
Anju Yadav: हरियाणा की रहने वालीं और राजस्थान के बहरोड़ में ब्याही अंजू यादव की ज़िन्दगी की कहानी से हर कोई हौसला हासिल कर सकता है. क्यूंकि ज़िन्दगी में परेशानियों से जूझते हुए कुछ हासिल कर पाना कठिन होता है. और जो इन चुनौतियों से पार पा ले उसे मंज़िल मिल ही जाती है. ऐसी ही कहानी है अंजू यादव की भी. जिसमें ज़िद, दुःख, उम्मीद और जुनून सब है.
हमसफर से जुदा होकर हर कोई टूटकर बिखकर जाता है, मगर अंजू यादव को यह मंजूर नहीं था. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अलगाव को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया. किताबों से दुबारा दोस्ती की. खुद पर पूरा भरोसा रखा. नतीजा-सितंबर 2025 में आयोजित पासिंंग आउट परेड में अंजू यादव राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) बनी हैं.
NDTV से बातचीत में अंजू यादव कहती हैं कि ''हरियाणा की बेटी व राजस्थान की बहू हूं, मगर मध्य प्रदेश को भी कभी नहीं भूल सकती, क्योंकि सफलता का पहला स्वाद मध्य प्रदेश में ही चखा और उसके बाद तो राजस्थान, दिल्ली और राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021 में भी चयन हुआ. अभी राजस्थान पुलिस में बतौर आरपीएस ट्रेनिंग पर हूं. दिवाली के आस-पास फिल्ड पोस्टिंग मिलेगी.''
सरकारी स्कूल-कॉलेज से की पढ़ाई
अंजू यादव का जन्म साल 1988 में हरियाणा के नारनौल के गांव धौलेड़ा में किसान लालाराम यादव व सुशीला देवी के घर हुआ है. लालाराम किसान हैं. परचून की दुकान भी चलाते हैं. अंजू ने 12वीं तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की और बीए की डिग्री सरकारी कॉलेज से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की.

हरियाणा की बेटी, राजस्थान की बहू
बहरोड़ में हुई शादी, बेटा मायके में पला
बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2009 में अंजू यादव की शादी राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ (अब बहरोड़-कोटपूतली जिला) के गांव गंडाला के नित्यानंद के साथ हुई. साल 2012 में बेटा मुकुलदीप जन्मा और उसी साल अंजू को लगा कि उसे अपने बेटे और ख़ुद का पालन पोषण ख़ुद करना पड़ेगा. ससुराल वाले सपोर्ट नहीं कर रहे थे. अंजू ससुराल से अपने मायके चली आई और फिर बेटा मायके में ही पला-बढ़ा. उसके माता-पिता ने बेटे को पाला.
2014 में फिर से पढ़ाई शुरू की
अंजू ने बताया कि वो चार बहनों में सबसे बड़ी हैं. अंजू व मंजू की शादी एक साथ हुई थी. मंजू धारूहेड़ा की एक निजी कंपनी में काम करती हैं. जबकि तीसरे नंबर की बहन संजू प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. चौथे नंबर की रंजू जयपुर में निजी कंपनी में काम कर करती है. साल 2012 में अंजू ससुराल से मायके आकर रहने लगी तब संजू भी जयपुर में रहकर पढाई कर रही थी. अंजू भी उसी के पास जयपुर चली गईं और द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी करने लगीं.
पहली बार मध्य प्रदेश में लगी नौकरी
जयपुर में रहकर तैयारी करने के बाद अंजू की साल 2016 में पहली बार केंद्र सरकार की नौकरी लगी. मध्य प्रदेश के भिंड के जवाहर नवोदय स्कूल में अंग्रेजी की टीचर बनीं. भिंड में अंजू ने दो साल पढ़ाया. उसके बाद राजस्थान व दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर शिक्षिका चयन होने पर भिंड छोड़ना पड़ा. ये तीनों सरकारी नौकरी अंजू ने मायके में रहते हुए हासिल की.

ज़िद, दुःख, उम्मीद और जुनून की कहानी
साल 2021 में पति की मौत
अंजू यादव की साल 2012 के बाद ससुराल वापसी नहीं हुई. ना तलाक हुआ. साल 2021 में पति नित्यानंद का बीमारी की वजह से निधन हो गया. पति की मौत के सिर्फ 12 दिन बाद ही अंजू ने हिम्मत जुटाकर राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021 का फॉर्म भरा और दिल्ली में रहकर तैयारी की. 2021 की भर्ती का रिज़ल्ट साल 2023 में आया और अंजू ने विधवा कोटे से 1725वीं रैंक हासिल करते हुए 2024 बैच की राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में DSP का पद पाया. अंजू यादव कहती हैं कि खाकी वर्दी उनका सपना था, जो अब पूरा हो गया है. इसी के जरिये वे समाज की सेवा करेंगी और न्याय दिलाने की उम्मीदों पर खरी उतरेंगी.
(विश्वनाथ सैनी की रिपोर्ट)
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