
Rajasthan News: राजस्थान में टोंक जिले के एक पुराने और चर्चित मामले में बड़ा फैसला आया है. मालपुरा दंगा मामले में सांप्रदायिक दंगों की विशेष अदालत ने सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में पुलिस की जांच को कमजोर बताया और कई सवाल खड़े किए.
यह मामला साल 2000 का है जब मालपुरा में दो समुदायों के बीच हुए दंगे में एक पक्ष से दो लोगों की मौत हो गई थी और दूसरे पक्ष से भी चार लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से मामले दर्ज कराए गए थे.
जानें क्या था मालपुरा दंगा मामला
साल 2000 में टोंक जिले के मालपुरा में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस दंगे में एक पक्ष के मोहम्मद सलीम और मोहम्मद अली की हत्या कर दी गई थी. शहजाद ने मालपुरा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने उनके भाई और चाचा की जान ली. इस मामले में पुलिस ने 13 लोगों को आरोपी बनाया था.
जानें कोर्ट ने क्यों बरी किए आरोपी
विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस की जांच में कई खामियां थीं. तीन अलग-अलग जांच अधिकारियों ने इस केस को देखा लेकिन किसी ने भी ठोस सबूत जुटाने में मेहनत नहीं की. आरोपियों के वकीलों वीके बाली और सोनल दाधीच ने कोर्ट में दलील दी कि गवाहों के बयान आपस में मेल नहीं खाते थे. गवाहों ने कहा कि हमलावरों के चेहरे ढके हुए थे जिससे उनकी पहचान नहीं हो सकी. इसके अलावा पुलिस उस हथियार को भी बरामद नहीं कर पाई जिससे हत्या की बात कही गई थी.
पुलिस की जांच पर सवाल
कोर्ट ने यह भी माना कि पुलिस ने एक आरोपी को छोड़कर किसी की भी शिनाख्त परेड नहीं कराई. वकीलों ने बताया कि घटना के समय इलाके में धारा 144 लागू थी और अभियोजन पक्ष के गवाह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. इन कमजोरियों के चलते कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
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