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This Article is From May 01, 2024

भारतीय सेना के लिए FDDI ने तैयार किया स्पेशल बूट, थार रेगिस्तान से सियाचिन ग्लेशियर तक जवानों के लिए होगा कारगर

FDDI के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में विश्व स्तरीय आधुनिक मशीनों और अनुभवी वैज्ञानिकों के द्वारा यह विशेष किस्म के जूते सेना की जरूरत के अनुरूप तैयार कए जा रहा है.

भारतीय सेना के लिए FDDI ने तैयार किया स्पेशल बूट, थार रेगिस्तान से सियाचिन ग्लेशियर तक जवानों के लिए होगा कारगर

Rajasthan News: भारतीय सेना के जवान देश की रक्षा के लिए थार रेगिस्तान से लेकर सियाचिन ग्लेशियर तक तैनात हैं. हालांकि, कुछ असुविधाओं के लिए जवानों को इन जगहों पर काफी मशक्कत करनी होती है. लेकिन सेना के जवानों की जरूरतों को देखते हुए फुटवियर डिजायन एंड डेवलममेंट इंस्टीट्यूट (FDDI) ने एक स्पेशल बूट तैयार किया है. जो थार के रेगिस्तान के धोरों की 50 डिग्री तापमान के साथ सियाचिन ग्लेशियर के -40 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सेना के जवानों के पैरों के लिए आरामदायक होगा.

पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर में स्थित फुटवियर डिजायन एंड डेवलममेंट इंस्टीट्यूट 'FDDI' के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में विश्व स्तरीय आधुनिक मशीनों और अनुभवी वैज्ञानिकों के द्वारा यह विशेष किस्म के जूते सेना की जरूरत के अनुरूप तैयार कए जा रहा है.

देश में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन आने वाले कुल 12 एफडीडीआई सेन्टर्न में से टॉप 5 एफडीडीआई में जोधपुर एक है. जिसमें देश के कुल 7 सेंटर फॉर एक्सीलेंस सेंटर के तहत जोधपुर में स्थित सेंटर फॉर एक्सीलेंस सेंटर लगातार अपने रिसर्च और अनुसंधान को लेकर कार्य कर रहा है. इसी के तहत सेना के जवानों की सुविधा के अनुरूप न सिर्फ पहाड़ी क्षेत्र या दुर्गम इलाकों में ड्यूटी देने वाले जवानों के लिए बल्कि अद्धसैनिक बलों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों की स्थानीय पुलिस के जवानों के लिए भी यह कई रूप में कारगर साबित हो सकेगा. 

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अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के अनुसार विशेष किस्म के जूतों को डेवलप किया जाएगा. जैसे आम तौर पर पहाड़ी व घने जंगलों में ड्यूटी करने वाले जवानों को कठोर सोल वाले जूते की आवश्यता होती है, तो जम्मू कश्मीर के बर्फीली क्षेत्रो के साथ ही सियाचिन गलेशयर के माईनस 40 डिग्री वाली ठंड में भी सेना के जवानों के पैरों को आराम दायक रखने वाले जूते डिजाइन होंगे. इसके अलावा दुर्गम पहाड़ी व कंटीले मार्गो में ड्यूटी करने वाले आईटीबीपी के जवानों के लिए अलग से डिजाइन डवलप होगी. वही थार रेगिस्तान के धोरों के साथ ही जैसलमेर व फलौदी जैसे क्षेत्रों की की 50 डिग्री वाली झुलसा देने वाली गर्मी में भी जवानों  के पैरों के आरामदायक रखने के लिए अलग डिजाइन व क्वाली के साथ विशेष जूते तैयार किये जायेंगे.

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए जोधपुर एफडीडीआई के निदेशक अनिल कुमार ने बताया भारत सरकार के द्वारा देश के 7 एफडीडीआई सेंटर में सेंटर फॉर एक्सीलेंस का एक केंद्र स्थापित किया गया. जिसमें जोधपुर एफडीडीआई भी सम्मिलित है और यहां के सेंटर में  मुख्य रूप से सेफ्टी ऑक्यूपेशनल शूज और थेरेपेशनल जो ट्रेडिशनल शूज होते है. उसमें प्रोस्टेथिक व ओरथेटिक की विशेषता के साथ इस सेंटर का निर्माण किया गया है और दुर्गम क्षेत्रों में जो भी कार्य करते हो. जिसमें विशेष रूप से सेना है व अर्धसैनिक बलों के जवान है और उसके साथ ही कोई भी ऑक्यूपेशनल कार्य करते हो उनके लिए एक विशेष किस्म का जूते उन मेटेरियल के साथ बनाया जाए जो लंबे समय तो चले,इसके साथ ही दुर्घटनाओ की संभावनाओं को भी काम कर सके, यह इंजरी को कम कर सके और इन सभी स्पेशलिटी के साथ ही हमारे यहां इंपैक्ट टेस्टर मशीन के द्वारा जो की एक हाई इक्विपमेंट इन मशीन है. जो हमारे सीओई मैं स्थापित है और इस पर रिसर्च भी जारी है.

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एफडीडीआई डायरेक्टर अनिल कुमार ने आगे बताया इस बिजनेस किस्म के जूते की अगर डिजाइन की बात करें तो इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि जूते में इस्तेमाल होने वाले मेटेरियल और इसकी सस्टेनेबिलिटी वह उनकी मजबूती कितनी रहेगी जब यह दुर्गम क्षेत्रों में या गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में यह अत्यधिक -40 डिग्री टेंपरेचर वाले क्षेत्रों में भी यह कैसे कार्य करेगा और किस मेटरलियल के साथ कार्य करेंगा इस पर भी अनुसंधान जारी.

इंडस्ट्री और रिफाइनरी के साथ ही अन्य क्षेत्रों के लिए भी हो रहे डेवलप

जोधपुर का एफडीडीआई सेंटर इंडस्ट्री और रिफाइनरी के साथ ही अन्य क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों के लिए भी विशेष किस्म के जूते 3D प्रिंटिंग के साथ डिजाइन करने पर भी कार्य कर रहा है जिसमे अलग-अलग प्रकार की इंडस्ट्रीज व रिफाइनरियों के साथ ही कोयला की खान, केमिकल फेक्ट्रिस, हेवी इंड्सर्टीज, रेलवे कारखाने साथ ही अन्य कहीं क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के लिए भी 3D प्रिंटिंग के साथ विशेष किस्म के जूते की डिजाइन करने पर कार्य कर रहा है.

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