विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jul 22, 2023

अरावली की पहाड़ियों में बसे बेमिसाल बूंदी की प्राकृतिक खूबसूरती मोह लेगी मन

प्राचीन समय में बूंदी को बृन्दावती के नाम से जाना जाता था. अरावली की हरी भरी पहाड़ियों से घिरे बूंदी को जलाशयों एवं बावड़ियों का शहर, हाड़ोती का हृदय स्थल और मंदिरों के चलते छोटी काशी भी कहा जाता है.

Read Time: 15 min
अरावली की पहाड़ियों में बसे बेमिसाल बूंदी की प्राकृतिक खूबसूरती मोह लेगी मन
प्राचीन समय में बूंदी को बृन्दावती के नाम से जाना जाता था.
बूंदी:

दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर राजस्थान का कोई सानी नहीं है. जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे बड़े शहर वैश्विक स्‍तर पर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं. बावजूद इसके प्रदेश के कई शहर ऐसे हैं, जो अपने आप में पर्यटन की असीम संभावना लिए हैं. उन्‍हीं में से एक है बूंदी. इतिहास और प्राकृतिक रूप से बूंदी काफी समृद्ध है. राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा बूंदी कोरोना काल के बाद से ही पर्यटकों की कमी से जूझ रहा है. हालांकि यहां की लोक संस्‍कृति, विरासत, चित्रकला शैली के साथ ही वीरों के बलिदान और मातृभ‍ूमि की रक्षा के बेमिसाल जज्‍बे से उपजी अमिट कथाएं इसे दुनिया के दूसरे शहरों से अलग करती हैं. 

प्राचीन समय में बूंदी को बृन्दावती के नाम से जाना जाता था. अरावली की हरी भरी पहाड़ियों से घिरे बूंदी को जलाशयों एवं बावड़ियों का शहर, हाड़ोती का हृदय स्थल और तकरीबन हर मोड़ पर कोई न कोई मंदिर स्थित होने से इसे छोटी काशी भी कहा जाता है. बूंदी को मीणा और राजपूत शासकों द्वारा बनाए गए किलों- महलों व मंदिरों के कारण जाना जाता है. इस प्रकार बूंदी अपनी रंग बिरंगी संस्कृति के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध है.

बूंदी का इतिहास
बूंदी शहर की स्थापना 24 जून 1242 को बम्बावदा के युवराज राव देवसिंह देवजी हाड़ा ने की थी. इससे पहले इस पर मीणाओं का शासन था, लेकिन 1242 में राव देवजी ने बूंदा मीणा को पराजित करके बूंदी को अपने अधिकार में ले लिया और यहां के राजा बने. बूंदी का निर्माण मीणा राजा बूंदा के शासनकाल में ही हो चुका था, इसलिए मीणा राजा बूंदा के नाम पर ही इस जिले का नाम बूंदी पड़ा. राव देवजी हाड़ा ने बूंदी का विस्तार करके इसे अपनी नई राजधानी बनाया. इसलिए इतिहास में बूंदी की स्थापना का श्रेय राव देवजी हाड़ा को दिया जाता है. 

धार्मिक स्थल 
बूंदी जिले के धार्मिक स्‍थल भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं. इनमें अभयनाथ महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, मल्लाशाह मंदिर, लक्ष्मी नाथ मंदिर, चारभुजा मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर कल्याणराय जी का मंदिर, चौथ माता‌ का मंदिर, इन्द्रगढ़ के कमलेश्वर महादेव का मंदिर, रामेश्वरम महादेव, भीमलत, बीजासन माता का मंदिर आदि हमेशा से ही देसी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं. 

h9jln3vg

पर्यटन स्थल 
गढ़ पैलेस, तारागढ़, शिकारबुर्ज, क्षारबाग, रामगढ़ सेंचुरी, छत्र महल, रतन दोलत, चित्रशाला, रानीजी की बावड़ी, सुख महल, 84 खंभों की छतरी व मोती महल संग्रहालय बूंदी शहर में देसी- विदेशी पर्यटकों के आकर्षक के प्रमुख केन्द्र रहते हैं. वहीं बूंदी जिले में तलवास व दुगारी का प्राकृतिक सौंदर्य तथा इंद्रगढ़ माताजी का मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करता है. 

पर्यटन के लिहाज से बूंदी का तारागढ़ किला और इसमें स्थित छत्रमहल, अनिरुद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फूल महल आकर्षण के प्रमुख केन्द्र हैं. इस किले में ही विश्व प्रसिद्ध बूंदी शैली के चित्रों की चित्रशाला भी स्थित है. यह चित्रशाला विदेशी पर्यटकों के भी खास आकर्षण का केन्द्र रहती है. तारागढ़ किले के तीन प्रवेश द्वारों में गर्भ गूंजन तोप और कभी नहीं‌ सूखने वाले जैत सागर व नवल सागर तालाब, सुख महल,  शिकार बुर्ज, 84 खम्भों की छतरी, क्षार बाग, रानी जी की बावड़ी आदि के लिए भी बूंदी प्रसिद्ध है. इनके अलावा भीमलत, रामेश्वर महादेव व बरधा डेम भी यहां के प्रमुख रमणीय स्थल हैं. 

राव देवसिंह ने बूंदी को अपनी राजधानी बनाने के साथ ही यहां तारागढ़ किले और बहुत से मंदिरों और जलाशयों का निर्माण कराया था. 

महाराव उम्मेद सिंह के शासन काल में बूंदी चित्रशाला का निर्माण सन् 1749-79 ईस्वी के बीच हुआ. बूंदी चित्रशाला को उम्मेद महल भी कहते हैं. बूंदी के राजमहल की इस चित्रशाला को भित्ती चित्रों का स्वर्ग कहा जाता है. 

77ognfig

राजा रावरतन सिंह हाड़ा को मुगल शासक जहांगीर ने इनके चित्रकला प्रेम के कारण सरबुंदराय (बरबुलंदराय) की उपाधि दी थी. गौरतलब है कि जहांगीर के शासन काल को भारत की चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है. वहीं राजा बिशन सिंह के समय को बूंदी की चित्र शैली का स्वर्णकाल कहलाता है. 

ये हैं बूंदी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

तारागढ़ किला

तारागढ़ दुर्ग अरावली की ऊंची पहाड़ियों में से एक नाग पहाड़ी पर बना शानदार दुर्ग है. यह दुर्ग गिरी दुर्ग का उत्कृष्ट उदाहरण है. इसे बूंदी का किला भी कहते हैं. चौदहवीं सदी 1354 इसवी में बूंदी के संस्थापक राव देव हाड़ा ने इस विशाल और खूबसूरत दुर्ग का निर्माण कराया था. 

बूंदी का तारागढ़ किला समुंदर तल से 1426 फीट ऊंचे पर्वत शिखर पर बना है. इस कारण धरती से आकाश के तारे के समान दिखाई देने के कारण यह तारा गढ़ के नाम से प्रसिद्ध है. राजस्थान के अन्य किलों की तुलना में इस दुर्ग पर मुगल स्थापत्य कला का खास प्रभाव दिखाई नहीं देता है. इस प्रकार यह दुर्ग ठेठ राजपूती स्थापत्य व भवन निर्माण कला का उदाहरण है. 

ulm9upq

पहाड़ी की खड़ी ढलान पर बने हुए इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए तीन विशाल द्वार बनाए गए हैं. इन्हें लक्ष्मी पोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी का फाटक के नाम से जाना जाता है. महल के द्वार हाथी पोल पर विशाल हाथियों की जोड़ी बनी हुई है. इस किले के भीतर बने महल अपनी शिल्प कला और भित्ति चित्रों के कारण अद्वितीय हैं. इन महलों में छत्र महल, अनिरुद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फूल महल प्रमुख हैं. 

चित्रशाला 
तारागढ़ दुर्ग में सबसे अधिक आकर्षित करने वाला स्थल चित्रशाला है. चित्रशाला में आपको बहुत सुंदर चित्र देखने को मिलते हैं. उम्मेद महल के नाम से प्रसिद्ध इस भव्य चित्रशाला का निर्माण राव उम्मेद सिंह ने करवाया था. इस महल का निर्माण 1749 से 1773 के बीच करवाया गया था. इसकी दीवारों पर निर्मित चित्र राव उम्मेद सिंह तथा बिशन सिंह के समय के हैं. चित्रों की विषय वस्तु में संगीत राग रागनियां, प्रेमाख्यान एवं राजकीय समारोह आदि का समावेश किया गया है. विशेष रूप से गोवर्धन धारी, चीर हरण, राम विवाह, ढोला मारु, रंगीन डोडी एवं माहमिराटत उल्लेखनीय है. इन रंगीन चित्रों में मुगल व मेवाड़ शैली का प्रभाव दिखता है. तारागद से बूंदी शहर की खूबसूरती देखते ही बनती है. 

c860g7ro

इस किले में पानी के तीन तालाब बनाए गए हैं, जो कभी सूखते नहीं हैं. इन तालाबों का निर्माण इंजीनियरिंग की परिष्कृत और उन्नत विधि का प्रमुख उदाहरण है, जिनका प्रयोग उन दिनों में हुआ था. इन तालाबों में वर्षा का जल संचित रहता था और संकट काल में आम जनता के लिए इसका उपयोग होता था. इन जलाशयों का आधार चट्टानी होने के कारण पानी यहां सालभर एकत्र रहता था. 

84 खम्भों की छतरी
शहर में कोटा मार्ग पर देवपुरा इलाके में एक विशाल छतरी बनी हुई है. इस छतरी का निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह द्वारा अपने भाई देवाराम के लिए के लिए 1683 में करवाया था. यह दो मंजिला भव्य छतरी के 84 स्तम्भ हैं. इस 84 खंभों की छतरी के बीच में एक विशाल शिवलिंग बना हुआ है, जो भगवान शिव को समर्पित है. 

h4u8j4l

सुख महल 
जैत सागर झील की मुख्य पाल पर यह सुख महल बना हुआ है. इसका निर्माण राजा विष्णु सिंह ने अपने मेहमानों के ठहरने के लिए कराया था. इस भवन में अंग्रेज अधिकारी और लेखक रुडयार्ड किपलिंग ठहरे थे. इस कारण इसे किपलिंग पैलेस भी कहते हैं. वर्तमान में यह पुरातत्व विभाग के अधिकार में है. विभाग के द्वारा अब इसे संग्राहलय बना दिया गया है. इसमें अस्त्र शस्त्र दीर्धा, चित्रकला खंड व मूर्ति कला खंड भी निर्धारित हैं. 

fvscugf

रानी जी की बावड़ी 
इस बावड़ी का निर्माण सन 1996 में राव राजा अनिरुद्ध सिंह की पत्नी रानी नातावती ने करवाया था. यह बावड़ी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. पूरे हाड़ौती में इस तरह की कोई अन्य बावड़ी नहीं है. यह बावड़ी पश्चिम मुखी है. इसकी गहराई 46 मीटर है तथा इसके तीन गेट हैं. पूरी बावड़ी में पत्थरों पर खुदाई करके सुंदर चित्रकारी की गई है. भगवान की मूर्तियां व कई छोटे मंदिर भी इस बावड़ी के चारों तरफ बनाए गए हैं. वर्तमान में इसकी देखभाल पुरातत्व विभाग द्वारा की जा रही है. 

onb08ng

रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्‍य 
बूंदी में भारत का 52 वां और प्रदेश का चौथा रामगढ़ विषधारी अभ्‍यारण्‍य है, जिसमें जंगल सफारी की शुरुआत हो चुकी है. यह भी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. रामगढ़ अभयारण्य की सीमा बूंदी शहर से लगती है. अभयारण्य का क्षेत्रफल 307 वर्ग किलोमीटर है. यहां दशकों पहले काफी संख्या में बाघ पाए जाते थे, इसीलिए इस अभयारण्य को बांधों का जच्चाघर भी कहते हैं. इस अभयारण्य के बीचों बीच बारहों महीने मेज नदी‌ बहती है. अभ्‍यारण्‍य के मध्य में रियासत कालीन रामगढ़ महल भी स्थित है. 

r9qa32m

रामगढ़ टाइगर रिजर्व अभ्यारण क्षेत्र के दलेलपुरा नाके से टाइगर हिल तक अभी 10 किलोमीटर की सफारी शुरू करने की अनुमति मिली है. इसके बाद बाद टाइगर हिल सफारी के लिए दलेलपुरा नाका को प्रवेश द्वार बनाया गया है. देसी विदेशी पर्यटकों यहीं से इस टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर सकेंगे. रामगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्तमान में एक टाइगर और एक टाइग्रेस मौजूद है. वहीं तीन टाइगरों का मूवमेंट लाखेरी चाकन डेम के आसपास बना हुआ है. सफारी रूट को पत्थरों से काटकर बनाया गया है. 

झीलें, तालाब और बावड़ियां 
बूंदी में कई बेहद खूबसूरत झीले व बावड़ियां भी हैं. इनके कारण बूंदी को बावड़ियों का शहर भी कहा जाता है. इनमें निम्‍न जलाशय शामिल हैं.

जैत सागर
यह झील बूंदी शहर से करीब दो किलोमीटर दूर अरावलियों की पहाड़ियों के बीच स्थित है. जैता मीणा के द्वारा निर्मित यह बूंदी शहर की सबसे बड़ी झील है. इस झील की मुख्य पाल पर ही सुखमहल बना हुआ है. 

नवल सागर झील 
यह गढ़ पैलेस के सामने स्थित सुंदर झील है. इसमें बारिश का पानी एकत्र होता है. रात के समय इसके पानी में गढ़ पैलेस का खूबसूरत प्रतिबिम्ब दिखाई देता है. इस झील के बीच में एक मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है. 

8sn74oco

'टूरिज्‍म के लिए अच्‍छे संकेत' 
पूर्व राज परिवार के सदस्‍य वंशवर्धन सिंह के मुताबिक, यहां प्रकृति के साथ बहुत सारी हेरिटेज साइट्स भी हैं. यहां शहर के नजदीक तीन से चार झरने भी हैं और अरावली का काफी अच्छा जंगल है. काफी सालों पहले यहां जंगल खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके थे, लेकिन रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व अभयारण्य के विकसित होने के साथ ही अब इस पर रोक लगी है और यहां काफी जानवर हैं. कुछ समय पहले यहां पर एक मादा बाघ ने शावकों को जन्म भी दिया था. हाल ही में उनके वीडियो भी वायरल हुए हैं. यह बूंदी के टूरिज्म के लिए बहुत ही अच्छे संकेत हैं. उन्‍होंने कहा कि स्‍थानीय सांसद और विधायक को चाहिए कि वह बूंदी की प्रकृति के साथ हेरिटेज का भी ध्यान रखें. गवर्नमेंट बॉडीज इनका टाइम टू टाइम रखरखाव करें. फंडिंग का सही इस्तेमाल करें,‌ ताकि ये स्थान और डेवलप हो सकें. इससे देशी-विदेशी पर्यटक और आकर्षित होंगे. आने वाले वक्‍त पर और भी प्राइवेट प्रॉपर्टीज को भी विकसित किया जा सकेगा. 

उन्‍होंने कहा कि बूंदी को राजस्थान में ही नहीं इंडिया के स्तर पर भी ऐसी साइट के रूप में विकसित किया जा सकता है, जहां हेरिटेज के साथ वाइल्ड लाइफ का भी उतना ही आनंद मिले. इससे और ज्यादा डेवलपमेंट होगा. अब यहां एयरपोर्ट भी शुरू होने वाला है, यह सब पॉजिटिव संकेत हैं. 

80o846m

पर्यटन के लिए तैयार हो रोडमैन 
वाइल्‍ड लाइफ लवर बिट्ठल सनाढ्य ने कहा कि बूंदी में हेरिटेज भरा पड़ा है. जैसे रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य, रानीजी की बावड़ी एशिया की मानी हुई बावड़ी है. नागर - सागर कुंड है, धाभाइयों का कुंड है, 84 खंभों की छतरी है, सुखमल है. बांध भी यहां पर बहुत ज्यादा हैं. अभयपुरा बांध, तलवार का रतन सागर, दुगारी का कनक सागर लेक जितनी भी ऐसी प्रसिद्ध झीलें हैं, इनमें नौकायन की सुविधा बढ़ानी चाहिए, तब जाकर पर्यटन बढ़ेगा. उन्‍होंने कहा कि ठहरने के लिए पर्यटकों के लिए होटल और कमरों की भी व्यवस्था राज्य सरकार के सरकारी या प्राइवेट लोगों के द्वारा करवानी चाहिए और पर्यटन को लेकर एक रोडमैप तैयार करवाना चाहिए, जिससे बूंदी का विकास हो सके और पर्यटकों को बढ़ावा मिल सके. 

कुछ ही जगहों पर ऐसी विरासत 
बूंदी विकास समिति एवं बूंदी महाउत्सव समिति के सदस्‍य पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि बूंदी अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा है. बूंदी में जितनी विरासत और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, मैं समझता हूं कि विश्व में कुछ ही जगहों पर ऐसी विरासत मौजूद रही होगी. चाहे जिला प्रशासन या राज्य सरकार की कमी या भारत सरकार की कमी मानें जितना विकास बूंदी का होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है. कोरोना कॉल से पूर्व काफी संख्या में विदेशी और देशी पर्यटक आते थे, लेकिन कुछ सालों से यहां पर पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है. हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे जिले में रामगढ़ अभ्यारण बना है. उस अभ्यारण में शेरनी ने अभी 3 बच्चों को जन्म दिया जो हमारे लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. हम राज्य सरकार और भारत सरकार से मांग करते हैं कि अधिक संख्‍या में शेरों को रामगढ़ अभ्यारण्‍य में छोड़ा जाए, क्योंकि यह जानवरों और पशु पक्षियों के लिए मीटिंग - मेंटिंग का बड़ा स्थान है. 
 

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close