Crop Affected
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Monsoon Crisis: राजस्थान में सूखे की बढ़ी आशंका, डीडवाना में 80 से 90 फीसदी फसल खराब होने की संभावना
- Tuesday September 12, 2023
आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब राजस्थान में अगस्त का महीना बिन बरसात के बिल्कुल सूखा चला गया, जिससे किसानों की 80 से 90 फीसदी फसले बर्बाद हो गई हैं. इससे प्रदेश 80 लाख किसान इस सूखे से प्रभावित हो रहे है.
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कम बारिश से मुरझाए किसानों के चेहरे, 5 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद होने का खतरा बढ़ा
- Tuesday September 5, 2023
जालोर जिले में पिछले 30 दिनों में जिले में एक बूंद बारिश नहीं हुई है, जिससे फसलें मुरझाने लगी है, जिसका सबसे अधिक नुकसान 3.25 लाख हेक्टेयर बाजरा की फसल का हुआ है.
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बारिश बिन चौपट हो रही फसल, अब इंद्रदेव को मनाने में जुटे पीड़ित किसान
- Sunday September 3, 2023
इस मानसून में झालावाड़ में 497 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जबकि झालावाड़ में औसत बारिश 1000 मिलीमीटर होती है.जिले के लगभग 3 लाख हेक्टेयर में किसानों द्वारा सोयाबीन, मक्का, मूंगफली, उड़द और ज्वार के फसलों की बुवाई की गई है. इनमें सबसे ज्यादा ढाई लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई है, लेकिन बारिश की कमी से फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है.
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Monsoon Crisis: राजस्थान में सूखे की बढ़ी आशंका, डीडवाना में 80 से 90 फीसदी फसल खराब होने की संभावना
- Tuesday September 12, 2023
आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब राजस्थान में अगस्त का महीना बिन बरसात के बिल्कुल सूखा चला गया, जिससे किसानों की 80 से 90 फीसदी फसले बर्बाद हो गई हैं. इससे प्रदेश 80 लाख किसान इस सूखे से प्रभावित हो रहे है.
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कम बारिश से मुरझाए किसानों के चेहरे, 5 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद होने का खतरा बढ़ा
- Tuesday September 5, 2023
जालोर जिले में पिछले 30 दिनों में जिले में एक बूंद बारिश नहीं हुई है, जिससे फसलें मुरझाने लगी है, जिसका सबसे अधिक नुकसान 3.25 लाख हेक्टेयर बाजरा की फसल का हुआ है.
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बारिश बिन चौपट हो रही फसल, अब इंद्रदेव को मनाने में जुटे पीड़ित किसान
- Sunday September 3, 2023
इस मानसून में झालावाड़ में 497 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जबकि झालावाड़ में औसत बारिश 1000 मिलीमीटर होती है.जिले के लगभग 3 लाख हेक्टेयर में किसानों द्वारा सोयाबीन, मक्का, मूंगफली, उड़द और ज्वार के फसलों की बुवाई की गई है. इनमें सबसे ज्यादा ढाई लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई है, लेकिन बारिश की कमी से फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है.
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