सुप्रीम कोर्ट ने खींची लक्ष्मण रेखा, दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला, पूरे देश पर लागू होगा आदेश

सुप्रीम कोर्ट को आवारा कुत्तों पर अपने हालिया फैसले को लेकर काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसे लेकर आज यानी 22 अगस्त को उसने एक बार फिर अंतरिम फैसला सुनाया है जो राजस्थान समेत पूरे देश में लागू होगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Supreme Court Vertict on stray Dogs: देश भर में आवारा कुत्तों पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के सुनाए गए फैसले को लेकर डॉग लवर्स में काफी गुस्सा देखने को मिला था जिसे लेकर लोग सड़कों पर उतरने लगे थे. जगह जगह आवारा कुत्तों को बाड़े से छुड़ाने की खबरे तक आने लगी थी. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर फिर से एक बार सुनवाई करने का मन बनाया था जिसपर आज एक अहम फैसला सुनाया है जो राजस्थान समेत पूरे देशभर में लागू होगा. 

टीकाकरण और नसबंदी को लेकर कही ये बात

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के बारे में एक अहम है. अदालत ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर से पकड़े गए आवारा कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हीं इलाकों में छोड़ दिया जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था.  तीन न्यायाधीशो की पीठ ने साथ ही कहा है कि आक्रामक या रेबीज से संक्रमित कुत्तों का टीकाकरण किया जाए. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पूरे देश में लागू होगा. अदालत ने साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगा दी है.

सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर प्रतिबंध

कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सार्वजनिक स्थानों, जैसे सड़कों और पार्कों में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस प्रतिबंध का उद्देश्य सड़कों पर कुत्तों के जमावड़े को रोकना और संभावित हादसों को टालना है.

MCD बनाएगी फीडिंग जोन और हेल्पलाइन नंबर

इस समस्या का एक व्यवाहारिक समाधान पेश करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में आवारा कुत्तों के लिए 'फीडिंग एरिया' यानी भोजन क्षेत्र बनाएं. इन निर्धारित स्थानों पर ही पशु प्रेमी कुत्तों को भोजन करा सकेंगे. इसके साथ ही, MCD को इस आदेश के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी स्थापित करने का निर्देश दिया गया है.

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मामले से जुड़े कुछ बड़े सवाल और उनके जवाब

Q1: क्या अब दिल्ली-NCR में सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है?
A: हां, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित है. इसके लिए MCD द्वारा निर्धारित फीडिंग एरिया बनाए जाएंगे.

Q2: सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला क्या पूरे भारत पर लागू होगा?
A: हां, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि 'पैन इंडिया' यानी पूरे देश पर लागू होगा.

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Q3: क्या नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों को उनके इलाके में छोड़ा जाएगा?
A: हां, नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था. हालांकि, यह उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जिनमें रेबीज या आक्रामकता के लक्षण हों.

Q4: अगर कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है तो क्या होगा?
A: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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Q5: क्या पशु प्रेमी अब कुत्तों को गोद ले सकते हैं?
A: हां, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पशु प्रेमी कुत्तों को गोद लेने के लिए MCD के समक्ष आवेदन कर सकते हैं.

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NGO और पशु प्रेमियों के लिए भी निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शामिल NGO और पशु प्रेमियों के लिए भी सख्त निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक NGO/पशु प्रेमी को 25,000  हाजार से 2 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह राशि किस उद्देश्य के लिए है. इसके अलावा, पशु प्रेमी कुत्तों को गोद लेने के लिए MCD के समक्ष आवेदन कर सकते हैं.

सरकारी कर्मचारियों को काम से रोकने पर होगी कार्रवाई

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति आवारा कुत्तों से संबंधित सरकारी कार्यों में किसी लोक सेवक को बाधा पहुंचाता है, तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. यह निर्देश सरकारी कर्मचारियों को बिना किसी बाधा के अपना काम करने में मदद करेगा, विशेषकर कुत्तों को पकड़ने और उनका टीकाकरण करने के दौरान.

अपील पर खर्च होंगे 25 हजार से 2 लाख रुपये

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनाया, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और एनवी अंजारिया शामिल थे. कोर्ट ने इस संबंध में सभी राज्यों से 8 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है, जिसके बाद फिर सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा है कि अगर डॉग लवर्स इस मामले में कोर्ट में अपनी बात रखना चाहते हैं, तो उन्हें 25 हजार से 2 लाख रुपये तक जमा कराने होंगे.
 

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