Udaipur Leopard Terror: राजस्थान के उदयपुर जिले में बीते एक माह से लेपर्ड का आतंक कायम है. आदमखोर को पकड़ने के लिए वन विभाग के साथ-साथ आर्मी के जवान और शूटरों की पूरी टीम तैनात की गई है. लेकिन इसके बाद भी लेपर्ड अभी तक पकड़ में नहीं आया है. उदयपुर की गोगुंदा तहसील में लेपर्ड के आतंक से 7 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि झाड़ोल की मौत को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 8 तक पहु्ंच जाता है.
हालांकि राहत की बात यह है कि 13 दिन में 7 लोगों को मौत के घाट उतारने वाला आदमखोर लेपर्ड पिछले 7 दिन से शांत है. क्योंकि कही भी इंसान पर हमले की गोगुंदा तहसील में घटना नहीं हुई.
1. लेपर्ड के किया बिछाया पिंजरे का जाल
गोगुंदा तहसील में जैसे ही 19 सितंबर को सबसे लेपर्ड ने 16 साल की नाबालिग का शिकार किया था. उसके बाद से वन विभाग ने पिंजरे लगाने शुरू किए. बकरी और कुत्ते का चारा रखा. आदमखोर लेपर्ड पिंजरे के पास तक आया और स्मेल करके फिर लौट गया. जितने अटैक होते गए वन विभाग ने सभी जगह पिजारा लगाया लेकिन यह तरकीब काम नहीं आई.
2. कैमरा ट्रैप लगाया ताकि मूवमेंट का पता चले
वन विभाग की टीम द्वारा शुरू से ही लेपर्ड के मूवमेंट का पता करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए जहां घटना हुई उसके आसपास और जहां उसका मूवमेंट हो सकता है, उन सभी जगह कैमरा ट्रैप लगाए. अभी भी अलग-अलग जगहों पर 12 से ज्यादा कैमरा ट्रैप लगाए गए है. आदमखोर लोगों को तो नजर आ गया लेकिन कैमरा ट्रैप में नहीं नजर आया.
3. ट्रेंकूलाइज टीमें बुलाई, चप्पे-चप्पे पर तैनाती
आदमखोर को शूट एट साइट के आदेश आने से पहले पकड़ने के लिए वन विभाग ने 3 ट्रेंकूलाइज टीमें बुलाई. इसमें राजसमंद, उदयपुर और जोधपुर की थी. शूट के आदेश के बाद रणथंभौर सहित अन्य जगह से शूटर बुलाए. अभी करीब 12 शूटर तैनात है. लेकिन अभी तक किसी के भी गन प्वाइंट पर आदमखोर नहीं आया.
4. जंगल की छानबीन के लिए आई आर्मी
वन विभाग की टीम को कामयाबी नहीं मिल रही थी तो जंगल की छानबीन के लिए आर्मी बुलाई गई. आर्मी जंगल में तैनात भी रही और हाई क्वालिटी ड्रोन भी उड़ाया. लेकिन शातिर आदमखोर अपने आप को बचाने में कामयाब रहा. ना तो ड्रोन में दिखा ना आर्मी के सर्च में ही.
5. मादा लेपर्ड को लाए और जंगल में रखा
लेपर्ड को पकड़ने के लिए हर प्रयास वन विभाग करता हुआ नजर आया लेकिन किसी में सफलता नहीं मिली. ऐसे उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से एक मादा लेपर्ड को लेकर आए. पिंजरे में बंद मादा लेपर्ड को जंगल में रखा,, ताकि गंध से आदमखोर आए जाए, लेकिन तब भी नहीं आया.
6. इंसानी शव को पूरे दिन बनाया चारा
लेपर्ड के लिए कहा जाता है कि वह शिकार करने के बाद दुबारा अपने शिकार को लेने जरूर आता है. लेपर्ड ने सुआवतो का गुड़ा में महिला का शिकार किया था. मौत होने के बाद महिला के शव को वहीं रहने दिया लेकिन शातिर आदमखोर नहीं आया.
7. पारंपरिक तरीका भी अपनाया गया
जब इन सब तरीकों से भी आदमखोर पकड़ में नहीं आया तो वन विभाग ने पुलिस, ग्रामीण, आर्मी सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों द्वारा घेराबंदी को योजना बनाई. जंगल में घेराबंदी के दौरान आमदखोर दिखा भी, लगा कि कामयाबी मिल जाएगी. लेकिन आदमखोर वहां से भी चकमा देकर भाग निकला.
8. डमी इंसानी शरीर रख मादा लेपर्ड का यूरिन छिड़का
जहां महिला पर हमला हुआ था और मौत हुई थी, वहीं एक डमी (इंसानी पुतला) रखा और उसके ऊपर मादा लेपर्ड के यूरिन का छिड़काव किया. इस तरकीब को बेहतर माना जा रहा था लेकिन आदमखोर आस-पास भी नहीं भटका.
9. पगमार्क के लिए मिट्टी बिछाई
वन विभाग ने आदमखोर की मूवमेंट जानने के लिए एक और तरकीब अपनाई जी. जंगल में लेपर्ड के मूवमेंट को जगह सुखी मिट्टी बिछाई गई. ताकि लेपर्ड गुजरे तो उसके पगमार्क दिखे, क्योंकि मानसून के कारण हुई घास से पगमार्क नहीं मिल रहे. इसके लिए अलग अलग जगहों पर मिट्टी बिछाई लेकिन लेपर्ड नहीं पकड़ ने आया है.
10. रूटीन सर्च से भी कर रहे तलाश
सभी तरकीबों का उपयोग करने के बाद भी आदमखोर वन विभाग की पकड़ से दूर है. अब भी अलग अलग टीमें तैनात की हुई है और लेपर्ड के लिए जाल बिछा रखे हैं. पिंजरे के अंदर शूटर बैठे हैं और लेपर्ड के जाल में फंसने का इंतजार कर रहे हैं. उदयपुर के आदमखोर को पकड़ने के अभियान चला रही टीम अभी तक इन सब 10 तरीकों को अपना चुकी है, लेकिन अभी तक उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी है. इससे लोगों में दहशत का माहौल जारी है.
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