Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह मैदान में उतर चुकी है. प्रदेश भर में परिवर्तन संकल्प यात्रा निकालने के बाद अब भाजपा के बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे हैं. इन दौरों से चुनावी समीकरण को भाजपा के पक्ष में करने की कोशिश जारी है. इस बीच हाल ही में चर्चा आई थी कि भाजपा ने प्रदेश की 40 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय कर दिए हैं, जिनमें डीडवाना विधानसभा का भी नाम शामिल है. माना जा रहा है कि भाजपा इस सीट पर सांगलिया धोनी के स्वामी ओमदास महाराज को मैदान में उतर सकती है.
भाजपा के इकलौते मुस्लिम चेहरे के टिकट पर संकट!
भाजपा अगर ऐसा करती है तो डीडवाना से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार यूनुस खान के लिए मुश्किलें हो सकती है, क्योंकि यूनुस खान डीडवाना से भाजपा के सबसे बड़े दावेदार हैं. यही नहीं वे प्रदेश भाजपा का इकलौता मुस्लिम चेहरा भी है. यूनुस खान डीडवाना से चार बार भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं, जिसमें से दो बार यूनुस खान जीत दर्ज कर चुके हैं.
यूनुस खान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद करीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि उन्हें वसुंधरा सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि डीडवाना से भाजपा दो बार ही जीत सकी और दोनों बार ही जीत दिलाने वाले यूनुस खान ही थे. 2003 से पहले तक डीडवाना से कभी भी भाजपा जीत तक नहीं सकी थी.
पिछले विधासभा चुनाव में पायलट के सामने लड़े थे चुनाव
पिछले विधानसभा चुनाव में भी यूनुस खान डीडवाना से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, मगर ऐन वक्त तक भाजपा ने उन्हें डीडवाना से टिकट नहीं दिया और उन्हें टोंक में सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़ने भेज दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि टोंक में यूनुस खान 54179 वोटो के अंतर से हारे. वहीं डीडवाना सीट पर भी भाजपा को 40602 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
सांगलिया धूणी के स्वामी ओमदास को टिकट देने की चर्चाएं
इस बार भी यूनुस खान डीडवाना से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, मगर भाजपा यूनुस खान को दरकिनार करने में जुटी है. यही वजह है कि यूनुस खान की जगह सांगलिया धूनी के स्वामी ओमदास महाराज को भाजपा प्रत्याशी बनाने की कवायद की जा रही है. चर्चा है कि भाजपा और संघ से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने ओमदास महाराज से इस बारे में कई बार चर्चा की है.
हालांकि ओमदास महाराज का चुनाव लड़ने को लेकर अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं. इसी बात को लेकर अभी तक डीडवाना सीट की टिकट पर फैसला नहीं हो सका है. लेकिन अगर ओमदास महाराज डीडवाना से चुनाव लड़ते हैं तो यूनुस खान की टिकट कटना तय है.
एक तीर से दो निशाने
ऐसे में डीडवाना विधानसभा में चुनावी मुकाबला काफी रोचक होने की संभावना है. क्योंकि डीडवाना विधानसभा सीट पर जाट, मुस्लिम और एससी वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इनमें से मुस्लिम और एससी वर्ग के अधिकांश वोट यूनुस खान के पक्ष में आते रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा ओमदास महाराज को मैदान में उतार कर एससी वर्ग को अपने पक्ष में करना चाहती है, ताकि यूनुस खान के पक्ष में जो मुस्लिम मतदाता वोट करते थे उनकी भरपाई एससी वर्ग के वोटों से की जा सके. साथ ही भाजपा के कोर वोट और हिंदुत्व के सहारे ओमदास महाराज को जिताया जा सके. मगर यदि ओमदास महाराज चुनाव नहीं लड़ते हैं तो फिर भाजपा यूनुस खान पर भी दांव खेल सकती है.
यूनुस खान को वसुंधरा गुट के होने का नुकसान होगा!
बहरहाल इस घटनाक्रम से यह तो साफ हो चला है कि भाजपा यूनुस खान को दरकिनार करने में जुटी है, क्योंकि यूनुस खान वसुंधरा राजे गुट के नेता माने जाते हैं और भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस बार वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने में जुटा है. प्रधानमंत्री मोदी भी अपनी सभाओं में स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि चुनाव में पार्टी का कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होगा. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच भी कड़वाहट और अनबन की खबरें भी कई बार आती रही है.
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