अजमेर दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा करने वाले विष्णु गुप्ता को कोर्ट में भी जान का खतरा, जज से की ये डिमांड

Ajmer Dargah Huindu Temple Row: अजमेर दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा करते हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गप्ता को कोर्ट रूम में भी जान का खतरा लग रहा है. विष्णु गुप्ता ने गुरुवार को जज को एक शिकायत पत्र सौंपकर अनाश्यक प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है.

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अजमेर कोर्ट के बाहर पुलिस की सुरक्षा में विष्णु गुप्ता.

Vishnu Gupta Life Threat: अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा करने वाले हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता को बीते दिनों जान से मारने की धमकी मिली थी. इस मामले में उन्होंने दिल्ली के बाराखंबा थाने में पुलिस शिकायत भी दर्ज कराई थी. हालांकि पुलिस शिकायत किए जाने के बाद भी विष्णु गुप्ता की जान पर खतरा बना हुआ है. अब विष्णु गुप्ता ने जज को दिए शिकायत पत्र में कोर्ट रूम में सुरक्षा व्यवस्था और सख्त करने की मांग की है. 

जज को पत्र लिखकर की यह मांग

दरअसल अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाले वादी विष्णु गुप्ता ने सुनवाई के दौरान जज के चैंबर में खतरा होने की आशंका जताते हुए जिला जज मनमोहन चंदेल को एक शिकायत पत्र सौंप कर सुनवाई के दौरान चेंबर में अनावश्यक प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है. साथ ही मुकदमे से संबंधित अधिवक्ताओं और व्यक्ति ही उपस्थित रहे यह उनके द्वारा मांग की गई. 

अजमेर दरगाह में हिंदू मंदिर होने के दावे पर कल होगी सुनवाई

वादी विष्णु गुप्ता ने कहा कि उनके द्वारा न्यायालय में भगवान संकट मोचन महादेव विराजमान व अन्य बनाम दरगाह कमेटी दरगाह ख्वाजा साहब और अन्य मामले में व पक्षकार है. यह मामला सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम में चल रहा है . इस मामले में अगली सुनवाई कल यानी 24 जनवरी 2025 को है.

विष्णु गुप्ता को मिलती रही है धमकी, पिछली तारीख पर जुटी भी भारी भीड़

पूर्व में विष्णु गुप्ता को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही है. जिससे उन्हें सुरक्षा को लेकर चिंता सता रही है.  पिछली तारीख पेशी 20 दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान न्यायालय कक्ष में अत्यधिक भीड़ और व्यवस्था देखी गई. न्यायालय कक्ष में इतनी भीड़ हो गई थी कि पर रखने की भी जगह नहीं थी. उस भीड़ का फायदा उठाकर कोई विष्णु गुप्ता को नुकसान पहुंचा सकता है.

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ऐसी स्थिति को देखते हुए अगली सुनवाई में केवल मामलों से संबंधित व्यक्तियों को ही न्यायालय कक्ष में प्रवेश देने की मांग उनके द्वारा की गई.  जिससे की व्यवस्था सुचारू रूप से हो सके और सुरक्षा संबंधी समस्याओं से बचा जा सके. 

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