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This Article is From Jul 12, 2023

'पश्चिम का प्रहरी' कहा जाता है हनुमानगढ़ जिला, यहां बहती थी सरस्वती नदी

अपने ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थलों की वजह से हनुमानगढ़ पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है. घग्गर नदी के किनारे बसे इस शहर को 'सभ्यताओं का पालना स्थल' और 'प्राचीन सभ्यताओं की भूमि' भी कहा जाता है.

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'पश्चिम का प्रहरी' कहा जाता है हनुमानगढ़ जिला, यहां बहती थी सरस्वती नदी

'फलों की टोकरी' और 'पश्चिम का प्रहरी' जैसे नामों से प्रसिद्ध हनुमानगढ़ राजस्थान के उत्तर में स्थित एक प्रमुख नगर है. अपने ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थलों की वजह से हनुमानगढ़ पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है. घग्गर नदी के किनारे बसे इस शहर को 'सभ्यताओं का पालना स्थल' और 'प्राचीन सभ्यताओं की भूमि' भी कहा जाता है. यहां के कालीबंगा में मिले अवशेषों से पता चलता है कि यह क्षेत्र कई हजारों साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता का अटूट भाग रहा है. 

राजस्थान राज्य के गठन के बाद हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर जिले की एक तहसील था. जुलाई 1994 को यह श्री गंगानगर से अलग होकर नया जिला बना. माना जाता है कि प्राचीन काल में यहां सरस्वती नदी बहती थी, जिसे अब घग्गर नदी कहा जाता है. यह क्षेत्र घग्गर नदी की बाढ़ के लिए भी जाना जाता है, जिसका कारण यह है कि इस क्षेत्र का तल घग्गर नदी के पाट से नीचे है. इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है. बाढ़ से होने वाले नुकसान के चलते घग्गर नदी को 'राजस्थान का शोक' भी कहा जाता है.

हनुमानगढ़ का इतिहास

हनुमानगढ़ के इतिहास पर नजर डालें तो इसका प्राचीन नाम भटनेर था. क्योंकि यहां भाटी राजपूतों का शासन था. कहा जाता है कि जैसलमेर के भाटी वंशीय शासक भूपत ने 288 ईस्वी में घग्गर नदी के तट पर भटनेर किले की स्थापना कर यहां अपना शासन कायम किया था. इसके बाद 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह भाटी ने यहां के शासकों को युद्ध में हराकर इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया.

भटनेर के हनुमानगढ़ बनने की भी एक दिलचस्प वजह है. दरअसल, राजा सूरत सिंह ने भाटी राजाओं को मंगलवार के दिन हराया था और मंगलवार हनुमान जी का दिन माना जाता है. ऐसे में हनुमान जी के नाम पर इसका नाम भटनेर से बदलकर हनुमानगढ़ कर दिया गया था.

हनुमानगढ़ के प्रसिद्ध स्थल

भटनेर किला

हनुमानगढ़ में घग्गर नदी के किनारे पर बना भटनेर किला राजस्थान का सबसे पुराना किला है. इस किले का निर्माण 288 ईस्वी में भाटी राजा भूपत ने कराया था. इस किले को 'उत्तरी भड़-किवाड़', 'हनुमानगढ़ दुर्ग', 'उत्तरी सीमा का प्रहरी', 'बांकागढ़' जैसे नामों से भी जाना जाता है. कैकेया शिल्पकार द्वारा निर्मित इस किले पर सबसे ज्यादा आक्रमण हुए. तैमूर लंग जैसे विदेशी आक्रमणकारियों ने कई बार इस किले पर कब्जा करने की कोशिश. तैमूर ने अपनी जीवनी तुजुके तैमूर में इस किले जिक्र उस समय के सबसे मजबूत किले के रूप किया है. वहीं मुगल बादशाह अकबर ने भी आइन-ए-अकबरी में इस किले का उल्लेख किया है. 

काली बंगा सभ्यता

कालीबंगा कस्बा एक प्राचीन व ऐतिहासिक स्थल है. पीलीबंगा तहसील में स्थित कालीबंगा को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत कोष में शामिल किया है. यह स्थान सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष मिलने के कारण प्रसिद्ध है. यहां खुदाई से सिन्धु घाटी सभ्यता के जुते हुए खेत व अन्य अवशेष प्राप्त हुए हैं. इसे सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख केंद्र माना जाता है. कई इतिहासकारों ने इसे सिन्धु सभ्यता की तीसरी राजधानी भी कहा है. इसकी खोज 1952-53 में अमलाबंद घोष ने की थी. वहीं इसके उत्खनन का कार्य बी.बी. लाल व बी.के. थापर के निर्देशन में किया गया था. यहां राज्य सरकार द्वारा एक साइट म्यूजियम भी बनवाया गया है.

कालीबंगा के अलावा रंगमहल, पीलीबंगा, करणपुरा और पल्लू में भी प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं.

गोगाजी का मंदिर

हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में स्थित गोगापीर का मंदिर स्थित है. इस मंदिर को हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग मानते हैं. सांप्रदायिक सद्भाव एवं एकता की मिसाल इस स्थल पर गोगाजी के जन्मदिवस के अवसर पर हर साल मेला भरता है. भाद्रपद कृष्ण नवमी यानी गोगानवमी पर भरने वाला यह मेला पशुओं के क्रय-विक्रय के लिए भी जाना जाता है. गोगाजी मंदिर के स्थापत्य में मुस्लिम और हिन्दू शैली का समन्वय आकर्षण का केंद्र है.

भद्रकाली मंदिर

जिला मुख्यालय से 7 किमी दूरी पर माता भद्रकाली का प्राचीन मंदिर स्थित है. घग्गर नदी के किनारे बने इसे मंदिर का निर्माण बीकानेर के छठे महाराजा राम सिंह ने कराया था. इस मंदिर में पूरी तरह लाल पत्थर से बनी देवी की एक प्रतिमा स्थित है. यहां चैत्र व अश्विन के नवरात्रों में बड़ी धूमधाम रहती है.

इन स्थलों के अलावा तलवाड़ा झील, सिलामाता मंदिर , संगरिया संग्रहालय और गुरुद्वारा कबूतर जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल भी हैं. 

हनुमानगढ़ जिले के बारे में अन्य अहम जानकारियां - 

  • हनुमानगढ़ जिले में ब्राह्मणी माता मेला, गोगामेडी मेला और भद्रकाली मेला जैसे मेला भरते हैं. इनमें शामिल होने के लिए देशभर से लोग आते हैं.
  • यह राजस्थान का सबसे कम औद्योगिक इकाइयों वाला जिला है.
  • खेल सामग्री के लिए यह जिला पूरे देश में प्रसिद्ध है. 
  • यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. वैसे तो हनुमानगढ़ में मुख्यत: सभी तरह की फसलें उगाई जाती हैं, लेकिन चावल के उत्पादन में यह जिला पूरे राजस्थान में नंबर वन है. 
  • हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहां हथकरघा पर कपास और ऊन की बुनाई होती है.
  • गंगानगर लोकसभा क्षेत्र में आने वाले हनुमानगढ़ में पांच विधानसभा क्षेत्र सांगरिया, हनुमानगढ़, नोहरा, पीलीबंगा और भादरा आते हैं.
  • बीकानेर संभाग में आने वाले हनुमानगढ़ जिले में सात तहसीलें नोहर, भादरा, पीलीबंगा, रावतसर, टिब्बी, सांगिरया और हनुमानगढ़ आती हैं. जिले में 1907 गांव हैं.
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