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Jaisalmer Desert Festival: डेजर्ड फेस्टिवल में सिंधी नस्ल के घोड़ों ने लगाई दौड़, कार-जीप को भी छोड़ा पीछे, देखें Photos

जैसलमेर में डेजर्ट फेस्टिवल का शनिवार को अंतिम दिन था. इस दौरान लाणेला के रण में सिंधी नस्ल के घोड़ों दौड़ लगाई. इस घुड़दौड के दौरान सैलानी और दर्शक मंत्रमुग्ध नजर आएं. यह आयोजन सिंधी नस्ल के घोड़ों के संरक्षण के उद्देश्य किया गया था. (श्रीकांत व्यास)

  • अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मरू महोत्सव 2024 के अंतिम दिन के कार्यक्रमों की कड़ी में लाणेला रण में आयोजित घुड़दौड़ प्रतियोगिता आकर्षण का केंद्र रही.(श्रीकांत व्यास)
  • दौड़ का आयोजन सिंधी अश्व संस्थान जैसलमेर द्वारा करवाया गया जिसमें जैसलमेर सहित बाड़मेर, गुजरात, पंजाब, हरियाणा के धावकों ने हिस्सा लिया.
  • जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित लाणेला गांव के विशाल भू-भाग में फैले रण क्षेत्र में घुड़सवारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इस प्रतियोगिता के तहत गेल्फ घुड़दौड़ में 7 मादरी में 5 छोटी रेवाल में 35 और बड़ी रेवाल में 10 घोडे़ शामिल हुए.
  • यह स्वदेशी घोड़े की नस्ल राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों के मूल निवासी है साथ ही यह गुजरात के कच्छ में भी देखने को मिलते है. इनकी भारत में कुल आबादी करीब 4 हजार है.
  • महाभारत के अनुसार सिंधी घोड़े घोड़ों की सबसे अच्छी नस्लों में से एक है. सिंधी घोड़ा लंबी दूरी तय करने में बड़ी गति और सहनशक्ति के साथ प्रदर्शन करता है.
  • कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सिंधी नस्ल के घोड़ो का संरक्षण करना और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना रहा. वहीं अतिथियों एवं आयोजन समिति द्वारा विजेताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया.
  • अनूठी विशेषताओं में चेहरे की रोमन नाक उपस्थिति, सिरों पर मुड़े हुए कान, लेकिन एक-दूसरे को नहीं छूना, 56 से 60 इंच की ऊंचाई, छोटी पीठ, छोटी पस्टर्न हड्डी की लंबाई, बेहतर पकड़ और विनम्र स्वभाव के लिए व्यापक खुर शामिल हैं.
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