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अन्नपूर्णा जयंती 2023: तिथि, महत्व और कैसे मनाएं?

अन्नपूर्णा जयंती माँ अन्नपूर्णा की पूजा का पावन दिन है. इस दिन माता अन्नपूर्णा से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि की प्रार्थना की जाती है. अन्नपूर्णा देवी को भोजन की देवी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि वे कभी अपने भक्तों को भूखा नहीं रखती हैं. अन्नपूर्णा जयंती इस वर्ष 26 दिसंबर को मनाई जाएगी.

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अन्नपूर्णा जयंती 2023: तिथि, महत्व और कैसे मनाएं?
ओम ह्रींग अन्नपूर्णाय नमः, इस मंत्र का जाप आप 108 बार करें.
नई दिल्ली:

Annapurna Jayanti 2023 date: अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margshirsh purnima 2023) के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर, 2023 को मनाई जाएगी. अन्नपूर्णा देवी को देवी पार्वती (Devi Parvati) का रूप माना जाता है. वे भोजन की देवी हैं और उन्हें अन्नदात्री भी कहा जाता है. अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

अन्नपूर्णा देवी का महत्व

अन्नपूर्णा देवी को भोजन की देवी माना जाता है. उन्हें अन्नदात्री भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों को कभी भूखा नहीं रहने देती हैं. अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

अन्नपूर्णा जयंती कैसे मनाई जाती है?

अन्नपूर्णा जयंती के दिन लोग अपने घरों में अन्नपूर्णा देवी की पूजा करते हैं और उन्हें भोग लगाते हैं. इस दिन लोग विशेष रूप से चावल और मीठी चीजें बनाते हैं. साथ ही इस दिन घर में दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में कभी खाने की कमी नहीं होती है.

अन्नपूर्णा जयंती के दिन लोगों को अन्न की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और गरीबों को भोजन दान करना चाहिए. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा दृष्टि बनी रहती है.

अन्नपूर्णा जयंती के लाभ

अन्नपूर्णा जयंती के दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से कई लाभ होते हैं, जैसे:

* घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है.
* मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों को कभी भूखा नहीं रहने देती हैं.
* अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.
* अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है.

अन्नपूर्णा जयंती पर विशेष पूजा

अन्नपूर्णा जयंती पर लोग विशेष पूजा करते हैं. इस पूजा में सबसे पहले रसोई को साफ किया जाता है और फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव किया जाता है. इसके बाद रसोई घर की पूर्व दिशा में लाल वस्त्र बिछाया जाता है और उस पर नव धान्य की ढेरी बनाई जाती है. इस ढेरी पर मां अन्नपूर्णा देवी का चित्र रखा जाता है.

इसके बाद ताम्र कलश में अशोक के पत्ते और नारियल रखा जाता है. फिर जिस चूल्हे या स्टोव पर खाना बनाया जाता है, उसकी पूजा की जाती है. इसके बाद गाय के घी का दीपक जलाया जाता है और पूरे घर को सुगंधित धूप किया जाता है. अब मां अन्नपूर्णा को रोली से टीका लगाकर उन्हें लाल फूल अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद गैस चूल्हे को भी रोली लगाकर अक्षत और फूल अर्पित किए जाते हैं. फिर मां अन्नपूर्णा देवी को धनिया की पंजीरी का भोग लगाया जाता है.

इसके बाद अन्नपूर्णा देवी का मंत्र "ओम ह्रींग अन्नपूर्णाय नमः" का जाप 108 बार किया जाता है. मंत्र जाप करने के बाद मां अन्नपूर्णा का ध्यान करके उनसे प्रार्थना की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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