Rajasthan News: सन 2025 में हज की पवित्र यात्रा पर जाने के लिए आज से आवेदन भरे जाने शुरू हो गए हैं. केन्द्रीय हज कमेटी के निर्देशों के अनुसार, स्थानीय हज कमेटियां और हज से जुड़ी संस्थाएं हज जाने वाले आजमीन के फॉर्म भरवाने से लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी करने का काम करती हैं. अगले साल सन 2025 में हज पर जाने के लिए आवेदन के साथ पासपोर्ट की दो कॉपियां, बैंक पासबुक या कैन्सल चैक की कॉपी, ओरिजिनल आधार कार्ड, पैन कार्ड और ब्लड ग्रूप की रिपोर्ट लगानी होगी. हज के सफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा.
हज यात्रा में खर्च होंगे 4 लाख 60 हजार
पिछले 24 सालों से हज ट्रेनर और हज अधिकारी के तौर पर सेवाएं देने वाले जमील अहमद मुगल बताते हैं कि इस्लाम को मानने वाले हर शख्य की तमन्ना होती है कि वो हज का सफर कर मक्का और मदीना में इबादतें करे. यही ख्वाहिश लिए हर मुस्लिम अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी खर्च कर हज पर जाता है. जमील अहमद मुगल बताते हैं कि पिछले सालों के मुकाबले हज का सफर काफी महंगा हो गया है. इस साल हज पर जाने वाले आजमीन को 4 लाख 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे. जिसमें हवाई जहाज का किराया, मक्का, मदीना, मैदान-ए-अराफात और मुजदलिफा में ठहरना शामिल है. हज के सफर का हवाई किराया ही 1 लाख, 5 हजार रुपये है.
इस बार मिला 1.75 लाख सीटों का कोटा
इस बार भारत से जाने वाले आजमीन के लिए 1 लाख, 75 हजार, 25 सीटों का कोटा सऊदी अरब सरकार की तरफ से दिया गया है. इसमें 70 प्रतिशत केन्द्रीय हज कमेटी को मिला है और 30 प्रतिशत प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स को दिया गया है. पहले ये कोटा 80-20 का था. 2014 के बाद भारत सरकार ने हज यात्रियों को हवाई किराए में दी जाने वाली सब्सिडी बन्द कर दी थी. हालांकि ये ज्यादा नहीं थी, मगर गरीब आजमीन के लिए थोड़ी राहत थी. सब्सिडी बन्द हो जाने से भी हज का सफर थोड़ा महंगा हुआ है.
साऊदी में लोगों के ठहरने के नियम में बदलाव
जमील अहमद मुगल ने बताया कि इस बार सऊदी हुकूमत ने हज पर आ रहे लोगों के ठहरने के नियमों में बदलाव किया है. अब मर्द और औरत दोनों के लिए ठहरने के इन्तेजामात अलग-अलग किए जाएंगे. लेकिन होंगे एक ही बिल्डिंग में. भारत से जाने वाले आजमीन के लिए जहां मक्का में भारत सरकार अजीजिया इमारतों में रुकने का इन्तेजाम करती है. वहीं मदीना में ठहरने के इन्तेजामात सऊदी हुकूमत की तरफ से होते हैं. उधर मैदान-ए-अराफात में आजमीन को टेंट्स में रहना पड़ता है. उसका प्रबन्ध भी सऊदी अरब की सरकार ही करती है.
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