Bill Gates Interview: दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में बिल गेट्स का नाम पिछले कई दशकों से ऊपरी कतार में बना रहता है. पिछले साल (2024) में इस लिस्ट में वह छठे नंबर पर थे और उनकी संपत्ति 161 अरब डॉलर थी. दुनिया की जानी-मानी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के (Microsoft) के सह-संस्थापक गेट्स रिकॉर्ड 18 बार इस लिस्ट में पहले नंबर पर रह चुके हैं. बिल गेट्स की पहचान ना सिर्फ़ एक नामी टेक्नोक्रेट और अमीर व्यक्ति के तौर पर होती है बल्कि वह देश और दुनिया को प्रभावित करने वाले जलवायु परिवर्तन और ग़रीबी जैसे मुद्दों पर अपने विचारों और परोपकारी प्रयासों के लिए भी जाने जाते हैं. शिक्षा की सीढ़ी से सफलता के शिखर तक जाने का सपना देखने वाले हर युवा मन के लिए बिल गेट्स एक प्रेरणादायक शख्सियत माने जाते हैं. मगर अब बिल गेट्स ने अपने जीवन के बारे में एक ऐसी नई बात बताई है जिससे पता चलता है कि उनका बचपन एक ऐसी बीमारी के डर के बीच बीता जो आज भारत समेत दुनियाभर के कई घरों के बच्चों में पाई जाती है और उनके माता-पिता इसे लेकर थोड़े हताश रहते हैं. लेकिन बिल गेट्स की कहानी से ऐसे सभी लोगों की हिम्मत बढ़ेगी.
ऑटिज्म के थे लक्षण
बिल गेट्स ने हाल ही में अपने शुरुआती जीवन के बारे में एक मेमॉयर लिखी है जिसमें उन्होंने लिखा है कि बचपन में शायद वह ऑटिज़्म से जूझ रहे थे. "Source Code: My Beginnings" नाम की इस किताब में उन्होंने लिखा है - "अगर मैं आज बड़ा हो रहा होता, तो शायद मुझे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम (ऑटिज़्म के लक्षण वाले बच्चे) में डाल दिया जाता. मेरे बचपन के समय इस बात की इतनी समझ नहीं थी कि कुछ लोगों का मस्तिष्क जानकारियों को अलग तरह से प्रोसेस करता है."
ऑटिज़्म के कई तरह के लक्षण होते हैं, कई लोगों को दूसरे लोगों के साथ बातचीत और संपर्क करने में मुश्किल होती है, कुछ लोग एक ही चीज़ दोहराते रहते हैं, उनका व्यवहार सामान्य नहीं रहता और ऐसे ही और दूसरे लक्षण हो सकते हैं. अलग लोगों में अलग तरह के लक्षण हो सकते हैं.
लेकिन बिल गेट्स का कहना है कि ऑटिज़्म की वजह से ही वह बहुत ही ज्यादा ध्यान देकर काम करते थे और जब तक परिणाम ना निकल जाए काम करते रहते थे, इतना ज़्यादा कि वह थककर सो जाते थे.
"यह कभी ख़त्म नहीं होता"
बिल गेट्स ने NDTV को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपने बचपन के इस अनुभव के बारे में और विस्तार से बताया है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता था कि कुछ तो अलग है मेरे साथ. जैसे छठी क्लास में मुझे अमेरिका के एक छोटे से राज्य डेलावेयर के बारे में एक लेख लिखना था. और मैंने 200 पन्ने लिख डाले, जबकि दूसरे बच्चों ने 5-10 पन्ने लिखे थे. मुझे इससे शर्म आई, कि क्या मैं पागल जैसा तो नहीं कर रहा हूं. मेरे टीचर भी इसे समझते थे और कन्फ्यूज़ रहते थे. कई मानते थे कि मुझे एक-दो क्लास आगे भेज देना चाहिए, कई को लगता था कि मुझे इसी क्लास में रखना चाहिए जिससे मैं और मैच्योर हो जाऊं."
गेट्स ने बताया कि उनके व्यवहार के थोड़ा अलग होने के बावजूद उनके माता-पिता ने उन्हें बुरा नहीं लगने दिया और सामान्य स्कूल में भेजा. गेट्स ने बताया कि वह अपने माता-पिता और दादा-दादी के बेहद करीब थे लेकिन स्कूल में अपनी उम्र के लड़कों के साथ दोस्ती में उन्हें दिक्कत आती थी.
उन्होंने कहा,"मैं अभी भी अपने पैरों को हिलाता रहता हूं, ये भी एक लक्षण है, जिसे सेल्फ़-स्टिमुलेशन कहते हैं. तो मैं इसे कंट्रोल करता हूं क्योंकि इससे दूसरे लोग नर्वस हो सकते हैं. मुझे लगता है ये कभी खत्म नहीं होगा. लेकिन अब इसकी (ऑटिज़्म) की पुष्टि करना मुश्किल होगा क्योंकि मैं सीख गया हूं कि कैसे अपने व्यवहार को कंट्रोल करना है."
भारत में बच्चों में तीसरा सबसे सामान्य डिसऑर्डर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में हर 100 में से 1 बच्चे में ऑटिज्म के लक्षण होते हैं.
भारत में वर्ष 2023 में किए गए एक सर्वे के अनुसार लगभग 1 करोड़ 80 लाख लोग ऑटिज्म स्पेक्ट्रम में आते हैं. यह संख्या आबादी का 12.7 प्रतिशत है. भारत में ऑटिज्म बच्चों के विकास संबंधी तीसरा सबसे सामान्य विकार है.
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