Diwali 2023 Date: इस साल 12 नवंबर को दीपावली है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर पूरे देशभर में दीपावली का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. दीपावली की तैयारियां कई दिनों पहले से होने लगती है. दीपावली पर पूरे घर को दीयों और रंगबिरंगी लाइटों से सजाया जाता है.
700 साल बाद योग
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दीपावली बहुत ही खास रहेगी, क्योंकि कई दशकों के बाद दीपावली पर एक साथ 3 शुभ योग और 5 राजयोग का निर्माण हुआ है. दीपावली 12 नवंबर को है. इस दिन अमावस्या दोपहर तकरीबन 2:45 बजे से शुरू होगी. शाम को लक्ष्मी पूजा वक्त 5 राजयोग रहेंगे. इनके साथ आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेंगे. दीपावली पर शुभ योगों की ऐसी स्थिति पिछले 700 सालों में नहीं बनी.
तरक्की के शुभ संकेत
इतने शुभ संयोग बनने से ये लक्ष्मी पर्व सुख-समृद्धि देने वाला रहेगा. दीपावली पर बन रही ग्रह स्थिति देश की तरक्की का शुभ संकेत दे रही है. दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से नया साल शुरू होता है. व्यापारियों में पुष्य नक्षत्र और धनतेरस से नए बही-खाते लेकर कारोबारी नया साल शुरू करने की परंपरा भी रही है. दीपावली से ही जैन समाज का महावीर निर्वाण संवत भी शुरू होता है.
अमावस्या तिथि समय
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान होता है. दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का काफी महत्व होता है. दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है. दीपावली पर अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर करीब 2:45 मिनट पर शुरू हो जाएगी. वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक, दीपावली की शाम के समय जब लक्ष्मी पूजा होगी उसी दौरान 5 राजयोग का निर्माण भी होगा. इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा. इस तरह से दिवाली 8 शुभ योगों में मनाई जाएगी.
बन रहे ये 5 राजयोग
दीपावली पर इस तरह का शुभ योग कई दशकों के बाद बना है. ऐसे में इस शुभ योग में दीपावली सभी के लिए सुख-समृद्धि और मंगलकामना साबित होगी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा. ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे. इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे.
वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को सम्मान और लाभ देने वाला माना जाता है. हर्ष योग धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा बढ़ता है. काहल योग स्थिरता और सफलता देता है. वहीं, उभयचरी योग से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है. दुर्धरा योग शांति और शुभता बढ़ाता है. वहीं कई सालों बाद दीपावली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे.