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Rajasthan: रशिया से उड़कर जैसलमेर आया बगुले की तरह दिखने वाला कॉमन क्रेन, भारी शरीर के बावजूद तय किया 4161 KM का सफर

Rajasthan News: जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में प्रवास करने वाले कॉमन क्रेन का झुंड धोलिया गांव के पास पहुंचा है. यह पक्षी कुरजां जैसा ही दिखता है.

Rajasthan: रशिया से उड़कर जैसलमेर आया बगुले की तरह दिखने वाला कॉमन क्रेन, भारी शरीर के बावजूद तय किया 4161 KM का सफर
लाठी क्षेत्र में कॉमन क्रेन का झुंड

Jaisalmer News: जैसलमेर के वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए खुशखबरी है. कुरजां पक्षी का हमशक्ल माना जाने वाला "कॉमन क्रेन" आखिरकार लाठी क्षेत्र में पहुंच गया है. मध्य एशिया से हर साल राजस्थान, भारत विशेषकर जैसलमेर में प्रवास करने वाले कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) के साथ अब इसका हमशक्ल कॉमन क्रेन भी पहुंचने लगा है. शुक्रवार सुबह धोलिया गांव के पास कॉमन क्रेन का झुंड देखा गया. यह पक्षी कुरजां जैसा ही दिखता है, जिसके कारण आम लोग इसे पहचानने में कई बार गलती कर देते हैं. इसकी विशेष विशेषताओं के आधार पर पक्षी विज्ञानी ही इसकी पहचान कर सकते हैं.

कॉमन क्रेन का झुंड

कॉमन क्रेन का झुंड
Photo Credit: NDTV

पांच सालों से भारत आ रहे है कॉमन क्रेन

पिछले पांच सालों से कॉमन क्रेन इस इलाके में नियमित रूप से प्रवास कर रहे हैं. कॉमन क्रेन और कुरजां दोनों ही अगस्त के आखिर या सितंबर के पहले हफ्ते में भारत आते हैं. कुरजां बड़ी संख्या में साइबेरिया, कजाकिस्तान, मंगोलिया और रूस जैसे ठंडे इलाकों से प्रवास करते हैं. इन पक्षियों का प्रवास करीब छह महीने का होता है और ये फरवरी-मार्च में अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं.हालांकि, इस बार कॉमन क्रेन लाठी इलाके में थोड़ी देरी से पहुंचे हैं, जिससे पर्यावरणविदों और पक्षी प्रेमियों में उत्साह बढ़ गया है.

कुरजां जैसा दिखता है कॉमन क्रेन

कुरजां जैसा दिखता है कॉमन क्रेन
Photo Credit: NDTV

पांच सालों से भारत आ रहे है कॉमन क्रेन

पिछले पांच सालों से कॉमन क्रेन इस इलाके में नियमित रूप से प्रवास कर रहे हैं. कॉमन क्रेन और कुरजां दोनों ही अगस्त के आखिरी या सितंबर के पहले हफ्ते में भारत आते हैं. कुरजां साइबेरिया, कजाकिस्तान, मंगोलिया और रूस जैसे ठंडे इलाकों से बड़ी संख्या में प्रवास करते हैं. इन पक्षियों का प्रवास करीब छह महीने का होता है और ये फरवरी-मार्च में अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं. हालांकि, इस बार कॉमन क्रेन लाठी इलाके में थोड़ी देरी से पहुंचे हैं, जिससे पर्यावरणविदों और पक्षी प्रेमियों में उत्साह बढ़ गया है.

पांच सालों से लगातार भारत आ रहे है कॉमन क्रेन

पांच सालों से लगातार भारत आ रहे है कॉमन क्रेन
Photo Credit: NDTV

पहली बार जैसलमेर के लाठी में गई थी देखी

पिछले साल लाठी क्षेत्र के कोजेरी नाडी में पहली बार कॉमन क्रेन को देखा गया था. इसकी मौजूदगी ने पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं में खास दिलचस्पी पैदा की. कुरजां जैसी दिखने वाली इस प्रजाति ने पक्षीविज्ञान के क्षेत्र में नए अध्ययन का मौका दिया है.इस साल भी इसके आगमन ने शोधकर्ताओं को कुरजां और कॉमन क्रेन के बीच समानता और अंतर का अध्ययन करने का मौका दिया है.

भारी शरीर के बाद भी मीलो की दूरी की तय

दोनों पक्षी दिखने में लगभग एक जैसे हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इनके व्यवहार, आवाज और उड़ने के अंदाज में थोड़ा अंतर है. इसके अलावा आम सारस साइबेरियन सारस से भारी होता है. और भारी शरीर होने के बावजूद यह 4161 KM की दूरी तय करके यहां आया है. पर्यावरणविदों के अनुसार ये पक्षी जैसलमेर की जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्व को और खास बनाते हैं. इस प्रवासी पक्षी का आगमन क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा देने के साथ ही स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पक्षी प्रेमियों को भी आकर्षित कर रहा है.

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