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This Article is From Jul 13, 2023

भारत का पहला वास्तुशास्त्रानुसार निर्मित नगर है 'पिंक सिटी' कहा जाने वाला जयपुर

अपनी विशेषताओं के चलते जयपुर को 'सिटी ऑफ आइसलैंड', 'रंगश्री द्वीप', 'हेरिटेज सिटी', 'वैभव नगरी', 'पूर्व का पेरिस', 'रत्न नगरी', 'भारत का पेरिस' और  'दूसरा वृंदावन' जैसे उपनामो से नवाजा गया है.

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भारत का पहला वास्तुशास्त्रानुसार निर्मित नगर है 'पिंक सिटी' कहा जाने वाला जयपुर
जयपुर की सबसे ज़्यादा मशहूर इमारतों में हवामहल भी शामिल है...

पिंक सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर में कई ऐसे किले और महल हैं, जो वीर योद्धाओं की कहानी बयां करते हैं. अर्ध रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित जयपुर भारत का पहला ऐसा शहर है जिसे वास्तुशास्त्र के अनुसार बसाया गया था. अपनी विशेषताओं के चलते जयपुर को 'सिटी ऑफ आइसलैंड','रंग श्री द्वीप', 'हेरिटेज सिटी', 'वैभव नगरी', 'पूर्व का पेरिस', 'रत्न नगरी', 'भारत का पेरिस' और  'दूसरा वृंदावन' जैसे उपनामो से नवाजा गया है. आकर्षण की दृष्टि से जयपुर की तुलना 'बुडापेस्ट', भव्यता की दृष्टि से 'मॉस्को' और सुंदरता की दृष्टि से 'पेरिस' से की जाती है.

जयपुर का इतिहास
जयपुर के इतिहास की बात करें तो इस खूबसूरत नगर का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 18 नवंबर 1727 को कराया गया था. उन्होंने इस वैभवशाली शहर के निर्माण के लिए उस समय के विख्यात बंगाली शिल्पकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद ली थी. उनके निर्देशन में जयपुर का निर्माण 90 डिग्री कोण सिद्धांत पर करवाया गया था. खगोलविज्ञान के ज्ञाता महाराजा जय सिंह ने इस शहर के निर्माण में 9 अंक को खास महत्व दिया क्योंकि 9 अंक 9 ग्रहों का प्रतीक होते हैं. शहर की स्थापना 9 वर्गों और 9 चौकड़ियों में की गई है. इन 9 वर्गों में से 2 महल जबकि अन्य सात में आम जनता के मकानों और दुकानों के लिए निर्धारित किए गए थे. उस समय का एकलौता सुनियोजित ढंग से बना यह नगर दक्षिण को छोड़कर सभी दिशाओं में पहाड़ियों से घिरा है. 

राजा जयसिंह ने इस शहर की सुरक्षा के लिए सात मजबूत दरवाजों का निर्माण कराया. ये सात दरवाजे हैं - ध्रुव दरवाजा, घाट दरवाजा, न्यू दरवाजा, सांगानेरी दरवाजा, अजमेरी दरवाजा, चांदपोल दरवाजा और सूरज पोल दरवाजा. ये सभी 7 दरवाजे सूर्य के रथों के प्रतीक माने जाते हैं. यहां 18 प्रमुख सड़कें हैं जो एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं.

ऐसे बना पिंक सिटी
अपने किले, महल और हवेलियों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध जयपुर वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है. जयपुर को पिंक सिटी कहने के पीछे भी एक दिलचस्प वाक्या जुड़ा है. दरअसल, 1863 में जयपुर के राजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन पर उनके स्वागत के लिए पूरे शहर को गुलाबी रंग से पुतवा दिया था. गुलाबी रंग मेहमानों के आदर सत्कार का प्रतीक माना जाता है. तब से ही इस शहर का नाम पिंक सिटी पड़ा. इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग स्टेनली रीड ने किया था.

जयपुर रियासत के अंतिम राजा सवाई मानसिंह द्वितीय के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल खां ने इसका सौंदर्यकरण करा कर इस शहर को पूरी दुनिया में एक विशिष्ठ पहचान दिलाई. जिस वजह से उन्हें जयपुर का आधुनिक निर्माता भी कहा जाता है. 

ढूंढ नदी के किनारे बसे इस नगर का प्राचीन नाम जयनगर था. 18वीं शताब्दी में मुगलिया सल्तनत के पतन के साथ ही जयपुर और जोधपुर रियासतों के बीच बार-बार युद्ध हुए. इसके बाद 1818 ईस्वी में जयपुर रियासत और ब्रिटिश हुकूमत के बीच एक संधि हुई जिसके बाद जयपुर पर ब्रिटिश वर्चस्व की स्थापना हुई. आजादी के बाद राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण में 30 मार्च 1949 को जयपुर रियासत राजस्थान राज्य में सम्मिलित हो गई. 

जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल

नाहरगढ़ किला
जयपुर का मुकुट कहे जाने वाले इस किले का निर्माण राजा जयसिंह ने 1734 ई. में कराया था. 1868 में सवाई रामसिंह ने इसे वर्तमान स्वरूप प्रदान किया था. लोकदेवता नाहरसिंह भोमिया के नाम पर बने इस दुर्ग को 'जयपुर ध्वजगढ़', 'मीठड़ी का किला', 'सुलक्षण दुर्ग', 'टाइगर किला' और 'महलों का दुर्ग' जैसे उपनामों से भी जाना जाता है. अरावली पर्वत पर स्थित इस किले में एक जैसे 9 महल हैं. जिन्हें सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपनी 9 रानियों के नाम पर बनवाया था. 

जयगढ़ किला
इस किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने 1726 ईस्वी में कराया था, उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया था. यह किला यहां दबे हुए खजाने के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि कच्छवाहा वंश का राजकोष इस किले में रखा हुआ है. 'संकटमोचक दुर्ग' के नाम मशहूर इस किले का निर्माण चिल्ह का टीला नाम की पहाड़ी पर करवाया गया था. यहां राजा जयसिंह ने तोप ढालने का कारखाना स्थापित कराया था. इस कारखाने में बनी जयबाण तोप एशिया की सबसे बड़ी तोप थी. 

आमेर का किला
अंबर दुर्ग के नाम से मशहूर इस किले का निर्माण 1150 ईस्वी में राजा दूल्हेराय ने करवाया था. इसके बाद राजा मानसिंह प्रथम ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था. यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल आमेर किले में शिलादेवी माता मंदिर, शीशमहल, सुहाग मंदिर, मावठा झील, भूल-भुलैया, केसर क्यारी, दीवाने आम, दीवाने खास महल आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं. 

हवामहल
जयपुर में स्थित हवामहल का निर्माण 1799 ईस्वी में सवाई प्रतापसिंह ने करवाया था.  कहा जाता है कि राजा प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के भक्त थे जिस वजह से उन्होंने इस पांच मंजिला भव्य इमारत को मोर मुकुट के आकार में बनवाया. इस महल में की पांच मंजिलों में पहली पर शरद मंदिर, दूसरी पर रत्न मंदिर, तीसरी पर विचित्र मंदिर, चौथी पर प्रकाश मंदिर और पांचवी मंजिल पर हवा मंदिर स्थित है. इस महल में 935 खिड़कियां और 365 झरोखे हैं. 

चंद्रपैलेस
सिटी पैलेस उपनाम से मशहूर इस महल का निर्माण 1729-32 के बीच सवाई जयसिंह ने करवाया था. इसके वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य़ थे. इस पांच मंजिला इमारत के अंदर सुख निवास महल, सर्वतो भद्र महल, मुबारक महल, दीवाने-आम, दीवाने-ए-खास और पोथीखाना संग्रहालय है. यहां पर रखे चांदी के दो पात्र विश्व में सबसे बड़े हैं. इन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है. 

जंतर-मंतर वेधशाला
यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल इस वेधशाला को जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने बनवाया था. समय एवं नक्षत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिए बनवाई गई वेधशाला में सम्राट यंत्र (जो कि विश्व की सबसे बड़ी सौर घड़ी मानी जाती है) के लिए प्रसिद्ध है.  

इनके अलावा जयपुर जिले में कनक वृंदावन, बिड़ला मंदिर, गोविन्द देव मंदिर, गलता जी तीर्थ, जगत शिरोमणि मंदिर, सुहाग मंदिर,  नकटी माता और शाकंभरी माता का मंदिर जैसे दर्शनीय और चौमू का किला, मोरिजा का किला, गैटोर की छतरियां, रामबाग पैलेस, जलमहल और अल्बर्ट हॉल जैसे ऐतिहासिक स्थल भी मौजूद हैं. 

आइए, एक नज़र जयपुर से जुड़ी अहम जानकारियों पर

  • यहां राजस्थान का एकमात्र जैविक पार्क नाहरगढ़ जैविक वन्य जीव अभयारण्य स्थित है.
  • जयपुर में देश का पहला वैक्स वॉर म्यूजियम स्थापित है.
  • जयपुर में देश का सबसे पुराना ज़ू स्थित है. इसकी स्थापना 1876 ईस्वी में महाराजा सवाई मानसिंह द्वारा कराई गई थी.
  • राजस्थान में सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयां जयपुर जिले में स्थापित हैं. यहां के उद्योगों में इंजीनियरिंग और धातुकर्म, हथकरघा बुनाई, आसवन व शीशा, होज़री, कालीन, कम्बल, जूतों और दवाइयों का निर्माण प्रमुख है.
  • जयपुर में जयपुर मेटल एंड इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, नेशनल बॉल बेयरिंग फैक्ट्री, जयपुर स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स, मान इन्डस्ट्रियल कॉर्पोरेशन जैसे बड़े उद्योग भी स्थापित हैं.
  • खनिज संपदा के मामले में भी जयपुर काफी धनी है. यहां क्वार्टज, फेल्डस्पार, लौह और ग्रेनाइड के भंडार पाए जाते हैं.
  • जयपुर जिले में कुल 19 विधानसभा क्षेत्र - सांगानेर, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, किशनपोल, विराट नगर, शाहपुरा, चाकसू, फुलेरा, सिविल लाइंस, आमेर, झोटवाड़ा, दूदू, आदर्श नगर, जमवारामगढ़, चोमू बगरू, बस्सी, हवामहल और कोटपूतली हैं.
  • जयपुर जिले में 13 तहसीलें और 488 ग्राम पंचायतें हैं.
  • जयपुर एक संभाग भी है, जिसमें जयपुर के अलावा अलवर, दौसा, झुंझुनूं और सीकर जिले आते हैं.
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