Rajasthan Students' Union Election: राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को छात्रसंघ चुनाव मामले में अहम सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायमित्र अभिनव शर्मा और विश्विद्यालय के बीच लंबी बहस हुई. न्यायमित्र ने कोर्ट को बताया कि लिंगदोह समिति की सिफारिशों में छात्रसंघ चुनाव कराने को अनिवार्य बताया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार ही लिंगदोह समिति की सिफारिश लागू की गई थी. राज्य सरकार अपने जवाब में लिंगदोह समिति का हवाला देकर ही चुनाव ना करवा पाने की बात कही थी.
हर साल छात्रसंघ चुनाव की फीस ले रहे हैं विश्विद्यालय
इसके साथ ही न्यायमित्र ने हाइकोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय हर साल प्रत्येक छात्र से 110 रुपए छात्रसंघ चुनाव शुल्क लेता है. लेकिन छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं. इस पर विश्विद्यालय की ओर से बताया गया कि हम वह पैसा विश्वविद्यालय में किन्हीं और विकास कार्यों में इस्तेमाल लेते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब विश्वविद्यालय छात्रों से चुनाव के नाम पर शुल्क ले रहा है. तो सिंडिकेट को यह अधिकार किसने दिया कि उस पैसे को कहीं और खर्च करे.
विश्विद्यालय संविधान में भी छात्रसंघ का जिक्र
इसके अलावा न्यायमित्र ने बताया कि विश्विद्यालय संविधान में भी छात्रसंघ का जिक्र है. हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने 2010 के फैसले में भी चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे. बहस को सुनकर हाईकोर्ट ने मामले को पार्टहर्ड कर एडमिट कर लिया है. साथ ही, छात्र जयराव के साथ इसी तरह की अन्य याचिकाओं को जोड़ कर सुनवाई की जाएगी. अब इस मामले में आगे जस्टिस समीर जैन की बेंच ही सुनवाई करेगी. मामले में अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को है. अब इस मामले में एक डिटेल्ड जजमेंट आएगा. छात्रों की ओर से अधिवक्ता शांतनु पारीक ने पैरवी की.