Rajasthan News: राजस्थान के किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पारंपरिक खेती की बजाय बागवानी और नगदी फसलों पर विशेष ध्यान देने लगे हैं. क्योंकि इस फसल से अच्छी आमदनी होने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला है. एक ऐसा ही किसान हैं भरतपुर जिले के भुसावर कस्बा निवासी कैलाश सैनी, जिन्होंने अपने दोस्त की सलाह पर 6 साल पहले नासिक से कटहल के पौधे मंगाकर जैविक खाद से बागवानी शुरू की थी और अब प्रतिमाह लाखों रुपए की आमदनी हो रही है.
दोस्त की सलाह पर की शुरुआत
किसान का कहना है कि रासायनिक खाद की बजाय उसने इस बागवानी में जैविक खाद का प्रयोग किया है. यही वजह है कि अन्य कटहल के फल की बजाय यह फल अधिक कीमत पर बिक रहा है. किसान कैलाश सैनी ने बताया कि वह करीब 15 साल से पारंपरिक खेती में गेहूं ,सरसों चना आदि की फसल कर रहे थे. अधिक मेहनत के बावजूद भी उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा था और आर्थिक स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हो रहा था. तब उन्होंने फैसला किया कि वह खेती करने की बजाय किराए पर इसे उठाएंगे और बाहर जाकर मजदूरी करेंगे. जब इस बारे में दोस्त को बताया तो दोस्त ने बागवानी करने की सलाह दी और कहा कि भुसावर की मिट्टी अच्छी है और यहां बागवानी करने से काफी लाभ होगा.
हर महीने 1 लाख से अधिक कमाई
किसान ने दोस्त के कहने पर 6 साल पहले नासिक से करीब ₹200 की कीमत के हिसाब से करीब 8 हजार रुपए के 50 पौधे कटहल के मंगवाए. जैविक खाद के माध्यम से बागवानी शुरू की. इन पेड़ों ने तीन से पांच साल में बड़ा होने के साथ फल देना प्रारंभ कर दिया. एक पेड़ पर एक सीजन में करीब 150 से अधिक फल लगते और एक फल करीब 20 से 40 किलो वजनी होता है. किसान का कहना है कि इस फल की मांग भरतपुर, जयपुर, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में है. यहां पर किसानों को सबसे अधिक फायदा स्थानीय क्षेत्र में लगी अचार फैक्ट्रियों से है, जो कटहल को अचार के लिए सीधे ही किसान से मोल भाव कर खरीद लेती है. देश की अलग-अलग मंडियों में इसकी कीमत 1000 से 2500 रुपए क्विंटल है. वहीं किसान का कहना है कि इस खेती से उन्हें प्रति माह एक लाख रुपए से अधिक की आमदनी हो रही है.
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