
Rajasthan: सीकर जिले में जेठ पूर्णिमा पर वन विभाग की ओर से वाटर हॉल पद्धति से वन्य जीवों की गणना की जा रही है. सीकर के नीमकाथाना में 12 और पाटन में 10 वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. अगर जिले की बात करें, तो पूरे जिले में 86 वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. बुधवार देर रात डीएफओ गुलझारी लाल जाट और एसीएफ वाइड लाइफ श्रवण बाजिया ने वाटर पॉइंट का निरीक्षण किया. नीमकाथाना के बालेश्वर 10 हेक्टेयर पर वन कर्मियों ने पैंथर दहाड़ सुनाई दी और पैंथर दिखाई दिया.
64 हजार हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया
डीएफओ गुलझारी लाल जाट ने बताया कि जिले में 64 हजार हेक्टेयर भूमि फॉरेस्ट एरिया है. वन्य जीवों की बढ़ोतरी के लिए साल में एक बार गर्मी के मौसम में वाटर हॉल पद्धति से वन्य जीवों की गणना करके आकलन किया जाता है. यदि आंकलन में इनकी संख्या में वृद्धि हो जाती है, तो ये समझा जाता है कि फोरेस्ट एरिया सुरक्षित हैं . और ये धीरे धीरे जितना डिग्रेडेशन होता जाता है उतना ही जानवर बाहर की ओर निकलना शुरू कर देते हैं.

वाटर हॉल पद्धति से वन्य जीवों की गणना की जा रही है.
86 वाटर पॉइंट पर गणना की जा रही है
वन्य जीव पलायन करना शुरू कर देते हैं, जिससे कि जानवरों की संख्या में गिरावट आ जाती है. उन सभी चीजों को देखते हुए जिले में 86 वाटर पॉइंट पर गणना की जा रही है. प्रत्येक पॉइंट पर दो क्रमिक लगाए गए हैं . रेंजर जोगिंदर सिंह ने बताया कि वाटर हॉल पद्धति से वन्य जीव गणना की जा रही है. इस पर अच्छी खबर यह है कि पिछली बार 2 सांभर यहां देखने को मिले थे. लेकिन इस बार अभी तक 7 सांभर देखने को मिल चुके हैं. इसके साथ ही बालेश्वर 10 हेक्टेयर पॉइंट पर पैंथर दिखाई दिया और पैंथर की दहाड़ भी सुनाई दी.
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