
Madhuri Dixit in IFFA Awards: राजस्थान की गुलाबी नगरी बॉलीवुड की रंगीन दुनिया के रंग में पूरी तरह से रंग चुकी है. दो दिन के लिए मुंबई जैसे महानगर को छोड़ आधे से ज्यादा फिल्म इंडस्ट्री इस समय पिंक सीटी जयपुर में जुटी हुई है. आज यानी 8 मार्च से शुरू हो रहे आईफा अवॉर्ड्स ( IFFA Awards 2025) के रंगारंग कार्यक्रम से पहले इसकी शुरुआत 7 मार्च से ही हो चुकी है. भारतीय सिनेमा में महिलाओं के सफर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसे बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित ( Madhuri Dixit) और फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा ने किया. लेकिन मेल एक्टर और फीमेल एक्ट्रेस की पेमेंट में अभी भीअंतर है. उसमें काफी बदलाव आया है इसके लिए अभी काफी रास्ता तय करना बाकी है.
समय के साथ महिलाओं के किरदार हुए मजबूत
माधुरी दीक्षित ने अपने 39 साल के करियर का अनुभव शेयर करते हुए बताया कि भारतीय सिनेमा में कैसे समय के साथ महिलाओं के किरदार मजबूत होते गए हैं. उन्होंने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उनके जमाने में फिल्म सेट पर सिर्फ उनकी को-एक्ट्रेसेस और हेयर ड्रेसर ही हुआ करती थीं. मैंने वहां किसी भी डिपार्टमेंट में कोई महिला नहीं देखी थी. अब हर जगह महिलाएं हैं. इतना ही नहीं उस वक्त भारतीय सिनेमा में महिला निर्देशक का होना भी बहुत बड़ी बात थी क्योंकि वहां महिलाएं लगभग नहीं थीं.
सई परांजपे, जिन्हें मैं उस वक्त इंडस्ट्री में जानती थी, वो डायरेक्टर भी थीं और निर्देशक भी. अब जब मैं काफी वक्त बाद सेट पर लौटी तो पाया कि हर डिपार्टमेंट में महिलाएं हैं. चाहे वो डीओपी हो या डायरेक्टर. जिसे देखकर काफी अच्छा लगता है. जिससे मुझे गर्व होता है. कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां अब महिलाएं कदम न रख रही हों.
जिंदगी को लेकर माधुरी का नजरिया
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आप एक अच्छी बेटी, पत्नी और एक बेहतरीन मां हैं. लेकिन फिल्मी दुनिया में हो रहे बदलावों के इस दौर में एक बेहतरीन अभिनेत्री की जिंदगी आपकी निजी जिंदगी को कितना प्रभावित करती है. और आप इसे कैसे मैनेज करती हैं. माधुरी ने बताया कि जब उनकी शादी नहीं हुई थी, तब वह खूब काम करती थीं. वह तीन शिफ्ट में काम करती थीं. दरअसल, मैंने शादी के बाद अपनी जिंदगी जी है. आज मैं अपने पति और बच्चों के साथ जो जिंदगी जी रही हूं, वह मेरे लिए एक सपने जैसा है. फिर मैं फिल्मों में वापस आ गई क्योंकि यही मेरा सपना है.
माधुरी ने महिला प्रधान फिल्मों को लेकर कही खास बात
माधुरी ने महिला प्रधान फिल्मों को लेकर कहा, ''एक वक्त पर मैंने कई फीमेल सेंट्रिक फिल्में कीं, जैसे मृत्युदंड और बेटा। मृत्युदंड करते वक्त कई लोगों ने कहा कि कमर्शियल सिनेमा करो पर मैंने वो फिल्म कीं क्योंकि उसमें महिला सशक्तिकरण की बात की गई थी.''