस होगा मजबूत 

साथ ही इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद शेखावत का गहलोत के खिलाफ किया मानहानि का केस भी काफी मजबूत हो जाएगा. मानहानि के इस केस में संभव है कि अशोक गहलोत को माफी भी मांगनी पड़ी. फिलहाल गहलोत फोन टैपिंग मामले में भी मुश्किल में घिरे हैं, क्योंकि उनके ओएसडी रहे लोकेश शर्मा से दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पूछताछ शुरू कर दी है. ऐसे में गहलोत अब दोहरी परेशानी में घिरते नजर आ रहे हैं. 

क्या है संजीवनी घोटाला

संजीवनी घोटाले की जड़ 2008 में जमी. उस साल राजस्थान में संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराया गया था. 2010 में यह सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई. राजस्थान में 211 और गुजरात में 26 शाखाओं सहित भारत के कई अन्य राज्यों में भी अपनी शाखाएं खोलीं, जिसमें करीब 1 लाख 46 हजार 993 निवेशकों से 953 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश राशि हासिल कर ठगी की गई थी. 

मास्टरमाइंड विक्रम सिंह से शेखावत का संबंध नहीं मिला

इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह थे. विक्रम सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कनेक्शन भी बताया जाता है और दोनों की साथ में तस्वीर वायरल हुई थी.  विक्रम सिंह को ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है. लेकिन एसओजी की जांच में विक्रम सिंह और गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कोई रिश्ता या आर्थिक लेनदेन की पुष्टि नहीं हुई.

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