Rajasthan News: राजस्थान में सीकर शहर के पास नानी गांव में बने गंदे पानी के डैम मिट्टी की दीवार टूट गई. जिसके बाद जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे के दोनों तरफ पानी भर गया. हर समस्या इस जगह पर वर्षों से बनी हुई है. जिसकी वजह से नानी और बढ़ाढर गांव, सहित करीब आधा दर्जन आसपास के गांव और ढाणी के लोग परेशान है. गंदा पानी लोगों के खेतों और घरों में घुसने के साथ ही हाईवे पर लगातार बहता रहता है. जिसके कारण इस हाईवे कई एक्सीडेंट हो चुके हैं और आगे भी हादसे होने की संभावना बनी हुई है.
जयपुर-बीकानेर हाईवे से सरकार के मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक, जनप्रतिनिधि और आमजन का वाहनों से आना-जाना रहता हैं. लेकिन इसके बावजूद भी नगर परिषद और जिला प्रशासन इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं कर पाया. जिला प्रशासन की ओर से बार-बार ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों को जल्द समस्या का समाधान करने का आश्वासन देकर मामले को शांत कर दिया जाता है.
खेतों और घरों में घुस रहा गंदा पानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के समय तो इलाके के हालात काफी गंभीर हो जाते हैं और नानी गांव का कच्चा बांध बार-बार टूट जाता है. बांध के टूटने से शहर से गंदी नालियों, उद्योग धंधों से आने वाला केमिकल युक्त पानी नानी गांव और आसपास के गांवों के खेतों में घुस जाता है. जिससे किसानों की फसल चौपट हो जाती है और घरों में गंदा पानी घुसने से बीमारी फैलने का खतरा भी बना रहता है. नानी गांव के डैम के टूटने की समस्या के स्थाई समाधान करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया लेकिन आज तक स्थाई समाधान नहीं हुआ.
'सरकार में कोई सुध लेने वाला नहीं'
नानी गांव की इस समस्या को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोडसरा ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि सड़कों की क्या दुर्दशा हो रही है. पिछले कई महीनों से सीकर नानी सर्किल से बढाढर NH हाइवे पर कई किलोमीटर तक पानी भरा है, लेकिन सरकार में कोई सुध लेने वाला नहीं है. हाइवे के दोनों ओर सड़क पर जमे पानी से दुर्घटना की संभावना बनी हुई है. लेकिन प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग सब सो रहे हैं और जनता भुगत रही है. सरकार को अतिशीघ्र इसका संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
पाइप डालकर निकाला जाएगा पानी
सीकर नगर परिषद की अधिशासी अभियंता प्रतिभा चौधरी का कहना है कि नानी बांध के टूटने और ओवरफ्लो होकर पानी सड़क पर आने की समस्या का पाइप लाइन डालकर एक बार अस्थाई प्रबंध किया जा रहा है. समस्या के समाधान के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है. पूरी परियोजना के लिए करीब साढे़ 350 करोड़ का खर्चा आएगा. अभी पूरे बजट की उपलब्धता नहीं है. संभवत मार्च तक बजट की उपलब्धता होते ही परियोजना का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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