Stray dog Case: आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज (22 अगस्त) फैसला सुनाएगा. दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को दूसरी जगह पर स्थानांतरित करने के मुद्दे पर फैसला होगा. इस मामले में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ पहले ही आदेश दे चुकी है. दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था. इसके बाद न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की तीन जजों वाली पीठ द्वारा 'इन री: सिटी हाउंडेड बाय स्ट्रेज़, किड्स पे प्राइस' मामले में स्वतः संज्ञान लिया था.
कार्रवाई बाधित करने वाले लोगों को भी दी गई थी चेतावनी
पिछले आदेश में सार्वजनिक सुरक्षा और रेबीज की घटनाओं पर बढ़ती चिंताओं के जवाब में सड़कों को आवारा पशुओं से मुक्त करने का निर्देश दिया गया था. साथ ही चेतावनी भी दी गई कि जो भी बाधा डालेगा, उन व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
आदेश का विरोध भी जारी
इस आदेश से पशु कल्याण समूहों, कार्यकर्ताओं और नागरिकों में भारी विरोध हुआ. सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में आवारा पशुओं को रखने के लिए पर्याप्त आश्रय सुविधाएं नहीं हैं. कई लोगों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय के 2024 के फैसले के विपरीत बताया, जिसमें आवारा पशुओं के अधिकारों को बरकरार रखा गया था. साल 2024 के कोर्ट के आदेश में संवैधानिक मूल्यों के रूप में करुणा और सह-अस्तित्व पर जोर दिया गया था.
सीजेआई ने किया हस्तक्षेप
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मामले में हस्तक्षेप किया और तीन जजों की एक बेंच बनाई. ताकि आवारा कुत्तों को मारने पर रोक लगाने और उनके साथ मानवीय व्यवहार करने के पिछले अदालती फैसलों को ध्यान में रखकर मामले की दोबारा समीक्षा की जाए. इसी मामले में फैसला शुक्रवार को फैसला सुनाया जाना है. साथ ही, राजस्थान हाईकोर्ट के आवारा कुत्तों के प्रबंधन से संबंधित एक समान निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई होने की उम्मीद है.
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