Baba Ramdev Temple In Kolayat: बीकानेर की कोलायत तहसील के सियाणा गांव अब लोकदेवता बाबा रामदेव पीर का ससुराल के तौर पर जाना जाएगा. सियाणा गांव को बाबा रामदेव की पत्नी नैतल के पीहर के रूप में विकसित किया जा रहा है. दरअसल बाबा रामदेव का असल ससुराल तो पाकिस्तान के अमरकोट में है, जिसे पाकिस्तान में उमरकोट के नाम से जाना जाता है. लेकिन आम लोगों का वहां जा कर लोकदेवता के दर्शन करना अब मुमकिन नहीं रहा. इसलिए सियाणा गांव में मन्दिर बना कर बाबा रामदेव और उनकी पत्नी नैतल की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी.
तीर्थस्थल के रूप में होगा विकसित
ग़ौरतलब है लोकदेवता बाबा रामदेव का ससुराल पाकिस्तान के अमरकोट में था. अमरकोट के महाराजा दलपतसिंह सोढ़ा की बेटी नैतल का विवाह पोकरण के बाबा रामदेव के साथ हुआ था. पहले तो आम लोग बाबा के दर्शनों के लिए अमरकोट जाया करते थे. लेकिन अब कई परेशानियों के चलते आम लोगों का वहां जाना सम्भव नहीं हो पाता. इसलिए सियाणा में बाबा रामदेव और उनकी पत्नी नैतल की मूर्तियां स्थापित कर इसे तीर्थस्थल का रूप दिया जाएगा.
इसे तीर्थस्थल के रूप में विकसित किए जाने को लेकर लोगों में बड़ा उत्साह है. गांव के कुछ लोगों इस इसके किए ज़मीन दान की है. अब इस पर तीर्थस्थल का निर्माण शुरू होगा, जिस पर 7 करोड़ रुपयों की लागत आएगी. तीर्थस्थल निर्माण के लिए देश भर में रहने वाले बाबा के भक्त सहयोग कर रहे हैं.
अक्षय तृतीया के दिन रखी जायेगी तीर्थस्थल की नींव
बाबा रामदेव और नैतल का विवाह अक्षय तृतीया को हुआ था. इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को पड़ रहा है. इसलिए सियाणा में बनने वाले बाबा रामदेव के ससुराल रूपी तीर्थस्थल की नींव भी इसी दिन रखी जाएगी. ये सारा काम अन्तरराष्ट्रीय द्वारिका रणुजा संगम संस्थान करवा रहा है. जिसके तीन लाख सदस्य हैं और ये संस्थान अब तक पूरे देश में बाबा रामदेव की 43 हज़ार मूर्तियां लगवा चुका है.
चित्रों के माध्यम से दिखेंगी रामदेव पीर से जुड़ी घटनाएं
सियाणा गांव में बनने वाले बाबा रामदेव के ससुराल रूपी मन्दिर में उनसे जुड़ी घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाएगा. जिसमें उनकी पत्नी नैतल के पीहर का इतिहास, बाबा रामदेव से पहली बार मुलाक़ात, उनकी चंवरी समेत कई दृश्य शामिल होंगे.
बाबा रामदेव के इस ससुराल रूपी तीर्थस्थल के विकसित हो जाने से सियाणा गांव धार्मिक केन्द्र के रूप में भी पर्यटन मानचित्र पर आ जाएगा. श्रद्धालुओं के आने से गाँव की आर्थिक स्थिति में भी मज़बूती आएगी. 10 मई को भूमि पूजन के बाद मन्दिर 7 करोड़ की लागत से निर्माण शुरू हो जाएगा, जिसका ग्रामवासी बेसब्री से इन्तज़ार कर रहे हैं.
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