RSS Ban news: राजस्थान विधानसभा में सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ने पर प्रतिबंध का मुद्दा उठा. भारतीय जनता पार्टी के विधायक संदीप शर्मा ने सदन में यह मांग उठाई कि राजस्थान में सरकारी कर्मचारी के RSS में शामिल होने पर लागू प्रतिबंध को हटा लिया जाए.
देश में पिछले कुछ समय से सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध की चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार की ओर से 9 जुलाई को एक आदेश जारी हुआ था जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटाने की सूचना दी गई थी. इसके बाद कई राज्यों में भी सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस से जुड़े होने पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग उठ रही है.
1981 में कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में किया था बैन
राजस्थान में भी बुधवार (31 जुलाई) को बीजेपी विधायक संदीप शर्मा ने यह मुद्दा उठाया और प्रतिबंध हटाने की मांग की. उन्होंने विधानसभा में कहा कि '27 सितंबर 1925 के बाद से आज तक राष्ट्रीय स्वंयसेवक का एकमात्र ध्येय राष्ट्रवाद है, एकमात्र कार्य राष्ट्रसेवा है, एकमात्र शत्रु राष्ट्रदोही है और एकमात्र नीति राष्ट्रीय अखंडता है.'
संदीप शर्मा ने सदन में कहा," जिस संगठन का लक्ष्य ही मां भारती के गौरव को परम वैभव तक पहुंचाना हो, वो देश विरोधी कैसे हो सकता है. मगर इसके बावजूद 1966 में केंद्र सरकार द्वारा और 1981 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर पाबंदी लगा दी गई थी."
"40 सालों से तुगलकी फरमान झेल रहा राजस्थान"
कोटा दक्षिण सीट से विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा लिया है, और कई राज्यों ने भी ऐसा ही किया है.
उन्होंने राजस्थान में भी इस प्रतिबंध को हटाने की मांग करते हुए कहा," हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी इस प्रतिबंध को हटाया गया है. लेकिन राजस्थान में 40 सालों से देश की सेवा करने वाला संगठन इस तुगलकी फरमान के प्रतिबंध को अनवरत झेल रहा है. इसलिए मेरा निवेदन है कि देश सेवा के लिए समर्पित इस संगठन से जुड़ाव के लिए प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को अविलंब हटाया जाए."