अनोखी है भगवान गणेश की ये मूर्ति, बनने में लगे पूरे 19 साल, मांगी हर मन्नत होती है पूरी!

बीकानेर में भगवान गणेश की एक ऐसी मूर्ति है जिसको केवल पुष्य नक्षत्र में बनाया गया है. इस मूर्ति को बनने में 19 साल 4 महीने का समय लगा है.

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Rajasthan News: भगवान गणेश को हमारे यहां विध्नहर्ता, गजानन्द, सिद्धि विनायक के अलावा और भी कई नामों से जाना जाता है. हमारे देश में इनके लाखों मंदिर हैं. वहीं बीकानेर के एक घर में एक ऐसे भी भगवान गणेश हैं, जिनकी मूर्ति सौ सालों से ज़्यादा पुरानी है और उस मूर्ति को बनने में भी 19 साल चार महीने का समय लगा था. इस मूर्ति को सन्त बालकनाथ ने बनाया था. सन्त बालक नाथ बीकानेर में ही अपनी कुटिया बना कर रहते थे और भगवान गणेश के उपासक थे. संत को आध्यात्मिक रूप से सिद्धि विनायत की मूर्ति बनाने का आदेश मिला, मगर शर्त ये थी कि इसे सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही तैयार करना है. यह मूर्ति बीकानेर के बिन्नानी चौक की दुजारी गली में रहने वाले पुरोहित परिवार के पास है. 

हर बार नए औजारों का किया प्रयोग 

सन्त बालकनाथ ने भगवान गणेश का आदेश मान कर उनकी मूर्ति का निर्माण शुरू किया. संत चाहते थे कि यह मूर्ति आम मूर्तियों की तरह ना हो बल्कि कुछ हटकर हो. ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया कि मूर्ति निर्मित बनाने के लिए सफेद आक की लकड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए. संत ने पुष्य नक्षत्र में इसकी शुरुआत की और जब भी पुष्य नक्षत्र का योग बनता वे मूर्ति निर्माण में जुट जाते और योग के खत्म होते ही काम रोक देते. सबसे खास बात ये थी कि मूर्ति बनाने के लिए सन्त बालकनाथ ने हर बार नए औजारों का इस्तेमाल किया था. पुष्य नक्षत्र के एक योग में प्रयोग किए गए औजारों का इस्तेमाल वे दुबारा नहीं करते थे. साथ ही पूरी तरह सात्विक जीवन जीना भी इसके लिए जरूरी शर्त थी, जिसका पालन वे करते थे. 

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धन-धान्य से भरपूर है पुरोहित परिवार

भगवान गणेश की विशेष मूर्ति रखने वाला पुरोहित परिवार शिक्षा, संस्कृति और धन-धान्य से भरपूर है. यह परिवार इसे भगवान गजानन्द की ही कृपा मानता है. घर की मालकिन अंजू पुरोहित बताती हैं कि वे जब से शादी कर के यहां आईं तो उन्होंने नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा होते देखी है. भगवान के आशीर्वाद और कृपा से उन्होंने जो मांगा उन्हें मिला है. विध्नहर्ता की कृपा से उनके हर काम हो जाते हैं और परेशानियां और तकलीफें आने से पहले ही भगवान गणेश उन्हें हर लेते हैं.

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