कुरकुरे रस भरे जलेबाओं को देखते ही ललचा जाता है मन, सऊदी अरब में है इसकी खूब डिमांड

Rajasthan Sweets: डीग जिले का जलेबा पाकिस्तान और सऊदी अरब तक पहुंच चुके हैं, जहां इसकी खूब डिमांड रहती है. चैत्र रामनवमी के पावन पर्व पर विशाल मेले में देसी घी के बने जलेबा 300 रुपए किलो के भाव से बिकते हैं. जहां दूर दराज से आए लोग जलेवा खाने जाते हैं.

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दुनिया भर में मशहूर हैं डीग जिले जलेबा

Jaleba Of Rajasthan: देश विदेश में प्रसिद्ध डीग जिले के बड़े-बड़े, कुरकुरे और रस भरे जलेबाओं को देखकर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. शहर, जिला, कस्बा ही नहीं, डीग के जलेबाओं को चाहने वाले विदेशों में इस पार लटकाते हैं. डीग में प्रतिदिन 8000 से 1000 किलो ग्राम जलेबाओ की बिक्री होती है. 

डीग जिले का जलेबा पाकिस्तान और सऊदी अरब तक पहुंच चुके हैं, जहां इसकी खूब डिमांड रहती है. चैत्र रामनवमी के पावन पर्व पर विशाल मेले में देसी घी के बने जलेबा 300 रुपए किलो के भाव से बिकते हैं. जहां दूर दराज से आए लोग जलेवा खाने जाते हैं.

जलेबा तैयार करते कारीगर

ऐसा तैयार किया जाता है जलेबा, एक दिन पहले भिगोया जाता है मैदा

डीग जिले में जलेबा बनाने वाले एक हलवाई ने बताया कि जलेबा बनाने के लिए एक दिन पहले मैदा भिगोया जाता है, फिर दूसरे दिन जलेबा बनाने से पहले भी इसमें मैदा मिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि अगर देसी घी में जलेबा तैयार करना है, तो देसी घी लेते हैं अन्यथा रिफाइंड में बड़े-बड़े आकार के जलेबा बनाकर उसे अच्छी तरह से सेंका जाता है.

चीनी की चाशनी में कुछ मिनट के लिए डुबाकर निकाल जाते हैं जलेबा

बड़े आकार के कुरकुरे रस भरे जलेबा रिफाइंड तेल और देसी घी दोनों से बनाए जाते हैं और 70 रुपये किलो के भाव से बाजार में बेचे जाते हैं.हालांकि देसी घी से निर्मित जलेबा की बिक्री 300 रुपये किलो के भाव में की बिक्री होते हैं. जलेबा नगर कस्बे के अंदर मोड़ चौराहा बस स्टैंड आदि स्थानों पर मिलती है.

पूर्व में यह एक जलेबा 2.50 ग्राम का होता था, लेकिन अब 150 ग्राम के करीब होता है और एक जलेबा खाने से व्यक्ति का पेट भर जाता है

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