कोटा में विजयादशमी का पर्व एक अनूठे अंदाज में मनाया जाता है, जहाँ जेठी समाज बुराई के प्रतीक रावण का वध मिट्टी के रावण को पैरों से रौंदकर करता है। यह परंपरा करीब 150 सालों से चली आ रही है। नवरात्र के पहले दिन मिट्टी का रावण बनाकर उस पर ज्वारे उगाए जाते हैं। दशमी के दिन, रावण को पैरों से रौंदकर उसी मिट्टी पर पहलवान कुश्ती दंगल करते हैं, जो इस समाज की एक विशेष पहचान है। महिलाएँ नौ दिनों तक पारंपरिक गरबा और डांडिया नृत्य करती हैं।