Rajasthan News: विश्व हाथी दिवस पर वाइल्डलाइफ एसओएस ने भारत में सड़कों पर भीख मांगते हाथियों की दुखद स्थिति को उजागर किया है. इन विशालकाय प्राणियों को क्रूरता से सड़कों पर घसीटा जाता है. वाइल्डलाइफ एसओएस का बेगिंग एलीफेंट अभियान इन हाथियों को बचाने और इस प्रथा को 2030 तक खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है.
रामू की दुखद कहानी
72 साल की हथिनी रामू की कहानी दिल दहला देने वाली है. उदयपुर की सड़कों पर तीन दशक तक भीख मांगने के बाद रामू बीमार पड़ गई. उसके पैर सड़ चुके थे और शरीर घावों से भरा था. वाइल्डलाइफ एसओएस ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन मई 2025 में उसकी मृत्यु हो गई. रामू की कहानी इस क्रूर प्रथा को खत्म करने की जरूरत को दर्शाती है.
मनु और हरि की नई उम्मीद
वाइल्डलाइफ एसओएस ने दो नर हाथियों, मनु और हरि, को सफलतापूर्वक बचाया है. मनु के नाखून फटे थे और पैरों में गंभीर बीमारियां थीं, जो गर्म सड़कों पर चलने का परिणाम था. हरि को हाल ही में बचाया गया और उसका इलाज व पुनर्वास चल रहा है. ये बचाव कार्य इन हाथियों को नया जीवन दे रहे हैं.
हाथी के पैरों में बंधी रस्सी.
सभी बनें बदलाव का हिस्सा
वाइल्डलाइफ एसओएस नागरिकों से याचिका पर हस्ताक्षर करने की अपील कर रहा है, ताकि हाथियों से भीख मंगवाने पर पूरी तरह रोक लगे और पशु कल्याण कानूनों को मजबूत किया जाए. संस्था के सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण कहते हैं, "यह अभियान सिर्फ मिशन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है." सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने कहा, "इन हाथियों को अब प्यार और देखभाल चाहिए."
सहयोग से संभव है बदलाव
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर बैजूराज एम.वी. का कहना है कि वन विभागों का सहयोग इस मुहिम को मजबूती दे रहा है. यह अभियान मंदिरों, शादियों और सड़कों पर शोषित हाथियों को अभयारण्य में सुरक्षित जीवन देना चाहता है. आप भी याचिका पर हस्ताक्षर कर इस क्रूर प्रथा को खत्म करने में मदद कर सकते हैं.