Union Grant Commission: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश के 157 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर(Defaulter) घोषित कर दिया है. इनमें राजस्थान के 14 विश्वविद्यालय भी शामिल हैं. यूजीसी ( Union Grant Commission) के इस अचानक कदम ने सभी को चौंका दिया है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्थान के इन 14 डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों में 7 सरकारी विश्वविद्यालय भी शामिल हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 157 की सूची में से 108 सरकारी, 47 निजी और 2 डीम्ड विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है. इसके लिए यूजीसी ने तय समय और नियमों के अनुसार विश्वविद्यालयों में लोकपाल ( Lok pal) की नियुक्ति न होना वजह बताई है.
विश्वविद्यालयों ने किया नियमों का उल्लंघन
जानकारी के अनुसार आयोग ने यूजीसी के 2023 नियमों के अनुसार छात्रों की शिकायतों की सुनवाई के लिए हर कॉलेज में लोकपाल की नियुक्ति अनिवार्य कर दी थी. 17 जनवरी को यूजीसी की ओर से इन नियमों का पालन न करने वाले विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर सूची में शामिल कर उनकी सूची प्रकाशित की गई है. इस संबंध में इन विश्वविद्यालयों को बार-बार चेतावनी भी दी गई, लेकिन विश्वविद्यालयों की ओर से कोई कार्रवाई न किए जाने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यह कदम उठाया है.
राजस्थान की 14 यूनिवर्सिटीज जिन्हें UGC के किया डिफॉल्टर घोषित
विश्वविद्यालयों के नाम | जगह का नाम |
बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय | जयपुर |
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय | जोधपुर |
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय | बीकानेर |
राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय | बीकानेर |
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय | बीकानेर |
कोटा विश्वविद्यालय | कोटा |
विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय | जयपुर |
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय | लूनी, जोधपुर |
पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी | उदयपुर |
प्रताप विश्वविद्यालय | जयपुर |
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय | जोधपुर |
जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय | जोधपुर |
जय मिनेश आदिवासी विश्वविद्यालय, | कोटा |
अपेक्स यूनिवर्सिटी | जयपुर |
बच सकती हैं मान्यता
इन 13 विश्वविद्यालयों के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 144 विश्वविद्यालयों को आदेश दिया है कि यदि ये विश्वविद्यालय समय रहते लोकपाल की नियुक्ति कर देते हैं तो उन्हें डिफॉल्टर सूची से हटा दिया जाएगा, लेकिन इससे पहले उन्हें निम्नलिखित ईमेल आईडी पर इसकी सूचना देनी होगी.
केंद्रीय विश्वविद्यालय के मामले में: mssarma.ugc@nic.in
राज्य विश्वविद्यालय के मामले में: smitabidani.ugc@nic.in
मानित विश्वविद्यालय के मामले में: monika.ugc@nic.in
निजी विश्वविद्यालय के मामले में: amol.ugc@nic.in
नई शिक्षा नीति का अनुपालन जरूरी
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सभी विश्वविद्यालयों के लिए लोकपाल की नियुक्ति जरूरी कर दी गई है, ताकि छात्रों के मामलों को गंभीरता से सुना जा सके और उनका समाधान किया जा सके. लोकपाल की नियुक्ति के लिए कई प्रावधान भी किए गए हैं. इनमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश को लोकपाल नियुक्त करने का प्रावधान भी शामिल है. जिन विश्वविद्यालयों ने नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए लोकपाल की नियुक्ति नहीं की. उन विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित कर चेतावनी दी गई है, ताकि वे जल्द से जल्द नियुक्ति कर सकें. यूजीसी की ओर से डिफॉल्ट करने वाले विश्वविद्यालयों को चेतावनी जारी की गई है.