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गहलोत ने जहां-जहां प्रचार का झंडा थामा, वहां कांग्रेस हुई धराशायी; राठौड़ बोले अब बिहार में हारेगी कांग्रेस

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत आज भी केवल सत्ता के समीकरण बनाने में लगे हैं, जबकि जनता विकास, कानून-व्यवस्था और पारदर्शिता चाहती है, यह केवल भारतीय जनता पार्टी दे रही है.

गहलोत ने जहां-जहां प्रचार का झंडा थामा, वहां कांग्रेस हुई धराशायी; राठौड़ बोले अब बिहार में हारेगी कांग्रेस
मदन राठौड़

भाजपा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता गहलोत, डोटासरा और जूली पर तीखी प्रतिक्रिया दी. राठौड़ ने कहा कि जहां-जहां अशोक गहलोत ने चुनावों में प्रचार का झंडा थामा, वहां-वहां कांग्रेस का झंडा नीचे गिरा और कांग्रेस की बुरी तरह पराजय हुई. अशोक गहलोत गुजरात गए, वहां हार गए, वे महाराष्ट्र गए वहां हार गए और अब बिहार में अपनी पार्टी के प्रचार के लिए जा रहे है तो वहां भी हार निश्चित ही है.

राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत की छिद्रान्वेषण की आदत है, यही कारण है कि अब उनका असली मुकाबला कांग्रेस के ही नेताओं से हो रहा है. पहले उन्होंने अपने ही सहयोगी सचिन पायलट को हाशिए पर डाला और अब पार्टी के भीतर ही नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली से सीधी प्रतिस्पर्धा हो रही है. इससे यह साफ हो गया है कि कांग्रेस अब आंतरिक कलह, गुटबाजी और नेतृत्वहीनता के भंवर में फंस चुकी है.

''गहलोत जनता को गुमराह करने के बजाय आत्ममंथन करें''

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि गहलोत जनता को गुमराह करने के बजाय आत्ममंथन करें कि आखिर उसके वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी भी अब पार्टी की हार का कारण क्यों बन रही है. अशोक गहलोत आज भी केवल सत्ता के समीकरण बनाने में लगे हैं, जबकि जनता विकास, कानून-व्यवस्था और पारदर्शिता चाहती है, यह केवल भारतीय जनता पार्टी दे रही है.

अंता विधानसभा उपचुनाव पर राठौड़ ने कहा कि जिस दिन उनके उम्मीदवार चुनाव हारे, उसी दिन से वे इस प्रयास में जुट गए कि “कैसे बिल्ली के भाग का छीका टूटे और मलाई उन्हें मिल जाए.”

''कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है''

कांग्रेस नेताओं की पूरी राजनीति केवल सत्ता की मलाई के इर्द-गिर्द घूमती है, जनसेवा उनके एजेंडे में कहीं नहीं है. कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है, वहां डिक्टेटरशिप चलती है, कोई भी स्वयं को उम्मीदवार घोषित कर देता है और पार्टी केवल मजबूरी में नाम पर मुहर लगाती है.

इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी में जनअपेक्षाओं के अनुरूप, सर्वेक्षणों एवं विचार-मंथन के बाद ही उम्मीदवार तय किए जाते हैं. हमारी कोर कमेटी व्यापक विचार-विमर्श कर जनता के हित में निर्णय लेती है.

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