
उच्चतम न्यायालय ने हत्या के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका को नए सिरे से विचार करने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय को भेज दिया है. उच्च न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि उसका वकील प्रतिनिधित्व करने के लिए अदालत में मौजूद नहीं था. न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया.
आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने पीठ के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय ने 17 मार्च, 2023 के अपने आदेश में उनके मुवक्किल की जमानत खारिज कर दी, क्योंकि अपीलकर्ता की ओर से कोई प्रतिनिधि अदालत में मौजूद नहीं था.
उन्होंने अदालत को बताया कि कोई भी वकील आरोपियों की ओर से पेश नहीं हो सका, क्योंकि वकीलों ने खुद को उस दिन सुनवाई से अलग रखा था. सक्सेना ने कहा कि उच्च न्यायालय ने लोक अभियोजक की दलील और आरोपी के भाई की औपचारिक दलील पर ध्यान दिया, जिसे वकील की अनुपस्थिति में पेश किया गया था.
उन्होंने कहा कि आरोपी 31 जनवरी, 2022 से हिरासत में है और हालांकि आरोप पत्र दायर किया जा चुका है, लेकिन मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है.
पीठ ने जमानत याचिका को बहाल करते हुए कहा, “परिस्थितियों और विशेष रूप से इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 17 मार्च, 2023 को अपीलकर्ता का उसके वकील द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था, हम मामले को उच्च न्यायालय को भेजना उचित समझते हैं ताकि वह अपीलकर्ता के वकील को सुन सके और फिर उचित आदेश पारित कर सके.”
आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने पीठ के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय ने 17 मार्च, 2023 के अपने आदेश में उनके मुवक्किल की जमानत खारिज कर दी, क्योंकि अपीलकर्ता की ओर से कोई प्रतिनिधि अदालत में मौजूद नहीं था.