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राजस्थान में जमीन हो रही है 'जहरीली', रिसर्च में हुआ है बड़ा खुलासा

रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के चार जिलों को छोड़कर सभी जिलों की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा कम हो गई है. इससे शारीरिक बीमारियां बढ़ रही है और एलर्जी की दिक्कत सबसे अधिक देखी जा रही है.

राजस्थान में जमीन हो रही है 'जहरीली',  रिसर्च में हुआ है बड़ा खुलासा

Rajasthan Poisonous Land: राजस्थान में बहुत बड़ा क्षेत्र रेगिस्तान है जहां बालू ही बालू है. राजस्थान में 61 प्रतिशत भूमि मरुस्थल है या अर्द्ध मरुस्थल है. जबकि महज 39 प्रतिशत भूमि ही उपजाऊ है. लेकिन राजस्थान की यह 39 प्रतिशत उपजाऊ भूमि भी अब जहरीली होती जा रही है. इस चिंताजनक बात का खुलासा एक रिसर्च में हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च में जमीन की जहरीली होने की बात सामने आई है.

रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के चार जिलों को छोड़कर सभी जिलों की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा कम हो गई है. इससे शारीरिक बीमारियां बढ़ रही है और एलर्जी की दिक्कत सबसे अधिक देखी जा रही है. इसका बड़ा कारण अधिक उत्पादन की चाह में किसानों द्वारा आवश्यकता से ज्यादा रासायनिक खाद यूरिया ओर डीएपी के साथ ही फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव है.

जहरीली जमीन शरीर में घोल रही है जहर

किसानों द्वारा रासायनिक खाद के ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी खराब होती जा रही है. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है. इसी के कारण धान ओर अन्न में पोषक तत्व भी कम हो रहे हैं.  मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा कम हो गई है और रही सही कसर हाइब्रिड बीजों ने पूरी कर दी है. डॉक्टर्स के अनुसार इससे इंसानों में कई शारीरिक बीमारियां देखने को मिल रही है. जिनमें एलर्जी की दिक्कत ज्यादा हो रही है. इसके साथ कैंसर की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. कारण साफ है कि कीट नाशक हमारे शरीर में जहर घोल रहे है.

टोंक जिले के अविकानगर पंहुचे किसान आयोग के अध्यक्ष सीआर चोधरी ने पशुपालकों ओर किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान परम्परागत खेती के स्थान पर नवीन तकनीक एवं जैविक खेती को लेकर नवाचार करें. टोंक जिले के उपखंड मालपुरा में स्थित केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में गुरुवार को किसान संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष सी आर चौधरी ने कहा था कि किसान परम्परागत खेती के स्थान पर नवीन तकनीक एवं जैविक खेती को लेकर नवाचार करें. आने वाला समय प्रोडक्शन विद क्वालिटी का है. गुणवत्तापूर्ण खेती एवं पशुपालन से किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते है.

महिलाओं को कृषि की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन राशि

किसान आयोग के अध्यक्ष ने कृषि क्षेत्र में अध्ययन कर रहे युवाओं से आह्वान किया कि वे फूड प्रोसेसिंग स्टार्टअप पर ध्यान दें. केंद्र और राज्य सरकार इसे प्रोत्साहित करने के लिए युवाओं को बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के तहत छात्राओं को कृषि में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कृषि तथा पीएचडी में अध्ययन के लिए प्रोत्साहन राशि दे रही है.

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