Rajasthan News: राजस्थान का टोंक जिला, जो अपनी पुरानी इमारतों, बड़ी मस्जिदों और मीठे खरबूजों के लिए जाना जाता है, इन दिनों एक तालाब को लेकर चर्चा में है. जिले के लाम्बा गांव का प्राचीन तालाब दो गांवों के बीच विवाद का कारण बन गया है. लाम्बा और परासिया गांव के लोग इस तालाब की चादर की ऊंचाई को लेकर आमने-सामने हैं. यह तालाब किसी के लिए वरदान है तो किसी के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है.
तालाब की ऊंचाई पर बवाल
लाम्बा गांव के पास बने इस प्राचीन तालाब की चादर की ऊंचाई को लेकर विवाद गहरा गया है. परासिया गांव के लोग कहते हैं कि इस बार 11 से 70 मिमी से अधिक बारिश होने के कारण तालाब का पानी बढ़ गया, जिससे उनकी करीब 2 हजार बीघा जमीन डूब गई. वे तालाब की चादर की ऊंचाई कम करने की मांग कर रहे हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं.
दूसरी ओर, लाम्बा और छापरिया गांव के लोग चाहते हैं कि चादर की ऊंचाई को ज्यों का त्यों रखा जाए. इसके लिए उन्होंने टोंक कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की है कि तालाब का ढांचा न बदला जाए.
ग्रामीणों में तनाव, धरना-प्रदर्शन जारी
मेहंदवास पुलिस थाना क्षेत्र के इस तालाब को लेकर माहौल गर्म है. जैसे ही चादर की ऊंचाई कम करने की बात उठती है, लाम्बा गांव के लोग लाठी-डंडों के साथ तालाब के पास डट जाते हैं.
वहीं परासिया गांव के लोग लाम्बा पंचायत के बाहर धरना दे रहे हैं. उनका कहना है कि तालाब की ऊंचाई के कारण उनकी जमीनें बर्बाद हो रही हैं. इस तालाब का चादर 1986 में बनाया गया था, जो अब विवाद का केंद्र बन गया है.
तालाब बना वरदान और अभिशाप
छापरिया ढाणी के लोगों के लिए यह तालाब आवागमन का एकमात्र रास्ता है. अगर चादर की ऊंचाई कम हुई तो उनका रास्ता बंद हो सकता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि ऐसा हुआ तो वे कलेक्ट्रेट पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे. दूसरी ओर, परासिया गांव के लोग ऊंचाई कम करने की मांग को लेकर अड़े हैं.
अब प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सिंचाई विभाग इस मामले की जांच कर रहा है. यह विवाद अब प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है. दोनों पक्षों की मांगों को संतुलित करना आसान नहीं. ग्रामीणों की भावनाएं आहत हैं और तनाव बढ़ रहा है.
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