रेगिस्तान से रोशनी तक: 2025 में राजस्थान ने कैसे ऊर्जा महाशक्ति के रूप में अपनी पहचान मजबूत की

Year Ender 2025: जानिए कैसे 2025 में राजस्थान ने सौर और पवन ऊर्जा में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि कर खुद को भारत की ऊर्जा महाशक्ति के रूप में स्थापित किया.

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राजस्थान में स्थित दुनिया के सबसे बड़े भडला सोलर पार्क की तस्वीर.
YouTube: National Geography

Rajasthan News: थार का तपता रेगिस्तान अब सिर्फ रेत का नहीं, रोशनी का भी प्रतीक है. साल 2025 में राजस्थान ने सोलर और विंड एनर्जी में ऐसी छलांग लगाई कि देश ही नहीं, दुनिया में भी अपनी पहचान एक ग्रीन एनर्जी महाशक्ति के रूप में दर्ज कराई है. राज्य ने न सिर्फ रिकॉर्ड क्षमता जोड़ी, बल्कि निवेश, नीतियों और तकनीक के मोर्चे पर भी बड़े कदम उठाए.

सौर ऊर्जा में बना नंबर-वन

राजस्थान आज भारत का नंबर-वन सोलर स्टेट है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 12 दिसंबर 2025 को इसकी पुष्टि करते हुए बताया था कि राज्य में सौर ऊर्जा की इंस्टॉल्ड क्षमता 34,555 मेगावॉट तक पहुंच गई है. पिछले दो सालों में राजस्थान की कुल पावर जनरेशन क्षमता 6,363 मेगावॉट से बढ़कर 30,525 मेगावॉट हो गई. सरकार ने 42,438 मेगावॉट के नए प्रोजेक्ट्स के लिए समझौते किए हैं, जिनमें करीब ₹1.93 लाख करोड़ का निवेश तय है. इनमें से ₹1.20 लाख करोड़ का निवेश एक जॉइंट वेंचर कंपनी के जरिए होगा.

जमीन से गीगावॉट तक

राज्य सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के लिए बड़े पैमाने पर जमीन आवंटित की है. 23,386 हेक्टेयर भूमि पर 10,202 मेगावॉट क्षमता के प्रोजेक्ट्स और 51,808 हेक्टेयर पर 26,784 मेगावॉट के सोलर पार्क तैयार हो रहे हैं. इसके अलावा, 964 मेगावॉट के कैप्टिव सोलर प्लांट और 1,514 मेगावॉट के इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी मिल चुकी है.

सोलर सुपर हाईवे का सपना

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने 10 दिसंबर 2025 को जयपुर में ऐलान किया था कि भारत का 115 गीगावॉट ट्रांसमिशन नेटवर्क राजस्थान से गुजरेगा. Green Energy Corridor–III को मंजूरी मिल चुकी है. इसका मतलब है कि राजस्थान सिर्फ ऊर्जा पैदा नहीं करेगा, बल्कि देशभर में ग्रीन पावर सप्लाई करने वाला ऊर्जा सुपर-हाईवे बनेगा. 

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स्टोरेज की चाल

सौर ऊर्जा दिन में मिलती है, लेकिन रात में नहीं. इसलिए बैटरी और पम्प्ड स्टोरेज की जरूरत है. राज्य में 6,000 मेगावॉट क्षमता का स्टोरेज नेटवर्क तैयार किया जा रहा है ताकि पीक डिमांड पूरी हो सके और सौर ऊर्जा को Round-the-Clock सप्लाई में बदला जा सके. दिन में सौर ऊर्जा और रात में बैटरी से बिजली, यही तरीका राजस्थान को 24 घंटे ग्रीन पावर देने वाला हब बना रहा है.

किसान बने ऊर्जा प्रदाता

PM-KUSUM योजना ने किसानों को सशक्त किया है. इस योजना के तहत 5,002 सोलर प्रोजेक्ट्स (10,533 मेगावॉट) के वर्क ऑर्डर जारी किए गए हैं और 1,019 प्रोजेक्ट्स (2,272 मेगावॉट) इंस्टॉल हो चुके हैं. राजस्थान इस योजना के Component-A में देशभर में नंबर-वन है. जोधपुर और बाड़मेर के किसान अब सिर्फ फसल नहीं, बिजली भी बेच रहे हैं.

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महिलाओं ने जगाई उम्मीद

अजमेर जिले के बीवर क्षेत्र की संतोष देवी जैसी महिलाएं, जिनके पति खदानों में काम करते हुए सिलिकोसिस से जूझ रहे हैं, अब सोलर इंजीनियरिंग सीखकर अपने गांवों में बिजली पहुंचा रही हैं. Barefoot College में तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं ने कई घरों में सोलर लाइटिंग की व्यवस्था की. यह पहल न सिर्फ ऊर्जा पहुंचाने का काम कर रही है, बल्कि खदानों में बीमारी से जूझ रहे परिवारों को आर्थिक सहारा भी दे रही है.

PLI स्कीम से रोजगार की नई किरण

भारत की Production-Linked Incentive (PLI) स्कीम ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग में बड़ा बदलाव लाया है. अक्टूबर 2025 तक इस स्कीम से देशभर में 43,000 नौकरियां पैदा हुईं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है.

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निवेश और इंडस्ट्री की धड़कन

₹1,93,000 करोड़ के निवेश के साथ राजस्थान ने नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में बड़ा भरोसा जगाया है. सरकार का लक्ष्य है कि राज्य को ऊर्जा उपभोक्ता से प्रदाता में बदला जाए.

कोयले को ‘ना'

2025 में राजस्थान ने एक बड़ा संदेश दिया. राज्य के बिजली नियामक ने 3,200 मेगावॉट के कोयला प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. आयोग ने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य के क्लीन एनर्जी लक्ष्यों के खिलाफ है और मांग पूर्वानुमान के मुताबिक जरूरी नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह प्रोजेक्ट बनता तो रोज़ाना 40,000 टन कोयला जलता और हवा में सैकड़ों टन प्रदूषक फैलते. आयोग ने चेतावनी दी कि 25 साल के लिए कोयले पर निर्भरता उपभोक्ताओं पर भारी टैरिफ का बोझ डाल सकती है और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण को कमजोर कर सकती है. इसके बजाय, राज्य को सौर, पवन और बैटरी स्टोरेज पर फोकस करने की सलाह दी गई. 

2025 का संदेश

2025 में राजस्थान ने साबित किया कि रेगिस्तान सिर्फ रेत नहीं, रोशनी भी देता है. सौर ऊर्जा में नंबर-वन, पवन ऊर्जा में तेजी, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर, बैटरी स्टोरेज और किसानों की भागीदारी—इन सबने राजस्थान को भारत का ऊर्जा महाशक्ति बना दिया. आने वाले सालों में राज्य का लक्ष्य है कि वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बने, बल्कि देश को ग्रीन पावर एक्सपोर्ट करने वाला हब भी बने.

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