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This Article is From Aug 20, 2023

बांसवाड़ा: हाथों में हथियार लेकर सड़कों पर उतरी महिलाएं, इंद्रदेव को किया आगाह

बांसवाड़ा जिले के टामटिया गांव की सड़कों पर हाथों में तलवार लिए महिलाएं दिखी. सैकड़ों साल पुरानी मान्यता के अनुसार ऐसा करने से बारिश होती है.

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बांसवाड़ा: हाथों में हथियार लेकर सड़कों पर उतरी महिलाएं, इंद्रदेव को किया आगाह
women with weapons: जनजाति जिले बांसवाड़ा में 'धाड़' प्रथा परंपरागत रूप से चली आ रही है.
बांसवाड़ा:

जब बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र के टामटिया गांव की सड़कों पर हाथो में लठ्ठ और तलवार लेकर पुरुषों का रुप धारण कर हजारों महिलाएं उतरीं, तो इस परंपरा से अनजान लोग आश्चर्यचकित रह गए. लेकिन जब लोगों ने इस 100 साल पुरानी परंपरा को जाना तो वह भी आश्चर्य में पड़ गये. 

हम बात कर रहे हैं जनजाति जिले बांसवाड़ा में परंपरागत रूप से चली आ रही 'धाड़' प्रथा की जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहतें है कि एक साथ कई लोगों द्वारा एकत्र होकर लूट करना.

लेकिन यहां मकसद लूट का नहीं था. यहां बरसात नहीं होने पर भगवान के सामने यह प्रदर्शन करना, कि हे भगवान यदि बारिश नहीं होगी तो लूट, डकैती और चोरी की घटनाएं बढ़ जाएंगी. इसलिए अच्छी बारिश करना.

धारदार हथियार से लैश थी महिलाएं

टामटिया गांव में अच्छी बारिश की कामना को लेकर महिलाओं ने पुरुषों की वेशभूषा धोती कुर्ता, सिर पर पगड़ी पहनकर हाथों में लट्ठ और तलवार लिए 'धाड़' निकाली. किसी महिला के हाथों में धारिया, किसी के हाथ में भाला तो किसी के हाथ में कुल्हाड़ी थी. सिर पर पगड़ी, माथे पर तिलक, कलाई में कड़े और पैरो में जूतियां पहनी महिलाओं को देखकर, एक बार यहां से गुजर रहे वाहन चालक, राहगीर और ग्रामीण डर गए. लेकिन इन महिलाओं की मंशा किसी पर हमले या लूट की नहीं बल्की बारिश करवाने की थी. 

पुरूष सामने आए तो माना जाता है अशुभ

अच्छी बारिश कामना को लेकर भगवान इंद्रदेव को रिझाने की 100 साल से ज्यादा प्राचीन परंपरा है. इस दौरान कोई पुरुष इनके सामने नहीं आता क्योंकि इसे अपशुकन माना जाता है. महिलाओं ने इस साल यह परंपरा इसलिए निभाई क्योंकि अगस्त माह में बहुत कम बारिश हुई है. इसको देखते हुए भगवान को रिझाने के लिए यह परंपरा निभाई गई.

हाथों में हथियार लिए महिलाओं ने किया गेर नृत्य

सूखे के संकट का सामना कर रहे इस क्षेत्र में अच्छी बारिश की कामना को लेकर सशस्त्र महिलाएं पुरुषों के वेशभूषा पहनकर एक हुई थी. इसके बाद महिलाएं बागेश्वरी माताजी मंदिर में लोक गीतों के साथ पूजा अर्चना की. वहाँ से कविरिया, फांगलिया होते हुए अनास नदी के पास प्राचीन महादेव मंदिर में अर्चना की. इसके बाद छाजा में माताजी मंदिर के बाहर सभी महिलाओं ने हाथों में हथियार लिए हुए गेर नृत्य किया. ये महिलाएं 10-15 किलोमीटर घूमकर वापस टामटिया के माला देवी मंदिर पहुंची, जहां पूजा अर्चना कर नारियल के साथ हवन में आहुतियां दी.
 

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