Rajasthan:  व‍िश्‍वराज स‍िंह मेवाड़ का खून से राजतिलक की रस्‍म हुई, 21 तोपों की सलामी; चित्तौड़गढ़ किले में दस्तूर कार्यक्रम

Rajasthan: मेवाड़ राजवंश के 77वें महाराणा के लिए पूरे रास्‍ते में फूल बिछाए गए हैं. राजतिलक परंपरा के अनुसार, सलूम्बर रावत देवव्रत सिंह ने राजतिलक की रस्‍म निभाई.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
व‍िश्‍वराज सिंह को खून से राजत‍िलक की रस्‍म न‍िभाई गई.

Rajasthan: च‍ित्‍तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में सोमवार (25 नवंबर) को व‍िश्‍वराज स‍िंह मेवाड़ का खून से राजतिलक की रस्‍म हुई. व‍िश्‍वराज स‍िंह को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाने की परंपरा न‍िभाई गई. लोकतंत्र आने के बाद राजशाही खत्‍म हो गई. लेक‍िन प्रतीकात्‍मक यह रस्‍म न‍िभाई जाती है. इस दौरान 21 तोपों की सलामी भी दी गई. व‍िश्‍वराज एकल‍िंगनाथ जी के 77वें दीवान होंगे. 

चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजतिलक की रस्‍म का साक्षी बना

493 साल बाद आज (25 नवंबर) 2024 को चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजतिलक की रस्‍म का साक्षी बना. कार्यक्रम में देश भर से कई लोगों ने शिरकत की. मेवाड़ की प्राचीन राजधानी रहा चित्तौड़ दुर्ग पर महाराणा विक्रमादित्य का 1531 ईस्वी में राजतिलक ही अंतिम बार का राजतिलक हुआ था. इसके बाद मेवाड़ राजवंश के 77वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह महाराणा की उपाधि चित्तौड़ दुर्ग पर धारण की. 

दुर्ग के सातों दरवाजों पर ढोल-नगाड़ों से मेहमानों का किया स्‍वागत 

दुर्ग के सभी सातों दरवाजों पर आने वालों का ढोल-नगाड़ों से स्वागत किया गया. चित्तौड़ दुर्ग पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के पूर्व राजघरानों के सदस्य, रिश्तेदार और गणमान्य नागरिकों के अलावा आमजन सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. विधि विधान से कार्यक्रम का हुआ. विश्वराज सिंह ने यज्ञ में पूर्णाहुति दी. इसके बाद रस्म  शुरू हुआ. 

राजत‍िलक के रस्‍म के दौरान तोपों की सलामी दी गई.

देवव्रत सिंह राजतिलक की परंपरा निभाई

राजतिलक परंपरा के अनुसार सलूंबर रावत देवव्रत सिंह राजतिलक की परंपरा निभाई. इसके बाद उमराव, बत्तीसा, सरदार और सभी समाजों के प्रमुख लोगों ने नजराना किया. इसके बाद कुल देवी बाण माता के दर्शन किए. 

Advertisement

सिटी पैलेस में धूणी दर्शन करने का कार्यक्रम 

चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आयोजित कार्यक्रम के बाद उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन करने का कार्यक्रम है. यहां से एकलिंगनाथ मंद‍िर जाएंगे. वहां पर भगवान एकलिंगनाथ के आशीर्वाद से पंडित महाराणा का शोक भंग करवाकर रंग बदला जाता है. जिसके बाद महाराणा सफेद के बजाएं रंग वाली पाग पहन सकेंगे. 

यह भी पढ़ें: उदयपुर स‍िटी पैलेस और एकल‍िंगजी मंद‍िर बंद, गेट पर पुल‍िस तैनात; परिवार में विवाद की स्थिति