इस नेशनल पार्क में कछुओं की मौत से हड़कंप, क्या है कछुओं की मौत की वजह, क्या बोले डीएफओ?

डीएफओ मानस सिंह ने कहा कि कुछ लोग कछुआ की मौत की झूठी खबर फैला कर अन्य लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले जीवों के द्वारा ही कछुओं का शिकार किया जा रहा है.

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पार्क में मृत पाए गए कुछए
भरतपुर:

जिले के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कछुओं की मौत को लेकर शहर में हड़कंप मच गया है. पूरे जिले में यह अफवाह तेजी से फैल रही है कि प्रदूषित जल की वजह से उनकी मौत हो रही है. हालांकि डीएफओ की मानें तो कछुओं की मौत की असल वजह नेशनल पार्क में रहने वाले जीवों के द्वारा उनका शिकार किया जाना है.

डीएफओ मानस सिंह ने कहा कि कुछ लोग कछुआ की मौत की झूठी खबर फैला कर अन्य लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले जीवों के द्वारा ही कछुओं का शिकार किया जा रहा है.

जानकारी देते हुए डीएफओ ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले जीवों के द्वारा ही कछुओं का शिकार किया जा रहा है. डीएफओ ने कहा कि नेशनल पार्क या किसी भी टाइगर रिजर्व में चीतल और हिरण का शिकार होना आम बात है. उन्होंने कछुओं की मौत के कारणों को लेकर फैलाई जा रही अफवाह को सिरे से खारिज कर दिया है.

डीएफओ स्पष्ट करते हुए कहा कि उद्यान में कछुओं की मौत का कारण शिकार है. उन्होंने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि ताकतवर जानवर कमजोर जानवर का शिकार करता है. उन्होंने कहा कि उद्यान में जिन कछुओं की मौत हो रही है, उनका शिकार सियार के द्वारा किया जा रहा है.

उनके मुताबिक रात्रि के समय जब कछुआ बाहर निकलता है तो सियारों का झुण्ड उसका शिकार कर लेता है और उसको उलटा पलटकर उसके अंगों को खा जाता है. बल्कि खोल को वहीं छोड़ देता है. इस राष्ट्रीय उद्यान में कछुआ और सियार की संख्या अधिक है. जिस वजह से ऐसी घटनाएं सामने आ रही है.

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