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This Article is From Jul 12, 2023

दुनिया भर में मशहूर हैं राजस्थान के ये डांस फॉर्म्स, इनमें दिखती है संस्कृति की झलक

राजस्थान कला और संस्कृति के मामले में काफी समृद्ध राज्य कहा जाता है. यहां का खाना और डांस दुनिया भर में मशहूर है. राजस्थान के रजवाड़ों में होने वाले फ्लॉक डांस दुनिया भर में मशहूर हैं और ये हमारी रंग बिरंगी संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं.

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दुनिया भर में मशहूर हैं राजस्थान के ये डांस फॉर्म्स, इनमें दिखती है संस्कृति की झलक
दुनिया भर में मशहूर हैं राजस्थान के ये डांस फॉर्म्स
नई दिल्ली:

राजस्थान कला और संस्कृति के मामले में काफी समृद्ध राज्य कहा जाता है. यहां का खाना और डांस दुनिया भर में मशहूर है. राजस्थान के रजवाड़ों में होने वाले फ्लॉक डांस दुनिया भर में मशहूर हैं और ये हमारी रंग बिरंगी संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं. चलिए आज जानते हैं राजस्थान के मशहूर डांस फॉर्म्स के बारे में जो यहां की परंपरा और प्रतिष्ठा को कायम रखने के साथ साथ राजस्थान को दुनिया भर में सबसे अलग बनाते हैं. 

घूमर 
आपने पद्मावत फिल्म में दीपिका पादुकोण का घूमर डांस देखा होगा. आपको बता दें कि घूमर नाच राजस्थानी शैली का सबसे पॉपुलर डांस फॉर्म कहा जाता है. इस डांस को राजस्थान की भील जनजाति ने तैयार किया था और राजस्थान में होने वाले हर तीज त्योहार पर महिलाएं इस डांस को बड़े शौक से करती हैं. इस डांस को करते वक्त औरतें घाघरा चोली पहनती हैं और घेरे में घूम घूम कर ये डांस किया जाता है. आज के दौर में राजपूत घरानों में भी ये डांस काफी मशहूर है. 

कालबेलिया
राजस्थान का कालबेलिया डांस कालबेलिया जनजाति की तरफ से आया है. इस डांस को सपेरे की बीन पर किया जाता है. डांस करने वाली महिला इस डांस को करते वक्त काले कपड़े पहनती है और सांप की तरह लचकदार डांस करती है. इस दौरान महिला हाथी दांत या फिर चांदी से बने गहने पहनती हैं. राजस्थानी शैली में ये डांस काफी मशहूर है और कई तरह के कार्यक्रमों में ये डांस किया जाता है. 

भवई
भवई भी राजस्थानी जनजातियों की तरफ से आया डांस है. इसे महिलाएं करती हैं और इसमें काफी जोखिम भी होता है. इस डांस को करते वक्त महिला कांच या धारदार तलवार के ऊपर अपने तलवे रखकर डांस करती हैं. ये डांस आमतौर पर शौर्य और जोखिम का प्रतीक माना जाता है. जाट, मीना, भील और कालबेलिया जनजाति में ये डांस काफी मशहूर है. 

गैर 
भील जनजाति की तरफ से आया गैर डांस मुख्य रूप में धार्मिक आयोजनों में किया जाता है. उदाहरण के लिए जन्माष्टमी और होली दीपावली जैसे त्योहारों पर औरतें गैर नृत्य करती हैं. इस डांस को महिलाओं के साथ साथ पुरुष भी करते हैं और पुरुष अंगरखा पहनते हैं. 

कच्छी घोड़ी
कच्छी घोड़ी भी राजस्थान का पारंपरिक लोक नृत्य है जिसे डाकुओं की जीवनशैली के आधार पर किया जाता है. ढोल पर डांस करते युवक और युवतियां इस डांस के जरिए बवेरिया डाकुओं के जीवन की कहानियों को नाच गाकर प्रस्तुत करते हैं. इस डांस में तलवारें भी चलती है और साफे बांधकर युवक डांस करते हैं. 

चारी 
चारी मूल रूप से राजस्थान के कम पानी वाले इलाकों में कुशल औरतों की मेहनत दिखाने वाला डांस हैं. इस डांस में औरतें पानी के बर्तनों को सिर पर साध कर डांस करती हैं. ये बताता है कि जहां पानी नहीं है वहां औरतें पानी लाने के लिए कितनी मशक्कत करती हैं. ये डांस सैनी और गुर्जर समुदाय में ज्यादा प्रचलित है.इस डांस में महिलाएं पीतल की गगरी को एक के ऊपर एक रखकर साधती है और सबसे ऊपर वाली गगरी में दीपक जलाकर संतुलन बिठाकर डांस करती हैं.

कठपुतली
आपने भी बचपन में कठपुतली का डांस देखा होगा. इसमें राजा रानी की कहानी कही जाती है. कठपुतली डांस राजस्थानी संस्कृति की देन है. लकड़ी की गुड़ियों को धागों से बांधकर डांस करवाने की कला ही कठपुतली डांस है. राजस्थान में शिवरात्रि के आस पास के दिनों में हर मोहल्ले में कठपुतली डांस होता है और लोग जमकर आनन्द उठाते हैं. 

तेरह थाली 
तेरह थाली डांस भी संतुलन और फोकस पर आधारित डांस है. इस डांस में औरतें मुंह में तलवार दबा कर पैरों के जरिए कांसे की थालियों पर घूम घूम कर डांस करती हैं.

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