Ram Navami Ayodhya: अयोध्या में राम नवमी के अवसर पर रामलला (Ram Lalla) का सूर्य की किरणों से अभिषेक (Surya Abhishek) किया गया, जिसे 'सूर्य तिलक' नाम दिया गया. आज पूरा देश इस ऐतिहासिक और अद्भूत क्षण का गवाह बना. राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, 'आज रामनवमी का मेला है. भक्त प्रार्थना कर रहे हैं और आज सब कुछ विशेष है. सूर्य तिलक के साथ ही रामलला का जन्म हो गया. मंदिर में आरती की गई और फिर कुछ देर के लिए रामलला का पट बंद कर दिया गया.'
3 मिनट तक चला सूर्याभिषेक
इससे पहले जगद्गुरु राघवाचार्य ने 51 कलशों से भगवान रामलला का अभिषेक किया. जैसे ही दोपहर के 12 बजे, मंदिर के गर्भगृह में रोशनी कम हो गई, लेकिन सूर्य की किरणें भगवान राम के माथे को चूमने के लिए छनकर आईं और 'सूर्य तिलक' किया. यह घटना लगभग तीन मिनट तक चली, इस दौरान शंख ध्वनि के बीच 'आरती' की गई. इस प्रतीकात्मक भाव ने भगवान राम के जन्मदिन पर मंदिर परिसर में एक दिव्य माहौल बना दिया. इस उत्सव का प्रसारण पूरे शहर में लगभग 100 एलईडी स्क्रीन पर किया गया. इसे ट्रस्ट के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी प्रसारित किया गया. सूर्य तिलक के क्षण में भक्त खुशी से झूम उठे. पूरे अयोध्या में जय श्री राम के नारे सुनाई देने लगे. राम जन्मभूमि मंदिर के बाहर भक्त नाच-गाने लगे.
पहले किए थे दो सफल परीक्षण
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की, (आईआईटी-आर) के शोधकर्ताओं को सूर्य तिलक तंत्र बनाने का काम सौंपा गया था, जो राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता है. बुधवार को रामनवमी पर होने वाले सूर्य अभिषेक समारोह की तैयारी के लिए आईआईटी टीम ने दो सफल परीक्षण किए थे. टीम ने यह सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस से सुसज्जित एक विशेष उपकरण विकसित किया था कि सूर्य की किरणें निर्धारित समय पर राम लला के माथे पर सटीक रूप से निर्देशित हों.
रामलला को लगाया गया 56 भोग
राम जन्मभूमि मंदिर में 56 प्रकार के भोग, प्रसाद और पंजीरी के साथ रामनवमी धूमधाम से मनाई जा रही है. इससे पहले, राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया, 'सब कुछ सजा दिया गया है और भगवान राम की मूर्ति को दिन के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है. उन्हें पीले कपड़े पहनाए गए हैं, और इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराया गया है. चार-पांच तरह की पंजीरी बनाई जाती हैं और इसके साथ ही भगवान को 56 तरह का भोग लगाया जाता है.'
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