क्या है पीएम श्री योजना? केंद्र की इस योजना को 3 राज्यों ने अब भी नहीं दी स्वीकृति

पीएम श्री योजना में भारत के 14,500 पुराने स्कूलों को बेहतर बनाने विकसित करने का लक्ष्य है. इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास की सुविधा दी जाएगी. साथ ही वे दूसरे स्कूलों का भी मार्गदर्शन करेंगे.

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PM Shri Yojana: केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक पीएम श्री योजना है. इसका पूरा नाम प्राइम मिनिस्टर स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया है जिसे 7 सितंबर 2022 को शुरू किया गया था. सरकार ने इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य 5 साल रखा है. योजना के तहत छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देना और 21वीं सदी के कौशल सिखाने के साथ उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना है. हालांकि, केंद्र की इस योजना का कुछ राज्यों ने विरोधी भी किया.

पीएम श्री योजना का लक्ष्य और उद्देश्य

पीएम श्री योजना का मुख्य लक्ष्य भारत के 14,500 पुराने स्कूलों को बेहतर बनाकर और शिक्षा नीति-2020 को सभी स्कूलों में लागू करना है. सरकार का इस योजना के तहत देश के इन सभी स्कूलों को विकसित करने का लक्ष्य है. इस योजना के जरिए इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की देखभाल की जाएगी और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाएगा. इसके साथ ही उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा मुहैया कराने का लक्ष्य है ताकि वह अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस कर सकें. इस योजना को सरकार ने 2022-23 से 2026-27 तक के 5 वर्षों के समय में पूरा करने का लक्ष्य रखा है. इस योजना को लागू करने के लिए देशभर के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग स्कूलों का चयन किया गया है. इन्हीं स्कूलों को अपग्रेड करने की योजना है. इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास की सुविधा दी जाएगी. साथ ही वे दूसरे स्कूलों का भी मार्गदर्शन करेंगे.

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ऐसे में इस योजना के जरिए अब गरीब बच्चों को स्मार्ट क्लास से जोड़ा जा रहा है. पीएम श्री योजना के तहत 14,500 स्कूलों को पांच वर्षों में सुधारने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27,360 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. हालांकि इसमें 18,128 करोड़ केंद्र को और राज्य सरकार को 9,232 करोड़ रुपए वहन करना है.

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इस योजना के तहत, केंद्रीय विद्यालयों (केवी) और नवोदय विद्यालयों (एनवी) के साथ-साथ केंद्र संचालित, राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों को पूरे भारत में 'मॉडल' स्कूलों में अपग्रेड किये जाने की योजना है.

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कुछ राज्यों में हुआ इसका विरोध

पीएम श्री स्कूलों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना पड़ता था. ऐसे में देश के अधिकांश राज्यों ने इसके लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए. लेकिन, पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, केरल और दिल्ली ने केंद्र को पत्र लिखकर इस योजना पर 'आशंकाएं और आपत्तियां' व्यक्त की. केंद्र द्वारा जब इसको लेकर सख्त रूख अपनाया गया और राशि को रोकने के बारे में बताया गया तो इन राज्यों ने अपना विरोध छोड़ दिया और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गए. उनमें से कुछ ने शिक्षा क्षेत्र में 'दूरगामी प्रभाव' वाली इस योजना को समर्थन दिया और धन भी स्वीकृत कराया.

तीन राज्यों ने नहीं दी मंजूरी

पीएम श्री योजना को पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली सहित तीन राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अड़े रहे और पीएम-श्री योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. केंद्र ने इस पर आपत्ति जताते हुए पीएम-श्री योजना में शामिल होने से इनकार करने पर इन तीन राज्यों के प्रमुख स्कूल शिक्षा कार्यक्रम, समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के लिए वित्त पोषण रोक दिया.

आधिकारिक पोर्टल पर पोस्ट की गई जानकारी के अनुसार, "फंड आवंटन को लेकर राज्यों द्वारा जो विवाद का मुख्य बिंदु बना वह 60:40 फंडिंग अनुपात है. जिसमें केंद्र से 60% खर्च वहन करना है, जबकि राज्य सरकारों को कुल लागत का 40% खर्च करना होगा." पांच साल की परियोजना की कुल लागत 27,360 करोड़ रुपये है. जिसमें से केंद्र सरकार को 18,128 करोड़ और राज्य सरकार को 9,232 करोड़ रुपए वहन करना है.

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