कौन हैं अविनाश कुमार अग्रवाल? पहली बार IIT Jodhpur की कमान किसी राजस्थानी के हाथ

आईआईटी के नए निदेशक प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल साल 2016 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके है.

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Rajasthan News: प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश के चुनिंदा आईआईटी में शुमार जोधपुर आईआईटी (IIT Jodhpur) की कमान अब पहली बार राजस्थानी के हाथ में है. बुधवार को प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल (Avinash Kumar Aggarwal) ने जोधपुर आईआईटी के निदेशक के रूप में भी पदभार संभाल लिया. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में बतौर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग मैं बतौर प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे.आईआईटी जोधपुर के निदेशक के रूप में पदभार संभालने वाले प्रोफेसर अविनाश अग्रवाल मूलतः करौली के रहने वाले है.

प्रोफेसर अग्रवाल का कार्यकाल 5 वर्ष तक रहेगा वह आईआईटी जोधपुर के चौथे निदेशक होंगे. इससे पहले आईआईटी जोधपुर के पहले निदेशक डॉ. पीके कालरा थे. वहीं उनके बाद प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति दूसरे व तीसरे निदेशक प्रोफेसर शांतनु चौधरी थे.जहां निदेशक के रूप में डॉ अविनाश कुमार अग्रवाल ने पांचवे निर्देशक के रूप में कमान संभाली है. बुधवार को आईआईटी के निवर्तमान निदेशक प्रोफेसर शांतनु कुमार ने उनको विधिवत रूप से कार्यभार भी सौंपा.इस मौके प्रोफेसर अग्रवाल ने आईआईटी के सभी कार्मिकों का आह्वान किया कि हमें इस संस्थान को और अधिक ऊंचाई पर ले जाना है. इससे राष्ट्र निर्माण में हमारा योगदान हो सके.

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शैक्षणिक कार्य को बढ़ाना भी रहेगा मिशन

जोधपुर आईआईटी के नए निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने वाले प्रोफेसर अविनाश अग्रवाल का नवीन प्रयोगो के साथ ही नवाचार में सहयोग व उत्कृष्टता पर जोर देने की बात कही. उन्होंने मिशन संस्थान के शैक्षणिक कार्यक्रमों को और बढ़ाने व नए अनुसंधान केंद्र स्थापित करने व एक ट्रांसडिसिप्लिनरी अनुसंधान मॉडल को बढ़ावा देने पर जोर दिया. प्रोफेसर अग्रवाल के नेतृत्व में आईआईटी जोधपुर राजस्थान राज्य में जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं अविनाश कुमार

आईआईटी के नए निदेशक प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल साल 2016 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके है. इसके साथ ही वह अक्षय ऊर्जा बायोफ्यूल हाइड्रोजन सीएनजी पर कार्य करते हैं. इन्होंने बायोफ्यूल का आईसी इंजन भी बनाया है. यहां तक कि अपनी खुद की बायोफ्यूल संचालित कार भी इजाद कर चुके है.

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